मेरठ सहित वेस्ट यूपी और NCR में वायुप्रदूषण बना हार्टअटैक की वजह

प्रदूषण की चपेट में बैठ सकता है दिल …

वेस्ट यूपी की हवा में बढ़ता धुआं और PM2.5 का स्तर लोगों को दिल का रोगी बना रहा है। अनहेल्दी लाइफस्टाइल के साथ अब दूषित हवा भी दिल की बीमारियों का बड़ा कारण बन चुकी है। मेरठ मेडिकल कॉलेज के हृदय रोग विभाग में आ रहे मरीजों में पॉल्यूशन हार्ट डिजीज का नया कारण बनकर सामने आ रहा है। इससे चिकित्सक भी चिंतित है। मरीजों को साफ हवा में सांस लेने की हिदायत दे रहे हैं।

मजदूर, किसान और फील्ड जॉब वालों को खतरा

लगातार बढ़ रहे हैं दिल के मरीज
लगातार बढ़ रहे हैं दिल के मरीज

एलएलआरएम में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सीबी पांडेय ने बताया कि हमारे हार्ट की ओपीडी में पूरे वेस्ट यूपी से मरीज आते हैं। हर उम्र के मरीजों में अब दिल की बीमारी सामने आ रही है। इसकी वजह अनमेंटेड लाइफस्टाइल है। लेकिन एक और नया कारण प्रदूषण भी सामने आ रहा है। लगभग 50 मरीजों पर हमने यह स्टडी किया जिसमें पीएम 2.5 का लेवल हार्टस्ट्रोक का कारण निकला। फील्ड जॉब, खेतों में काम करने वाले मजदूर, किसानों में ये प्रॉब्ल्म ज्यादा है। क्योंकि वो अनहेल्दी हवा में रहते हैं। खेती में हानिकारक केमिकल का प्रयोग होता है जो हवा में घुलकर प्रदूषण फैलाते हैं। हमारे पास जो मरीज आते हैं वो गैस की समस्या लेकर आते हैं लेकिन जांच में दिल की बीमारी मिलती है।

पॉल्यूटेंट्स के कारण सिकुड़ती आर्टिलरीज
वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राजीव अग्रवाल के अनुसार वेस्ट यूपी और एनसीआर पूरा इंडस्ट्री और फार्मिंग का क्षेत्र है। खेतों से उड़ते भुस के महीन कण इंडस्ट्री के धुएं से निकलते हैवी मैटल्स सब वायुमंडल में प्रदूषण की मोटी परत के रूप में जम जाते हैं। यही PM2.5 हवा में फैला और सांस के जरिए शरीर में अंदर जा रहा है। इन्हीं पॉल्यूटेंटस का जमाव आर्टिलरी के आसपास होने लगता है और ये धीरे-धीरे उसे सिकोड़ने लगती है। आर्टिलरी में खून का फ्लो घटने लगता है और हार्ट को पूरी पंपिंग नहीं मिलती। इसलिए हार्टअटैक होता है। दिल को पंपिंग के लिए उचित ऑक्सीजन नहीं मिल पाती।

इंडोथीलियम पर पीएम 2.5 से बढ़ती सूजन
दिल के एक भाग इंडोथीलियम जिसका काम खून की सप्लाई करना होता है। इस इंडोथीलियम पर पीएम 2.5 के कारण सूजन आने लगती है। सूजन के कारण
इंडोथीलियम की वर्किंग इफेक्ट होती है और ये लाइन संकरी होने लगती है। इससे दिल को पंपिंग में परेशानी होती है। खून का प्रवाह कमजोर पड़ने लगता है। जिसके चलते दिल को पंपिंग में परेशानी होती है। बंगलूरू में हुए शोध में साबित हुआ कि पीएम 2.5 के कारण दिल की आर्टिलरी की जो लाइन इंडुथीलियम है वो प्रभावित होती है। ब्लॉकेज होने लगता है।

क्या है पीएम 2.5
पीएम 2.5 यानि पाटिर्कुलेट मैटर प्रदूषण के वो कण हैं जो हवा में घूमते रहते हैं। प्रदूषण के ये कण हैवी मैटल्स और गैसेस जैसे मीथेन, नाइट्रोजन, सल्फर के होते हैं। जो कभी खत्म नहीं होते। ये कण नाक के जरिए शरीर में प्रवेश करके अंदर ही अंदर शरीर को खोखला करते हैं।

आने वाला सीजन दिल के लिए खतरनाक

अक्तूबर अंत से फरवरी मार्च तक का समय अब दिल के लिए बेहद कठिन समय है। इस समय सर्दी बढ़ती है। कोहरे के कारण दिल के रोगियों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। यही लगातार पॉल्यूशन का समय है। इस समय वायुमंडल में प्रदूषण की चादर धीरे-धीरे नीचे उतरने लगती है। पूरे एनसीआर, वेस्ट यूपी की हवा में स्मॉग फैल जाता है। जो सीधे फेफड़े से होकर शरीर में एंट्री करता है और हार्टस्ट्रोक का खतरा बढ़ाता है।

दिल की बीमारियों के ये कारण भी जानें
युवाओं में बढ़ती दिल की बीमारियों का बड़ा कारण अनियमित दिनचर्या और गलत खानपान है। लेट नाइट काम, दिनभर बैठकर काम करने के कारण युवाओं में खराब वसा बढ़ रही है। जो मोटापा, रक्तचाप को बढ़ाकर युवाओं को दिल का मरीज बना रही है। साथ ही अधिक नमक, अधिक चीनी के कारण बीपी बढ़ने, शराब का अधिक सेवन, व्यायाम न करना, जंक फूड, मसालेदार खाना, अधिक तैलीय खाने के कारण भी युवाओं का दिल कम उम्र में ही बीमार हो रहा है।

चलते-चलते जानें इस बार विश्व हृदय दिवस की थीम
वर्ल्ड हार्ट डे हर साल 29 सितंबर को मनाया जाता है। इसको मनाने का कारण दिल की बीमारियों और दिल को सेहतमंद रखने के लिए लोगों को जागरुक करना है। वर्ल्ड हार्ट डे की थीम हर साल अलग-अलग रखी जाती है,इसी थीम पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस साल 2022 में विश्व हृदय दिवस की थीम “यूज हार्ट फॉर एवरी हार्ट” है। यानि दिल के रोगों से लड़ने के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ना। आंकड़ों की मानें तो हर साल लगभग 1.7 करोड़ लोग हृदय रोग के कारण मर जाते हैं, जो सभी वैश्विक मृत्यु दर का लगभग 31 प्रतिशत है।

दिल को सेहतमंद रखने के लिए ये करें
. कम तला, भुना और कम मसाले का खाना खाएं
. वजन ज्यादा है तो उसे कम करें, डब्ल्यूएचओ के अनुसार अपनी उम्र और लंबाई के अनुपात में वजन रखें
. रोजाना व्यायाम अवश्य करें
. सप्ताह में कम से कम ढाई घंटा शारीरिक व्यायाम करें
. शराब, ड्रग्स, तंबाकू का सेवन न करें
. ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की नियमित जांच कराएं.
. ज्यादा से ज्यादा खुश रहें, तनाव न लें
. अपना कॉलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रण में रखें
. सांस, दमा के रोगी हैं तो समय पर जांचें कराकर इलाज कराते रहें
. धूल, धुआं प्रदूषण से बचाव करें

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