नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने रविवार को कहा कि न्यायिक नियुक्तियों की वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली को बदलने का समय आ गया है और न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए वैकल्पिक तंत्र के पक्ष में जनमत की प्रक्रिया मजबूती से आगे बढ़ रही है।
उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से न्यायाधीशों पर लगाए गए आरोपों सहित न्यायपालिका के लिए परेशानी का सबब बनने वाले मुद्दों को हल करने के लिए एक मजबूत आंतरिक तंत्र स्थापित करने का भी आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी को विश्लेषण करना चाहिए कि जनता में उसकी स्वीकार्यता क्यों कम हो रही है और अपनी पिछली गलतियों को सुधारने की इच्छा दिखानी चाहिए।
पार्टी नेतृत्व को कार्यकर्ताओं के साथ पेश आना चाहिए
अहमदाबाद में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सत्र से पहले उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व को अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को सम्मान के साथ पेश आना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी को एकदम से खारिज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कांग्रेस को ऐसी पार्टियों से गठबंधन बनाने के खिलाफ आगाह किया जो वैचारिक रूप से अस्थिर हैं।
एक विशेष साक्षात्कार में अश्विनी कुमार ने कई विवादास्पद मुद्दों पर विस्तार से बात की, जैसे न्यायपालिका के भीतर की समस्याओं को दूर करने के लिए तंत्र, न्यायिक नियुक्तियां और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी), और संसद द्वारा पारित कानूनों को अदालतों में लगातार दी जा रही चुनौती।
नजेएसी के 2014-15 में ही सही था समय
  • कुमार ने कहा कि एनजेएसी के लिए समय 2014-15 में ही सही था, जब इसे पहली बार प्रस्तावित किया गया था और मतदान के लिए रखा गया था। इसे लाने का निश्चित रूप से आज भी सही समय है। मुझे विश्वास है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए वैकल्पिक तंत्र के पक्ष में जनमत की प्रक्रिया मजबूती से आगे बढ़ रही है। यह प्रस्तावित एनजेएसी की तर्ज पर हो सकता है, यह कुछ बेहतर भी हो सकता है।

 

  • पूर्व कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार को न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए एक संशोधित संवैधानिक संशोधन लाने का पूरा अधिकार है, जो न्यायिक जांच को संतुष्ट करेगा। गौरतलब है कि जब कुमार कानून मंत्री थे तो उन्हीं के कार्यकाल के दौरान संप्रग शासन के तहत एनजेएसी विधेयक का मसौदा तैयार किया गया था।

 

  • लेकिन, बाद में राजग के सत्ता में आने के बाद इसे संशोधित रूप में पारित किया गया, मगर अक्टूबर 2015 में सर्वोच्च न्यायालय ने इसे रद कर दिया। यह पूछे जाने पर कि उन्हें क्यों लगता है कि एनजेएसी को लाने का समय आ गया है, कुमार ने कहा कि उन्हें उस फैसले की वैधता पर गंभीर आपत्ति है, जिसके तहत एनजेएसी को असंवैधानिक करार दिया गया था, भले ही इसमें ”संसद की सर्वोच्च इच्छा और बहुमत” था।