CJI ललित के 74 दिन …!

10 हजार केसों का निपटारा, 13 हजार खारिज… गुजरात दंगा, छावला गैंगरेप, EWS पर चौंकाने वाले फैसले …

चीफ जस्टिस यूयू ललित मंगलवार को रिटायर हो रहे हैं। 74 दिनों तक CJI पद पर रहने वाले जस्टिस ललित ने एक से ज्यादा संवैधानिक बेंच बनाने और केस लिस्टिंग जैसे कई अहम फैसले किए। उनके कार्यकाल में 10 हजार से ज्यादा केसों का निपटारा हुआ, जबकि मेरिट के अभाव में करीब 13 हजार केस को खारिज कर दिया गया।

काम से संतुष्ट हूं, वादे लगभग पूरे- CJI ललित
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में CJI ललित ने कहा- मैं जब इस पद पर आया तो एक ही लक्ष्य था कि संवैधानिक बेंच काम करे। इसलिए मैंने 6 संवैधानिक बेंच बनाए। सभी जजों को किसी न किसी बेंच में रखा। मैंने सभी जजों से बात की और कामकाज को बांटा, जिससे केसों का निपटारा जल्द हो। अब मैं अपने कामों से संतुष्ट हूं और वादे लगभग पूरा कर चुका हूं।

CJI यूयू ललित के 4 बड़े फैसले…

1. गुजरात दंगों के सभी केस बंद

30 अगस्त को CJI यूयू ललित की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने 2002 गुजरात दंगों के सभी केसों को बंद करने का फैसला दिया। फैसला सुनाते समय कोर्ट ने कहा इतना समय गुजरने के बाद इन मामलों पर सुनवाई करने का कोई मतलब नहीं है। जस्टिस ललित ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की जांच कमेटी ने भी इस केस में नया कुछ नहीं पाया, इसलिए हमने बंद करने का फैसला किया है।

2. छावला गैंगरेप केस के सभी दोषी बरी

7 नवंबर को CJI ललित की बेंच ने 2012 में दिल्ली के छावला गैंगरेप केस के सभी दोषियों को बरी करने का आदेश सुनाया। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट और निचली अदालत ने 3 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। इस केस में सुनवाई के दौरान 7 अप्रैल को जस्टिस ललित ने कहा था- भावनाओं को देखकर सजा नहीं दी जा सकती है। सजा तर्क और सबूत के आधार पर दी जाती है। हम पीड़ित परिवार की भावनाओं को समझ रहे हैं।

3. तीस्ता और कप्पन को जमानत
जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने गुजरात दंगों के बाद साजिश के आरोपी तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देते हुए जेल से रिहा करने का फैसला दिया। वहीं UAPA केस में बंद केरल के पत्रकार कप्पन सिद्दिकी की भी जमानत अर्जी मंजूर की। जस्टिस ललित ने कई पुराने केसों पर त्वरित सुनवाई शुरू की, जिसमें CAA कानून, आर्टिकल-370 और UAPA कानून शामिल हैं।

4. EWS रिजर्वेशन से असहमत हुए

CJI ललित की अध्यक्षता में 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने EWS रिजर्वेशन पर फैसला सुनाया। 3 जजों ने EWS रिजर्वेशन को सही ठहराया, जबकि CJI ललित और जस्टिस रवींद्र भट्ट ने EWS रिजर्वेशन को सही नहीं माना। हालांकि, 3 जजों के सही ठहराने की वजह से देश में EWS रिजर्वेशन लागू रहेगा।

कार्यकाल में 2 कंट्रोवर्सी, साथी जज ही नाराज हो गए

1. केस लिस्टिंग को लेकर साथी जज ही खफा हो गए
चीफ जस्टिस बनते ही यूयू ललित ने केस लिस्टिंग को लेकर नया नियम लागू किया। सुप्रीम कोर्ट के सभी 30 जजों के लिए दो शिफ्ट बना दिए गए। इसके तहत सोमवार से शुक्रवार तक वो नए-नए मामलों की सुनवाई के लिए 15 अलग-अलग पीठों में बैठेंगे और हर दिन 60 मामलों की सुनवाई करेंगे।

चीफ जस्टिस के इस नियम का उनके सहयोगी जज संजय किशन कौल और अभय एस ओका ने आलोचना की। दोनों जजों ने कहा कि दोपहर के सेशन में मामलों की भरमार हो जाती है। इसकी वजह से फैसला करने के लिए समय ही नहीं मिल रहा। वहीं एक मामले में फैसला सुनाते हुए जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा कि उन्हें रातभर जागकर फैसला लिखना पड़ा है।

2. कॉलेजियम में विवाद, नए जजों की नियुक्ति प्रक्रिया टली
सुप्रीम कोर्ट के 5 वरिष्ठ जजों की समिति को कॉलेजियम कहते हैं। कॉलेजियम में ही नियुक्ति समेत कई नीतिगत फैसला लिया जाता है। 1 अक्टूबर को चीफ जस्टिस ने जज रविशंकर झा, जज संजय करोल जज, पीवी संजय कुमार और सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने के लिए कॉलेजियम से सलाह मांगी।

तस्वीर 21 दिन पहले की है जब सुप्रीम कोर्ट में CJI ललित ने अन्य जजों की मौजूदगी में पर्सनली जस्टिस चंद्रचूड़ को उस लेटर की एक कॉपी सौंपी थी, जिसमें बतौर CJI उनके नाम की सिफारिश की गई थी।
तस्वीर 21 दिन पहले की है जब सुप्रीम कोर्ट में CJI ललित ने अन्य जजों की मौजूदगी में पर्सनली जस्टिस चंद्रचूड़ को उस लेटर की एक कॉपी सौंपी थी, जिसमें बतौर CJI उनके नाम की सिफारिश की गई थी।

चीफ जस्टिस के इस सलाह के विरोध में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अब्दुल नजीर उतर गए, जिसके बाद चारों की नियुक्ति प्रक्रिया रोक दी गई। दोनों का कहना था कि फिजिकल मीटिंग के जरिए ही नियुक्ति हो।

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