मोत का हाइवे NH 719..! हाईवे नंबर बदलने से मौत के आंकड़े कम नहीं होंगे
हाईवे नंबर बदलने से मौत के आंकड़े कम नहीं होंगे, यहां 6 लेन के बिना काम नहीं चलेगा सरकार!
कईयों के घरों को उजाड़ चुका नेशनल हाईवे 719, केवल टोल वसूली करके भाजपा नेताओं की जेब भरने टाला जा रहा लेन बढ़ाने का काम!
सरकारें देशभर में राजमार्गों का जाल तो बिछा रही हैं लेकिन उनकी सुरक्षा पर या उस पर चलने वालों की सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दे रही हैं। यही कारण है कि आए दिन राजमार्गों पर लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। राजमार्ग बनाए तो जाते हैं आवागमन की सहूलियत के लिए, लेकिन सुरक्षा को नजरअंदाज कर बनाए गए राजमार्ग सहूलियत की जगह मौत का रास्ता बन रहे हैं। ऐसा ही कुछ है ग्वालियर से भिण्ड होकर इटावा को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे 719 के साथ। दो लेन के बनाए गए इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रशासन एवं निर्माण कंपनी पीएनसी द्वारा लोगों की सुरक्षा को बिल्कुल ही दरकिनार कर दिया गया। नतीजा यह है कि यह हाईवे मौत के हाईवे में तब्दील हो चुका है। आए दिन इस पर सड़क दुर्घटनाओं में लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, तो कई लोग अपंग हो रहे हैं। मौत के इस हाईवे ने कई परिवारों को उजाड़ कर रख दिया है। स्थानीय प्रशासन द्वारा तो बीच बीच में दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए कुछ उपाय किए गए लेकिन वह भी नाकाफी साबित हुए हैं।
वर्ष 2020 से पहले समस्त जिले में हुई दुर्घटनाओं की जानकारी एक साथ दी जाती थी। लेकिन वर्ष 2020 से एक्सप्रेसवे, नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे की अलग-अलग जानकारी रखी गई। भिंड जिले से होकर पूर्व में केवल एक ही हाईवे था 92, जिसे अब 719 कर दिया गया है। सारी सड़कों से कहीं ज्यादा मौत इस नेशनल हाईवे 92 पर हुई हैं।
वर्ष 2020 में नेशनल हाईवे पर 290 दुर्घटनाओं में 65 लोगों ने अपनी जान गवाई जबकि स्टेट हाईवे पर 51 लोगों ने जान गवाई। इसी प्रकार वर्ष 2021 में नेशनल हाईवे पर 255 दुर्घटनाओं में 88 लोगों ने अपनी जान गवाई जबकि स्टेट हाईवे पर 69 लोग मौत के शिकार हुए वही 2022 मैं अगस्त महीने तक हुई 147 दुर्घटनाओं में 37 लोगों ने अपनी जान गवाई।
ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सड़क सुरक्षा की बात करने वाले केंद्रीय सड़क परिवहन एवं भूतल मंत्री नितिन गडकरी जी द्वारा की जाने वाली बातें भी महज हवा हवाई साबित होती हैं। या तो उन्होंने अपने क्षेत्रों के विकास पर ध्यान दिया है या फिर जहां से दबाव ज्यादा है वहां पर। जहां दुर्घटनाएं हो रही हैं उनके लिए कोई कार्य योजना अभी तक क्यों नहीं बन सकी? आए दिन नेशनल हाईवे 719 पर स्थित चंबल पुल मेंटेनेंस के लिए बंद रखा जाता है। इस बार तो कई महीने से पुल बंद है लेकिन फिर भी नए पुल के लिए कोई कदम नहीं उठाए जाते। ऐसे में कहा जा सकता है कि सरकार और उसके नुमाइंदों की कथनी और करनी में काफी फर्क रहता है।
टोल वसूली कर अपनी जेबें भरने पर ध्यान है पीएनसी इंफ्राटेक का!
