मान्यता नहीं, फिर भी एडमिशन दे रहे नर्सिंग कॉलेज …!

प्रोविजनल के नाम पर लेते हैं लाख रुपया, न डिग्री मिलती है, न फीस …

मध्यप्रदेश के करीब 242 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता खत्म की जा चुकी है। इसके बाद भी इनमें एडमिशन हो रहे हैं …… एक दलाल से संपर्क किया। पड़ताल में पता चला कि एडमिशन देने का यह खेल प्रोविजनल लेवल पर किया जा रहा है।

दलाल का दावा है कि कॉलेज को मान्यता नहीं मिली, तो उनके रुपए वापस कर दिए जाएंगे, लेकिन असल बात कुछ और है। दलाल के पास एक बार रुपए गए तो वापस नहीं आते। बता दें, इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने जिन नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता खत्म की है, वे दो-दो कमरों में चलते थे। उनका इन्फ्रॉस्ट्रक्चर भी अधूरा था।

20 हजार स्टूडेंट्स का भविष्य संकट में

मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिसर्विटी में पास-फेल के खेल और नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाड़े के चलते 20 हजार स्टूडेंट्स का भविष्य संकट में है। सत्र 2021-22 में मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी की अनुमति नहीं होने के बाद भी एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स से दस्तावेज जमा कराने के साथ ही उनसे फीस भी जमा करा ली गई थी। अब स्टूडेंट्स फीस काे लेकर परेशान हैं।

इस बीच मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल ने आदेश जारी करते हुए इन कॉलेजों में एडमिशन लेने वालों के दस्तावेज वापस करने के निर्देश दिए गए हैं। इस आदेश में यह जिक्र नहीं किया गया है कि सत्र 2021-22 में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स की पढ़ाई का क्या होगा और उनके द्वारा जमा की गई फीस वापस की जाएगी या नहीं?

पढ़िए, कैसे लगा स्टूडेंट्स को चूना

धार के प्रयागराज कॉलेज में सीमा नाम की स्टूडेंट ने 2021-22 के लिए फर्स्ट ईयर में एडमिशन लिया था। उन्होंने 28 हजार रुपए की फीस भी जमा कर दी थी, लेकिन अभी तक कॉलेज में पढ़ाई शुरू हुई। वजह यह कि कॉलेज में मूलभूत सुविधाएं व जरूरी मापदंड पूरे नहीं किए गए। ऐसे में कॉलेज की मान्यता सस्पेंड कर दी गई। सीमा ने अपनी फीस व दस्तावेज लौटाने के लिए आवेदन किया, लेकिन अभी तक वह कॉलेज के चक्कर काट रही हैं।

भोपाल की सीमा ने धार के प्रयागराज कॉलेज में एडमिशन लिया था, लेकिन आज तक न तो उसके डॉक्यूमेंट वापस किए गए, न ही उसकी भरी फीस वापस की जा रही है।

अगले साल के लिए हो गया एडमिशन

इंदौर के परिजात नर्सिंग कॉलेज ने शिखा मुवेल को अगले साल यानी 2022-23 के लिए एडमिशन दे दिया। जबकि, कॉलेज को मौजूदा सत्र के लिए मान्यता अब तक नहीं मिली है। शिखा से 27 जून को एडमिशन देने के एवज में 20 हजार रुपए की फीस जमा कराई गई। जब उन्होंने अपने दस्तावेज व फीस वापस करने के लिए आवेदन किया, तो उन्हें राशि नहीं लौटाई गई। अब उन्होंने नर्सिंग काउंसिल में शिकायत दर्ज कराई है।

राजधानी भोपाल की शिखा का हाल भी सीमा जैसा है, न ताे उसे डॉक्यूमेंट्स लौटाए जा रहे हैं, न ही फीस लौटाई जा रही है।

एयरपोर्ट में मेल नर्स को विदिशा कॉलेज में फैकल्टी बता दिया

विदिशा के बीएम स्कूल ऑफ नर्सिंग में तरुण कटोले का नाम फैकल्टी के तौर पर दर्ज है। सरकारी रिकॉर्ड में उनका रजिस्ट्रेशन इस कॉलेज में होना बताया गया है, जबकि मेल नर्स तरुण कटोले पिछले 2 साल से भोपाल एयरपोर्ट में नौकरी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे कभी विदिशा के बीएम स्कूल ऑफ नर्सिंग में ना तो पढ़ने गए और ना ही पढ़ाने के लिए कभी नौकरी के लिए आवेदन किया। उन्होंने बताया कि कॉलेज प्रबंधन ने उनके साथ धोखाधड़ी की है। इस बारे में नर्सिंग काउंसिल में लिखित शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

नर्सिंग कॉलेजों के ठगे गए प्रदेश के 3 हजार से ज्यादा स्टूडेंट एक समूह बनाकर अपनी फीस वापसी और अन्य मांगों को लेकर प्रदेश व्यापारी आंदोलन करने की तैयारी में हैं।

प्रदेश के 3 हजार छात्रों से ठगी

भोपाल में ही 700 से अधिक स्टूडेंट्स की फीस रोकने का मामला सामने आया है। जबकि, पूरे राज्य में 3 हजार से ज्यादा स्टूडेंट हैं। इन छात्रों से 10 हजार से 30 हजार रुपए तक की फीस जमा कराई गई है। ऐसे ही एक स्टूडेंट रवि परमार का कहना है कि नर्सिंग काउंसिल ने अभी तक सिर्फ दस्तावेज को लेकर आदेश जारी किया है, लेकिन जमीनी स्तर पर हम न तो विद्यार्थियों की मदद कर रहे हैं, ना ही दस्तावेज मिल रहे हैं। ना ही नर्सिंग कॉलेजों द्वारा जमा की गई फीस वापस दे रहे हैं। यदि सरकार इसे गंभीरता से नहीं लेती है तो हमारे पास आंदोलन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

कांग्रेस सरकार में मिली मान्यता, भाजपा सरकार में निरस्त

मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों का फर्जीवाड़ा ऐसा नहीं है कि वह पिछले एक साल में हुआ है। सरकार का दावा है कि कमलनाथ सरकार के दौरान 2020-21 के सत्र में 724 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गई थी। इस दौरान सिर्फ 29 कॉलेजों की मान्यता निरस्त की गई थी, जबकि शिवराज सरकार के दौरान 2021-22 में 575 कॉलेजों को मान्यता दी। रिकॉर्ड के मुताबिक 242 कॉलेजों की मान्यता निरस्त की गई। यानी कमलनाथ सरकार ने महज 4% कॉलेजों की तुलना में शिवराज सरकार ने 30% कॉलेजों की मान्यता निरस्त की है।

यह है मामला

इंडियन नर्सिंग काउंसिल से पहले मध्यप्रदेश रजिस्टर काउंसिल ने इन कॉलेजों की मान्यता निरस्त कर दी थी। जांच में पाया गया कि ये सभी कॉलेज फर्जी डिग्री देते हैं और नॉन फंक्शनल हैं। इनकी मान्यता धारा 14(3) बी के तहत वापस ले ली गई है, जिनमें से 57 कॉलेज भोपाल में हैं। 60 से लेकर 250 तक सीटें हैं। ऐसे में मान्यता खत्म होने से करीब 20 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स की डिग्री संकट में है। अभी तक इनको लेकर स्पष्ट नहीं हुआ कि इनके भविष्य क्या होगा?

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