ग्वालियर.  निजी अस्पताल में प्रसव होने पर सरकारी अस्पताल जननी सुरक्षा योजना में लाभ लेने का मामला सामने आया है। जिसको लेकर कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने मामले की जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। अब इस फर्जीवाड़े को दबाने के लिए सरकारी अस्पताल में प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि सरकारी अस्पताल के डाक्टरों का दाबा है कि महिला का प्रसव उनके यहां पर हुआ है जबकि निजी अस्पताल संचालक का कहना है कि उनके अस्पताल में। निजी अस्पताल संचालक प्रसव के दस्तावेज साक्ष्य के तौर पर उपलब्ध कराते हुए कहा है कि योजना का लाभ लेने के लिए महिला व उसके पति द्वारा सरकारी मशीनरी के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा किया गया है। यह एक मामला तो सामने आ गया लेकिन सरकारी मशीनरी सरकारी योजनाओं में किस तरह से घालमेल कर रही यह बड़ा उदाहरण है। इससे पूरी सरकारी मशीनरी पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि इस तरह से सरकारी योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है और सरकार को आर्थिक हानि पहुंचाई जा रही है।

यह था मामला-

टिहोली का पुरा(बड़ेरा का पुरा)निवासी कल्पना पत्नी कोमल कुशवाह उम्र 21 साल का 9 सितंबर की शाम 7:19 बजे मुरार स्थित श्री अस्पताल में डिलेवरी हुई थी। लेकिन 15 दिन बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उटीला के दस्तावेजों में 25 सितंबर को शाम 5:30 बजे डिलेवरी होना बताया गया। श्री अस्पताल के संचालक अजय शर्मा का कहना है कि जब डिलेवरी उनके यहां पर हुई जिसके सभी दस्तावेज उनके पास है तो फिर सरकारी अस्पताल में पन्द्रह दिन बाद डिलेवरी कैसे हो सकती है। यह सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए फर्जीवाड़ा किया गया है। सरकारी दस्तावेजों में डिलेवरी दर्ज होने पर महिला द्वारा 1400 रुपये का भुगतान भी ले लिया है।

इनका कहना है-

रविवार को मैं अवकाश पर थी, स्टाफ के अनुसार महिला की डिलेवरी उनके अस्पताल में हुई उसके दस्तावेज स्टाफ के पास होंगे। अब फोन पर मैं क्या बताओं आप जब सामने आएंगे तब बता सकूंगी।

डा गुुंजन चौबे, संस्था प्रभारी उटीला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

मामला सामने आया है इस पूरे मामले की जांच कराने के लिए टीम गठित की जा रही है। जिससे यह पता चल सके कि उटीला व इसके अलावा अन्य संस्थान में होने वाली डिलेवरी हुईं हैं या फिर कोई गड़बड़ी हुई है। यदि गड़बड़ी मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।

डा मनीष शर्मा, सीएमएचओ