सूचना के अधिकार का तिरस्कार …!
- सूचना के अधिकार के हर साल 40-60 लाख आवेदन
- महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा लंबित मामले, यूपी दूसरे पर
हर मिनट में 11 RTI, सूचना देने से मना करने के केस निपटाने में 24 साल तक लग रहे
देश में हर साल तकरीबन 40 से 60 लाख आरटीआई (राइट टू इन्फॉर्मेशन) दाखिल हो रही हैं यानी हर मिनट लगभग 11 आवेदन। मगर चौंकाने वाली बात ये है कि सूचना देने से इनकार करने के मामले निपटाने में कई-कई साल लग रहे हैं। मसलन, पश्चिम बंगाल में अगर 1 जुलाई 2022 को ऐसी शिकायत की जाए, तो उस पर फैसला आने में 24 साल 3 महीने लगेंगे। जबकि, महज एक साल पहले तक यह अवधि 4 साल 7 महीने ही थी।
सतर्क नागरिक संगठन द्वारा सूचना आयुक्तों के प्रदर्शन को लेकर जारी ताजा रिपोर्ट में ये आंकड़े सामने आए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि पर्याप्त स्टाफ नहीं होने से शिकायतों का अंबार बढ़ता जा रहा है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में स्थिति कुछ बेहतर है, फिर भी 8-9 महीने इंतजार करना पड़ेगा।
कारण- 11 में से 9-9 पद तो महीनों से खाली हैं
आरटीआई के तहत हर राज्य सूचना आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त व 10 तक सूचना आयुक्त होने चाहिए। महाराष्ट्र में मुख्य सूचना आयुक्त समेत 5 का स्टाफ है।
- केंद्रीय सूचना आयोग में दिसंबर 2019 में 4 पद खाली थे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 3 महीने में भरने को कहा था, लेकिन अब तक अमल नहीं।
- बिहार में 21 हजार शिकायतें लंबित होने के बावजूद कई महीनों से 4 पद खाली पड़े हैं। झारखंड में सूचना आयुक्त नियुक्त नहीं
- प. बंगाल में हालात इतने बदतर कि 10 हजार से ज्यादा शिकायतें लंबित होने के बाद भी सिर्फ 2 सूचना आयुक्त काम कर रहे हैं। मुख्य सूचना आयुक्त समेत 9 पद रिक्त हैं।
हालात- महाराष्ट्र और बिहार में भी सालों लगते हैं
- आरटीआई में सूचना न देने की जितनी शिकायतें लंबित हैं और जिस रफ्तार से निपटाई जा रही हैं, उस हिसाब से 1 जुलाई 2022 की शिकायत निपटाने में प. बंगाल में 24 साल, 3 माह लगेंगे।
- 30 जून, 2022 तक सबसे ज्यादा 99,722 शिकायतें महाराष्ट्र में लंबित थीं। उप्र (44,482) दूसरे, कर्नाटक (30,358) तीसरे और बिहार (21,342) चौथे नंबर पर है।
- राजस्थान में 13188, मप्र में 5929, पंजाब में 4671 शिकायतें में लंबित थीं।
राज्य – निपटान की अवधि
प. बंगाल- 24 साल, 3 महीने
ओडिशा – 5 साल, 4 महीने
महाराष्ट्र – 5 साल, 3 महीने
बिहार – 2 साल, 2 महीने
छत्तीसगढ़ – 1 साल, 6 महीने
उत्तरप्रदेश – 1 साल, 2 महीने
राजस्थान – 9 महीने
मप्र, पंजाब – 8 महीने
हरियाणा, गुजरात – 5 महीने
देरी के अजीब तर्क और अनोखी सजा
- उत्तराखंड में विद्युत विभाग ने सूचना देने में 30 दिन की जगह 4 महीने लगा दिए। इस पर संबंधित अफसर का तर्क था कि कार्यालय में रंग रोगन होने के कारण आवेदन इधर-उधर रख दिया गया। उन पर 5 हजार रुपए जुर्माना लगा।
- भोपाल के एक मामले में लोक सूचना अधिकारी ने जानकारी की फोटोकॉपी के खर्च के नाम पर आवेदक से 40 हजार जमा करा लिए। सूचना आयुक्त ने अफसर पर 25 हजार रुपए जुर्माना ठोंका और 40 हजार रुपए भी वापस करवाए।