यह कौन तय करेगा कि हम एआई पर लगाम कैसे लगाएं?
यह कौन तय करेगा कि हम एआई पर लगाम कैसे लगाएं?
एआई तीखी प्रतिक्रियाओं को जन्म देती है। इसका प्रयोग करने वाले शीर्ष वैज्ञानिक कहते हैं कि यह मनुष्यों द्वारा निर्मित सबसे रोमांचक तकनीक है। वहीं एआई को लेकर आशान्वित लोगों का कहना है कि यह दुर्लभ बीमारियों के लिए इलाज प्रदान करेगी, संक्रामक रोगों के लिए टीके ईजाद करेगी, स्किल्स के अभाव को पूरा करेगी, दूर-दराज के क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लाने का काम करेगी, कल्याणकारी सेवाओं की डिलीवरी को आसान बनाएगी और गरीबी को खत्म कर देगी। ये भविष्यवाणियां किसी सुदूर भविष्य के लिए नहीं, बल्कि यह सब बस कुछ ही दशकों में होने जा रहा है। आप इसे एआई का अमृत काल भी कह सकते हैं! दूसरी तरफ एआई के कटु-आलोचक हैं, जो चेतावनी देते हैं कि यह मनुष्यों का सबसे खतरनाक सृजन है। दार्शनिक-इतिहासकार युवाल नोआ हरारी ने अपनी नई किताब ‘नेक्सस’ में चेतावनी दी है कि एआई में पूरी सभ्यता को नष्ट करने की क्षमता है।
उनका कहना है कि एक नया विश्व युद्ध असंभव नहीं लगता। लेकिन वह देशों के बीच नहीं बल्कि एआई- जिसे वे एलीयन इंटेलीजेंस कहते हैं- और मानव जाति के बीच होगा। हरारी कहते हैं एआई इतनी तेजी से विकसित हो रही है कि हमें नहीं पता हम अपने युवाओं को ऐसा क्या सिखाएं, जो 20 साल बाद भी प्रासंगिक हो।
यदि एआई के पिछले 2-3 वर्षों के अनुभवों को देखें तो संकेत मिलता है कि भविष्य में दोनों ही बातें सही साबित हो सकती हैं। बहस के दोनों पक्षों में हमारे समय के कुछ सबसे उज्ज्वल, महत्वाकांक्षी और इनोवेटिव दिमाग शामिल हैं। बिल गेट्स कहते हैं, एआई लोगों के काम करने, सीखने, यात्रा करने, हेल्थकेयर प्राप्त करने और एक-दूसरे से संवाद करने के तरीके को बदल देगा।
जिस गति से एआई विकसित हो रहा है, उसने वैज्ञानिकों को आश्चर्यचकित कर दिया है। हरारी का कहना है कि यह जैविक विकास की तुलना में दस लाख गुना तेजी से विकसित हो रहा है। यानी जैविक विकास में जिसे दस लाख साल लगे, उसे डिजिटल विकास एक साल में हासिल कर लेगा!
डर इस बात का है कि क्या एआई बुद्धिमत्ता में
अपने सृजनकर्ता मनुष्यों से भी आगे निकल जाएगी? और अगर ऐसा है, तो क्या यह अपने मालिक को गुलाम भी बना सकती है? मौजूदा साक्ष्यों से तो ऐसा लगता है कि पहले सवाल का जवाब हां है। हाल ही में अमेरिका में नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की बैठक में, मॅक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर द साइंस ऑफ लाइट के भौतिक विज्ञानी मारियो क्रेन ने अपने सहकर्मियों के साथ प्रकाशित एक लेख के बारे में बताया कि इस पेपर के मुख्य लेखकों में से किसी ने भी इसमें वर्णित विचारों को नहीं सोचा था।
उनके विचार मशीन से आए थे। हम केवल यह विश्लेषण कर रहे हैं कि मशीन ने क्या किया है। इंटरनेट पर ऐसे ही अन्य वैज्ञानिकों के किस्से भरे पड़े हैं, जो ए
आई का उपयोग कर रहे हैं। कंप्यूटर वैज्ञानिक जेफ्री हिंटन- जिन्हें एआई का गॉडफादर भी कहा जाता है- कहते हैं, हमें गंभीरता से सोचना चाहिए कि इन चीजों को अपने पर नियंत्रण करने से कैसे रोकें। यह कौन तय करेगा कि एआई पर लगाम कैसे और कब लगाई जाए?
एआई यकीनन हमारा भविष्य है, लेकिन हम इसे कैसे नियंत्रित करेंगे? इसके उपयोग के नियम कौन लिखेगा और उन्हें कौन लागू करेगा? क्या पूरी पृथ्वी के लिए एक ही नियम होगा, जिसे कोई सुपर-सरकारी संस्था लागू करेगी? या क्या प्रत्येक देश अपने स्वयं के नियम बनाएगा?
एक ऐसे युग में हैं, जिसमें लोग वैकल्पिक तथ्यों पर विश्वास करते हैं और राष्ट्रों और समाजों के बीच परस्पर-भरोसा घट गया है। मानव जाति एआई के संचालन के नियम स्थापित करने में भले सक्षम हो जाए, लेकिन उन नियमों को सीखने और उनसे बचने के लिए क्या करना होगा?
आई में बड़े कॉर्पोरेट्स ही सबसे ज्यादा पैसा लगा रहे हैं, जिनकी बुनियादी चिंता खेल में आगे रहना और अपने मुनाफे को बढ़ाते रहना है। उनका लक्ष्य अपने बाजार का आकार बढ़ाना, प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में तेजी से बढ़ना और इनोवेशन के लिए एल्गोरिदम का उपयोग करना है।
सरकारें इस बात से चिंतित नहीं हैं कि एआई मानवता को कैसे प्रभावित करेगी, उनकी चिंता इस बात को लेकर है कि दूसरे देशों द्वारा एआई के उपयोग से उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ेगा। सरकारें एआई को अपने दुश्मन या मानवता का उत्थान करने वाले एसेट के रूप में नहीं देखतीं। बहुत संभावना है कि वे दुनिया पर दबदबा स्थापित करने के लिए और अन्य देशों की सुरक्षा-प्रणालियों में सेंध लगाने के लिए एआई का उपयोग करना चाहती हों! (ये लेखिका के अपने विचार हैं।)