नोएडा बन रहा मेडिकल टूरिज्म हब …!

यूरोपियन कंट्री के मुकाबले यहां 65-95% खर्च कम, कैंसर से लेकर स्पाइन सर्जरी तक का हुआ सफल इलाज

यूपी का नोएडा मेडिकल टूरिज्म का हब बन रहा है। यहां पर नाइजीरिया, तंजानिया, ईरान और सऊदी अरब जैसे 50 से ज्यादा देशों के लोग अपना इलाज कराने आ रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 2019-2020 में 5 लाख 53 हजार 605 मेडिकल वीजा जारी किए गए थे। आने वाले लोगों में ज्यादातर लोग गल्फ कंट्री के थे।

दरअसल, यूरोपियन कंट्री के मुकाबले नोएडा में इलाज 65 से 95% तक सस्ता है। ऐसे में नोएडा उनकी पसंद बना हुआ है। बीते दिनों में यहां के अस्पतालों में कैंसर से लेकर स्पाइन सर्जरी तक का सफल इलाज किया गया है। इनमें कई केस बहुत ही सीरियस थे, लेकिन यहां के डॉक्टरों ने बेहतर ट्रीटमेंट देकर भेजा। इससे विदेशी नागरिकों के भारत में इलाज के लिए आने का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है।

शारदा अस्पताल ने ताशकंद में सूचना केंद्र खोला है, जो विदेशी नागरिकों को इलाज दिलाने में मदद कर रहा है।
शारदा अस्पताल ने ताशकंद में सूचना केंद्र खोला है, जो विदेशी नागरिकों को इलाज दिलाने में मदद कर रहा है।

विदेशी मरीजों के लिए ताशकंद में खोला गया चिकित्सा सूचना केंद्र
नोएडा की बात करें तो शारदा अस्पताल, फोर्टिस, मैक्स और जेपी अस्पताल में विदेशी नागरिक मेडिकल वीजा पर इलाज कराने पहुंच रहे हैं। शारदा अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर अजीत कुमार ने बताया कि अब तक 50 से ज्यादा विदेशी नागरिकों का इलाज किया है।

उन्होंने बताया कि हाल ही में अस्पताल की ओर से उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में अपना चिकित्सा सूचना केंद्र शुरू किया है। यह मरीजों को भारत आने से पहले वीडियो कॉल पर डॉक्टरों से जुड़ने में मदद कर रहा है। साथ ही इलाज के बाद फॉलोअप के लिए मरीजों से संपर्क करने में भी मदद कर रहा है।

ये फोटो शारदा अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर अजीत कुमार की है। उन्होंने विदेशी नागरिकों के इलाज के बारे जानकारी दी।
ये फोटो शारदा अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर अजीत कुमार की है। उन्होंने विदेशी नागरिकों के इलाज के बारे जानकारी दी।

यूरोपियन कंट्री से 65 से 95% तक सस्ता है इलाज
डॉ. अजीत कुमार ने बताया कि डेंटल इम्प्लांट के लिए यूरोप में 4000-4500 डॉलर लगते हैं। वहीं, यहां इम्प्लांट 500-600 डॉलर में हो जाता है। इसी तरह ओपन हार्ट सर्जरी में करीब 3 से 4 लाख का खर्चा आता है, जबकि यूरोपियन कंट्री में 25 से 30 लाख का खर्चा आता है।

यूरोपियन कंट्री की तुलना में भारत में हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट 97 फीसदी सस्ता है। जबकि बाईपास सर्जरी 96% सस्ती है। इसके अलावा हिप रिप्लेसमेंट 96% सस्ता है। घुटनों के बदलने की कीमत में भी 88% कम लागत आती है। स्पाइन के इलाज में भारत में अमेरिका की तुलना में 94% सस्ता इलाज यहां मिलता है।

नोएडा में इराक के मरीज का सफल इलाज करने के बाद डॉक्टरों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी थी।
नोएडा में इराक के मरीज का सफल इलाज करने के बाद डॉक्टरों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी थी।

हाल ही में विदेशों से आए मरीजों की गई मेजर सर्जरी

  • इथोपिया से जेनेट के पेट के कैंसर का इलाज किया गया। पहले सर्जरी की गई, उसके बाद कीमोथेरेपी की गई।
  • नाइजीरिया से कैनेडी के पिट्यूटरी माइक्रोएडेनोमा का इलाज किया गया
  • रोगी टोनी जैक्स (कैमरून से) के टोटल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी अब बिना क्रेच के किया जा रहा है।
  • इराक के 56 साल के मरीज का कृत्रिम हृदय प्रत्यारोपण सर्जरी की गई।
  • ब्रेन ट्यूमर, स्पाइन सर्जरी, कैंसर, गायनोकोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, ऑर्थोपेडिक और जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी और ओपन हार्ट सर्जरी भी की गई।
ये नोएडा का एंट्री गेट हैं। यहां पर इलाज के लिए विदेशी नागरिक आ रहे हैं।
ये नोएडा का एंट्री गेट हैं। यहां पर इलाज के लिए विदेशी नागरिक आ रहे हैं।

इन देशों से आते हैं मरीज

नाइजीरिया, तंजानिया, लाइबेरिया, मलावी, कैमरून, केन्या, बांग्लादेश, नेपाल, इराक, ईरान, सऊदी अरब, कुवैत और कतर से यहां मरीज आते हैं।

नोएडा प्राधिकरण को मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने की जिम्मेदारी मिली है।
नोएडा प्राधिकरण को मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने की जिम्मेदारी मिली है।

नोएडा में बन रहा सबसे बड़ा मेडिकल डिवाइस पार्क
यमुना एक्सप्रेस-वे के किनारे जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास उत्तर भारत का पहला मेडिकल डिवाइस पार्क बनाया जा रहा है। इस मेडिकल डिवाइस पार्क को बनाने का प्रस्ताव पहले ही पास हो चुका है। अब इसके लिए जमीन के आवंटन के प्रोसेस की शुरुआत होने वाली है।

यह उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेडिकल डिवाइस पार्क होगा, जो लगभग 350 एकड़ में फैला होगा। इस पार्क के लिए भारत सरकार ने यमुना अथॉरिटी को 100 करोड़ रुपए कि प्रोत्साहन राशि दी है, जो प्राधिकरण को मिल गई है। इसमें मॉडर्न मेडिकल उपकरण बनाने की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगाई जाएंगी।

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