3 माह में 145 अग्निकांड:NOC देने वाले निगम की बिल्डिंग ही असुरक्षित
शहर में आगजनी की तीन महीने में 145 घटनाएं हो चुकी हैं। पिछले साल 12 महीने में 917 स्थानों पर आग लगी थी। ज्यादातर मामलों में सूचना के बाद भी समय पर दमकल नहीं पहुंच पाती। इसका बड़ा कारण है 40 लाख की आबादी वाले शहर में सिर्फ पांच फायर स्टेशन हैं। वहीं संसाधन और स्टाफ की भी कमी है।
उधर, बिल्डिंगों में फायर सेफ्टी के आधार पर नगर निगम एनओसी जारी करता है। अब तक 277 बिल्डिंगों को फायर एनओसी जारी की है। पर हैरत की बात यह है कि निगम के आधिपत्य की बिल्डिंग में ही फायर सेफ्टी के इंतजाम नहीं हैं। पालिका प्लाजा तीन मंजिला इमारत है। यह निगम के आधिपत्य में है। यहां कई सरकारी व निजी ऑफिस लगते हैं। बिल्डिंग में कोई अग्निशमन यंत्र नजर नहीं आते। जब बिल्डिंग बनी थी, तब फायर सिस्टम लगा था, लेकिन लोग उसका सामान निकालकर ले गए। अब न टेस्टिंग हो रही और न मॉक ड्रिल होती है।
सिस्टम अपग्रेड करने की कोशिश कर रहे ^फायर ब्रिगेड अब निगम के अधीन काम कर रहा है। हम इसे अपग्रेड और हाईटेक करने की कोशिश कर रहे हैं। नए फायर स्टेशन बनने के बाद शहर में इनकी संख्या 11 हो जाएगी। – शिवम वर्मा, निगमायुक्त
हर फायर स्टेशन के लिए 2 मल्टीपर्पस फायर वाहन, तीन हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म टर्न टेबल लैडर चाहिए
शहर में फायर ब्रिगेड की स्थापना 1905 में होलकर शासन के दौरान हुई थी। अब आबादी 40 लाख तक पहुंच गई है। वर्तमान में शहर में 5 फायर स्टेशन हैं, जिनमें 108 अधिकारी व कर्मचारी कार्यरत हैं। जिस तेजी से शहर का विस्तार हो रहा है, उस हिसाब से यह संख्या कम है। अब निगम का दावा है कि उसने 6 नए फायर स्टेशन पर काम शुरू कर दिया है। शहर में हर फायर स्टेशन के लिए 2 मल्टीपर्पस फायर वाहन, तीन हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म टर्न टेबल लैडर चाहिए। इसे देखते हुए अब निगम ने कुछ संसाधनों के लिए टेंडर जारी किए हैं।
