ट्रेनों में नकली वेंडर बेच रहे थे घटिया पानी, रेलवे को राजस्व में हो रहा था नुकसान ?
ट्रेनों में नकली वेंडर बेच रहे थे घटिया पानी, रेलवे को राजस्व में हो रहा था नुकसान; RPF ने किया भंडाफोड़
आरपीएफ ने महाराष्ट्र के इगतपुरी में ट्रेनों में फर्जी वेंडरों द्वारा खाद्य सामग्री और घटिया पानी बेचने के घोटाले का पर्दाफाश किया। 36 वेंडर बिना वैध दस्तावेजों के पकड़े गए जिनके पास स्थानीय ब्रांड की पानी की बोतलें थीं। इससे न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान हो रहा था बल्कि यात्रियों की सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा था। सभी वेंडरों पर जीआरपी में मामला दर्ज किया गया है।

- ट्रेनों में घटिया ब्रांड का पानी बेचते पकड़े गए 36 फर्जी वेंडर
- फर्जी आईडी, जाली हस्ताक्षर के साथ करते थे अवैध बिक्री
- यात्रियों की सुरक्षा व सरकारी राजस्व को भारी नुकसान
मुंबई। आरपीएफ ने शुक्रवार को ट्रेनों में खाद्य सामाग्री बेचने के बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है। आइआरसीटीसी की वर्दी पहने फर्जी वेंडरो को बड़ी मात्रा में पानी की बोतलों के साथ गिरफ्तार किया है। साथ ही 36 फर्जी वेंडरों के खिलाफ महाराष्ट्र के इगतपुरी जीआरपी में मामला दर्ज किया गया है।
आरोपितों के पास लंबी दूरी की ट्रेनों में खाद्य और पेय पदार्थ बेचने के लिए वैध दस्तावेज नहीं थे। आरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सभी ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों पर रेल नीर (पैकेज्ड ड्रिकिंग वॉटर) की बिक्री अनिवार्य है।
सरकारी राजस्व को हो रहा था भारी नुकसान
आइआरसीटीसी ने रेल यात्रियों के लिए ब्रांडेड पैकेज्ड ड्रिकिंग वॉटर रेल नीर लांच किया है। पकड़े गए फर्जी वेंडर कुछ स्थानीय ब्रांड के पानी ट्रेन में बेच रहे थे, जिससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हो रहा था। उनके कब्जे से स्थानीय पानी की बोतलों के 50 पैकेट जब्त किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि फर्जी वेंडर भारतीय रेलवे की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं, क्योंकि वे किसी भी स्टेशन या आस-पास के स्टेशनों पर खानपान सामग्री को लोड, अनलोड करने के लिए चेन खींचते हैं साथ ही इनके द्वारा ट्रेनों में बीड़ी और सिगरेट के टुकड़े फेंकने से आग लगने का खतरा भी रहता है। इसके साथ ही ये ट्रेनों में यात्रियों से अधिक पैसे वसूलते हैं और यदि कोई यात्री आवाज उठाता है तो उसे धमकाने और मारपीट तक करते हैं।
इन ठेकेदारों के लिए काम कर रहे थे वेंडर
आरपीएफ अधिकारी ने बताया कि ये वेंडर आइआरसीटीसी के दो सूचीबद्ध ठेकेदारों लक्ष्मी नारायण एंटरप्राइजेज और आरएंडके एसोसिएट के लिए काम करते थे। हालांकि दोनों फर्मों का अनुबंध आइआरसीटीसी से अभी भी वैध है, लेकिन वेंडरों के पास वैध दस्तावेज नहीं थे। पकड़े गए वेंडर फर्जी पहचान पत्र लेकर चल रहे थे, जिन पर आइआरसीटीसी के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता के जाली चिह्न थे।