कौन हैं रोहिंग्या, ये भारत में कैसे आए, कोर्ट और सरकार का इन्हें लेकर क्या रुख?
रोहिंग्या मुसलमान चर्चा में हैं। आखिर कौन हैं ये रोहिंग्या प्रवासी? ये भारत कैसे पहुंचे और यहां क्यों आए? देश में इस तरह के कितने अवैध प्रवासी रहते हैं? आइए जानते हैं
इस विवाद के बाद एक बार फिर रोहिंग्या मुसलमान चर्चा में हैं। आखिर कौन हैं ये रोहिंग्या प्रवासी? ये भारत कैसे पहुंचे और यहां क्यों आए? देश में इस तरह के कितने अवैध प्रवासी रहते हैं?
कौन हैं रोहिंग्या?
कहानी 16वीं शताब्दी से शुरू होती है। जगह म्यांमार के पश्चिमी छोर पर स्थित राज्य रखाइन थी। जिसे अराकान भी कहते हैं। इस राज्य में उस दौर से ही मुस्लिम आबादी रहती थी। 1826 में हुए पहले एंग्लो-बर्मा युद्ध के बाद अराकान पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया। युद्ध में जीत के बाद अंग्रेजों ने बंगाल (वर्तमान में बांग्लादेश) से मुसलमान मजदूरों को अराकान लाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे रखाइन में मुस्लिम मजदूरी की आबादी बढ़ती गई। बांग्लादेश से आकर रखाइन में बसी इसी मुस्लिम आबादी की रोहिंग्या कहा जाता है।
1948 में म्यांमार पर से ब्रिटिश शासन का अंत हुआ और वह आजाद मुल्क के रूप में अस्तित्व में आया। तभी से यहां की बहुसंख्यक बौद्ध आबादी और मुस्लिम आबादी के बीच विवाद शुरू हो गया। रोहिंग्या की संख्या बढ़ती देख म्यांमार के जनरल विन की सरकार ने 1982 में देश में नया राष्ट्रीय कानून लागू किया। इस कानून में रोहिंग्या मुसलमानों का नागरिक दर्जा खत्म कर दिया गया। तभी से म्यांमार सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए मजबूर करती रही है। तब से रोहिंग्या बांग्लादेश और भारत में घुसपैठ करके यहां आते रहे हैं।