नेशनल हाईवे 719 (पूर्व में 92) का निर्माण मैसर्स पीएनसी इंफ्राटेक लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की देखरेख में किया गया था। पीएनसी कंपनी को 2013 से 2027 तक नेशनल हाईवे पर टोल वसूली के साथ साथ हाईवे के रखरखाव की जिम्मेदारी भी दी गई थी। कंपनी द्वारा टोल वसूली तो की जा रही है लेकिन सड़क के रखरखाव पर कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हाईवे पर यातायात का दबाव अच्छा खासा है जिसके चलते पीएनसी की कमाई भी प्रतिदिन लाखों में है। बावजूद इसके राजनैतिक रसूख के चलते कंपनी सड़क की बदहाली पर कोई ध्यान ना देकर केवल टोल वसूली में लगी हुई है। उसे लोगों के जीने या मरने से शायद कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। आपको बता दें पीएनसी इंफ्राटेक का मुख्यालय आगरा में स्थित है और जैन बंधु इसके प्रमोटर्स हैं। प्रदीप कुमार जैन इसके मैनेजिंग डायरेक्टर और तपन कुमार जैन इसके सीईओ हैं। वहीं कंपनी के प्रमोटर नवीन कुमार जैन भारतीय जनता पार्टी से आगरा के मेयर भी रहे हैं। जिसके चलते इनका अच्छा खासा रसूख है और राजनीति में अच्छी खासी पकड़ है। यही कारण है कि इसके खिलाफ कोई भी आवाज नहीं उठाता।
हाईवे पर हो रही मौत के लिए होनी चाहिए जवाबदेही तय
नेशनल हाईवे 92 सहित तमाम हाईवेज पर निर्माण कंपनियों या प्रशासन के द्वारा लापरवाही के चलते जो सड़क हादसे हो रहे हैं उनके लिए क्या कोई जवाबदेही किसी की नहीं बनती? निश्चित तौर पर इसके लिए किसी को तो जवाबदेह होना पड़ेगा चाहे वह निर्माता कंपनी हो या रखरखाव कर रही एजेंसी अथवा जिला प्रशासन। क्या बिना जवाबदेही के ऐसे ही लोग अपनी जान गवाते रहेंगे। हाईवे पर हुई दुर्घटना की पूरी तरह से जांच करके उसकी जवाबदेही निश्चित की जाना चाहिए, आखिर किसकी गलती से यह दुर्घटना हुई है? और जवाबदेह के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर कानूनी कार्यवाही भी होना चाहिए, ताकि कोई भी अपनी जवाबदेही से बच ना सके और लापरवाही से किसी की जान ना जाए।
सड़क हादसों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई थी बेहद ही गंभीर टिप्पणी
लगातार बढ़ रहे सड़क हादसों पर चिंता जताते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर बेहद गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि देश में सड़कों के गड्ढे आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक होते जा रहे हैं। दरअसल सड़क सुरक्षा पर केंद्र सरकार द्वारा एक रिपोर्ट दाखिल की गई थी। यह रिपोर्ट शीर्ष अदालत के पूर्व जज केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा तैयार की गई थी। इसमें बताया गया कि वर्ष 2013 से 2017 के बीच सड़कों पर गड्ढों के कारण 14926 लोगों की जान गई है। सड़क सुरक्षा की रिपोर्ट की सुनवाई करने वाली 3 सदस्यीय पीठ ने कहा कि सड़क पर गड्ढों के कारण मरने वालों की संख्या सीमा पर या आतंकवादियों द्वारा की गई हत्याओं से कहीं ज्यादा है। 3 सदस्य इस पीठ के अध्यक्ष जस्टिस मदन बी लोकुर थे, जबकि पीठ में जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस हेमंत गुप्ता भी शामिल थे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्य पीठ द्वारा की गई टिप्पणी बेहद ही गंभीर और चिंताजनक थी। बावजूद इसके शासन द्वारा कोई भी ठोस कदम सड़क सुरक्षा के लिए नहीं उठाए गए। खासतौर पर व्यस्ततम एनएच719 जैसे हाइवेज के लिए। हाईवेज के निर्माण के साथ ही लोगों की सुरक्षा का ध्यान भी सरकार की प्राथमिकता में होना चाहिए।