अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नवंबर में और शपथ ग्रहण जनवरी में, ऐसा क्यों?
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नवंबर में और शपथ ग्रहण जनवरी में, ऐसा क्यों?
US Presidential Election 2024: नवंबर के पहले मंगलवार यानी पांच नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए वोट डाले जाएंगे. इसमें जिसकी जीत होगी वह जनवरी 2025 में पदभार संभालेगा. सवाल यह है कि जब चुनाव नवंबर में हो जाते हैं तो अमेरिकी राष्ट्रपति जनवरी में कार्यभार क्यों संभालते हैं? आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब.
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की धूम मची है. पूरी दुनिया की नजरें इस चुनाव पर हैं. नवंबर के पहले मंगलवार यानी पांच नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए वोट डाले जाएंगे. इसमें जिसकी जीत होगी वह जनवरी 2025 में पदभार संभालेगा. व्हाइट हाउस में विजेता का चार साल का कार्यकाल होगा. सवाल यह है कि जब चुनाव नवंबर में हो जाते हैं तो अमेरिकी राष्ट्रपति जनवरी में कार्यभार क्यों संभालते हैं? आइए जानने की कोशिश करते हैं राष्ट्रपति चुनाव से लेकर कुर्सी संभालने तक की पूरी प्रक्रिया.
अमेरिका में दो दलीय प्रणाली है. रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेट्स की ओर से उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं. बाकी सभी उम्मीदवार निर्दलीय हैं. हालांकि, मुख्य मुकाबला रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के बीच है. कमला हैरिस राष्ट्रपति जो बाइडन की पार्टी से हैं. बाइडन ने खुद को चुनाव से अलग कर लिया था, जिसके बाद हैरिस को उम्मीदवार बनाया गया है.
नवंबर में होता है मतदान
यूनाइटेड स्टेट्स अमेरिका का चुनाव सिस्टम और कैलेंडर भी दूसरे देशों की ही तरह है. यहां राष्ट्रपति का चुनाव चार सालों के लिए होता है. वहां राष्ट्रपति पद के लिए मतदान नवंबर में होता है और नए राष्ट्रपति जनवरी में शपथ ग्रहण करते हैं. हालांकि, दूसरे देशों और अमेरिका में चुनाव प्रक्रिया में एक फर्क है. वह यह कि राष्ट्रपति का चुनाव होने के बावजूद अमेरिका में 11 हफ्तों तक शपथ ग्रहण का इंतजार करना होता है, जबकि दूसरे देशों में चुनाव होने के बाद जल्द से जल्द शपथ ग्रहण का आयोजन किया जाता है.
चार महीने बाद मिलती थी सत्ता
भले ही आज अमेरिकी राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण के लिए 11 हफ्तों का इंतजार लंबा लगता हो, पर एक समय ऐसा भी था, जब वहां के संविधान के अनुसार एक राष्ट्रपति से दूसरे को सत्ता हस्तांतरण में चार महीने लग जाते थे. दरअसल, आज वहां जो चुनाव नवंबर के पहले मंगलवार को देश भर में एक साथ कराया जाता है, वह पहले देश भर में अलग-अलग तारीखों को होता था. साल 1845 में एक कानून बनाकर पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की नींव डाली गई.
इसलिए मंगलवार को वोटिंग
यह उस वक्त की बात है, जब अमेरिका पूरी तरह से खेती पर निर्भर था और नवंबर के शुरुआती दिन किसानों के लिए अच्छे होते थे. फसलों की कटाई-मड़ाई पूरी हो जाती थी और यात्रा के लिए मौसम भी अच्छा होता था. फिर भी कुछ दिन ऐसे तय किए गए, जब वोटिंग नहीं हो सकती थी. रविवार को क्रिश्चियन पूजा करते थे. बुधवार को किसानों को अपनी फसलें बेचने के लिए सुरक्षित किया गया था. इसके अलावा कुछ स्थान ऐसे थे, जहां से पोलिंग स्टेशन तक पहुंचने में पूरा दिन लग जाता था. रविवार और बुधवार के अलावा सोमवार और गुरुवार को भी मतदान के लिए बेहतर नहीं माना गया. इसलिए मंगलवार को इसके लिए सबसे उपयुक्त माना गया.
जब 20 जनवरी तय हुई शपथ ग्रहण की तारीख
1929 से 1939 के बीच पूरी दुनिया में छाई आर्थिक मंदी के दौर में अमेरिकी नेताओं को लगा कि चुनाव के बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के इंतजार का समय चार महीने से घटाकर तीन महीने के भीतर किया जाए. इसके बाद साल 1933 में संविधान में 20वां संशोधन कर नए राष्ट्रपति की व्हाइट हाउस में प्रवेश की तारीख 20 जनवरी तय कर दी गई. हालांकि, चुनाव नवंबर में ही होते रहे.
प्रशासनिक तैयारियों के लिए मिलता समय
नए राष्ट्रपति के चुनाव और शपथ ग्रहण के बीच इतने गैप का कारण है आसानी से सत्ता हस्तांतरण. चुनाव के बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति और उनकी टीम को सरकार चलाने के लिए तैयारी की जरूरत होती है. इसमें कैबिनेट बनाना, नीतियां बनाना और राष्ट्रीय मुद्दों को समझना और निदान सोचना शामिल हैं. चुनाव और शपथ ग्रहण के बीच के समय में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अपने एजेंडे के अनुसार प्रशासन चलाने के लिए तैयारी करते हैं. इसके अलावा नए राष्ट्रपति को इस दौरान पहले से सत्ता में मौजूद लोगों से सारी जानकारियां मिल जाती हैं. विजेता को ट्रांजिशन फंडिंग का एक्सेस भी मिल जाता है पर आनन-फानन में सत्ता संभालने की हड़बड़ी नहीं रहती है.