उत्तर प्रदेश में 7500 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे ..! मुजफ्फरनगर में 240 …
सर्वे का काम पूरा, मदरसा शिक्षा परिषद चेयरमैन डा.इफ्तिखार जावेद बोले, सर्वे केवल डाटा के लि
मुजफ्फरनगर सहित उत्तर प्रदेश में मदरसों के सर्वे का काम गुरुवार को पूरा हो गया। मदरसा शिक्षा परिषद चेयरमैन डा. इफ्तिखार जावेद के अनुसार सर्वे के दौरान प्रदेश भर में करीब 7500 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त चिह्नित किये गए हैं। उन्होंने साफ किया कि मदरसों का सर्वे केवल डाटा के लिए हैं, न कोई जांच है और न ही कोई मदरसा अवैध है। मुजफ्फरनगर में हुए सर्वे के दौरान 240 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त पाए गए। जबकि मान्यता लेकर संचालित होने वाले मदरसों की संख्या 114 है।
सर्वे से मदरसा छात्रों को मुख्य धारा में लाने का प्रयास: डा. जावेद
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया कि पूरे सूबे के आंकड़ों पर गौर करें तो तकरीबन 7,500 के आसपास गैर मान्यता मदरसों की पहचान हो पाई है। हालांकि15 नवंबर तक डीएम के जरिए से सर्वे की पूरी रिपोर्ट शासन स्तर पर आ जाएगी। डॉ. जावेद ने कहा कि सर्वे से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था करते हुए उनका बेहतर विकास करके उन्हें देश व समाज की मुख्यधारा में लाने की कोशिश की जाएगी। कहा कि उत्तर प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे का कार्य किया जा रहा है़। गुरुवार को जिसकी आखिरी तारीख थी। उन्होंने बताया कि इसके बाद डीएम स्तर से 15 नवंबर तक शासन को रिपोर्ट भेजनी है़। डॉ. जावेद ने स्पष्ट रूप से कहा गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे से किसी भी प्रकार का वैध अथवा अवैध का आंकड़ा नहीं मिल पाएगा। यह सर्वे असली नकली का नहीं बल्कि शिक्षा और शिक्षा के केन्द्र की उनकी संख्या, उनकी व्यवस्था आदि की सही जानकारी प्राप्ति के लिए है। उन्होंने साफ किया कि सर्वे का किसी भी प्रकार से, किसी भी तरह की जांच से दूर-दूर तक का कोई वास्ता नहीं है़।
जिले में 114 मदरसो को मान्यता, 240 गैर मान्यता प्राप्त
शासन के निर्देश पर कराए गए सर्वे के दौरान जनपद में बिना मान्यता संचालित होते 240 मदरसे पाए गए। हांलाकि 114 मदरसों के लिए मान्यता ली गई है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मैत्रेयी रस्तोगी ने बताया कि शासन के निर्देश पर 10 सितंबर से 20 अक्टूबर तक जनपद के मदरसों का सर्वे किया गया। उन्होंने बताया कि इस दौरान प्रत्येक तहसील में 3 सदस्यी अधिकारियों की टीमों के निर्देशन में सर्वे का काम किया गया। सर्वे के दौरान जिले भर में 240 मदरसे बिना मान्यता संचालित होते पाए गए।
वर्ष 2016 से नहीं दी गई एक भी मदरसे को मान्यता
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मैत्रेयी रस्तोगी ने बताया कि वर्तमान में शासन स्तर से मदरसों को मान्यता दिये जाने पर रोग लगी हुई है। उन्होंने बताया कि 2016 से जनपद में एक भी मदरसे को मान्यता नहीं दी गई है।
शासन स्तर से 11 बिंदुओं पर कराया गया मदरसों का सर्वे
शासन के निर्देश पर जनपद के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के बारे में 11 बिंदुओं पर जानकारी अर्जित की गई।एसडीएम की अध्यक्षता में गठित टीमों ने मदरसों में जाकर महत्वपूर्ण जानकारी लेखबद्ध की। इनमें 11 बिंदु प्रमुख रहे। जिनमें मदरसे का नाम, मदरसे को संचालित करने वाली संस्था का नाम, मदरसे का स्थापना वर्ष तथा अवस्थिति का पूरा विवरण, यानी मदरसा निजी भवन में चल रहा है या किराए के भवन में। इनके अलावा क्या मदरसे का भवन छात्र-छात्राओं के लिए उपयुक्त है? छात्रों को क्या-क्या सुविधाएं मिल रही हैं? मदरसे में पढ़ रहे छात्र- छात्राओं की कुल संख्या। मदरसे में कुल शिक्षकों की संख्या क्या तथा लागू पाठ्यक्रम ? मतलब, किस पाठ्यक्रम के आधार पर बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। मदरसे की आय का स्रोत और क्या इन मदरसों में पढ़ रहे छात्र-छात्राएं किसी और शिक्षण संस्थान या स्कूल में नामांकित हैं या नहीं तथा गैर सरकारी संस्था या समूह से मदरसे की संबद्धता है अथवा नहीं।