ऊंची फीस देने के बावजूद आखिर ‘बाहर की पढ़ाई’ क्यों?
बच्चों में चढ़ा कोचिंग फीवर: प्रदेश में सालाना कोचिंग कारोबार 1300 करोड़ पार
बड़ी चिंता: ऊंची फीस देने के बावजूद आखिर ‘बाहर की पढ़ाई’ क्यों?
भोपाल … सूबे में कोचिंग फीवर तेजी से फैल रहा है। इसका सालाना कारोबार करीब 1330 करोड़ पार कर चुका है। हैरानी की बात है कि उज्ज्वल भविष्य की खातिर माता-पिता स्कूलों में मोटी फीस भरने के बाद भी बच्चों को कोचिंग भेज रहे हैं। उन्हें एक ही डर और आशंका है कि कहीं बच्चा बाकी से पीछे न छूट जाए। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या मोटी फीस वसूलने वाले स्कूलों में गुणवत्तायुक्त पढ़ाई नहीं हो रही है। अगर हो रही है तो बच्चे को कोचिंग की जरूरत क्यों पड़ रही है। इसको लेकर पत्रिका ने विभिन्न स्कूलों, कोचिंग इंस्टीट्यूट और अभिभावकों से बातचीत कर जमीनी पड़ताल की। इसके बेहद चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। पाया कि प्रदेश में सिर्फ प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के अभिभावक कोचिंग फीस के नाम पर 703 करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च कर रहे हैं। स्कूलों में कक्षा 1 से 12 वीं तक करीब 6,718,948 बच्चे पढ़ते हैं।
करीब 70 फीसदी छात्र-छात्राएं कोचिंग के भरोसे
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 70 प्रतिशत बच्चे कोचिंग पढ़ते हैं। मध्य प्रदेश में 4,703,263 बच्चे कोचिंग पढ़ते हैं। जिसके लिए सलाना 703 करोड़ रुपए खर्च करते हैं। वहीं प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 12वीं में 7,898,421 बच्चे पढ़ते हैं। इनमें करीब 50 प्रतिशत बच्चे भी कोचिंग का सहारा लेते हैं तो उनसे सालाना करीब 627 करोड़ रुपए कोचिंग पर जा रहे हैं। ऐेसे में प्रदेश में कोचिंग का कारोबार 1330 करोड़ रुपए से ज्यादा का है।
आखिर बच्चों को कोचिंग की जरूरत क्यों?
पत्रिका टीम ने पड़ताल में जानने की कोशिश की कि आखिर बच्चों को कोचिंग की जरूरत क्यों महसूस हो रही है। पाया कि अभिभावकों के भीतर अपने बच्चे को जल्द से जल्द सफल बना देने की चाह इसके पीछे का कारण है। इससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ पड़ता है तो बच्चा भी तनाव में रहता है।
प्राइवेट स्कूल के छात्रों से कोचिंग का कारोबार
कक्षा—-छात्रों की संख्या—70 प्रतिशत—-अनु. सलाना कोचिंग फीस—सलाना कारोबार
1से 5— 3477839 — 2434487 — 10000 — – 243 करोड़ से ज्यादा
6से 8— 1820626 — 1274438 — 15000—- 191 करोड़ से ज्यादा
9से 10— 825121 — 577544 — 25000—- 144 करोड़ से ज्यादा
11से 12— 595362— 416753 — 30000—- 125 करोड़ से ज्यादा
कोचिंग का सालाना कारोबार——703 करोड़ से ज्यादा
सरकारी स्कूल के छात्रों से कोचिंग का कारोबार
कक्षा- छात्रों की संख्या—-50 प्रतिशत—–अनु. सलाना कोचिंग फीस—सालाना कारोबार
1से 5—3979500 — 1989750 — 10000— 198 करोड़ से ज्यादा
6से 8— 1615571 — 807785 — 15000—- 121 करोड़ से ज्यादा
9से 10— 1431281 — 715640 — 25000—- 178 करोड़ से ज्यादा
11से 12— 872069 — 436034 — 30000—– 130 करोड़ से ज्यादा
कोचिंग का सालाना कारोबार—627 करोड़ से ज्यादा
अब नर्सरी के लिए भी कोचिंग चाहिए
आपको ताज्जुब होगा कि अभिभावक नर्सरी के लिए कोचिंग की डिमांड कर रहे हैं। ये शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न-चिह्न है। स्कूल डमी बन गए हैं और मान लिया गया है कि सब-कुछ कोचिंग में ही मिलेगा। किसी विशेष परीक्षा के लिए कोचिंग लेना ठीक लगता है लेकिन स्कूली पढ़ाई के लिए कोचिंग लेना समझ से परे है। ये स्कूलों की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान है।
शिक्षाविद्
माता-पिता की चिंता…
ये गलाकाट कॉम्प्टीशिन का युग है…
स्कूलों में प्रतिस्पर्धा युक्त शिक्षा नहीं मिल रही है। सिर्फ कक्षा पास करवाने के लिए शिक्षा दी जा रही है। कुल मिलाकर स्कूल कॉम्प्टीशिन की शिक्षा नहीं दे पा रहे है। दूसरा पक्ष ये भी है कि अभिभावक खुद कोचिंग से प्रेरित हैं। इसी का नतीजा है कि जिस दिन बच्चा एडमिशन लेता है, उसी दिन से कोचिंग भी शुरू करवा दी जाती है।
पालक महासंघ मध्यप्रदेश