ग्वालियर : प्रदूषण की स्थिति ..?
प्रदूषण की स्थिति ..?
वायु प्रदूषण कम करने 5 साल में 102 करोड़ रुपए मिले फिर भी साल में 96 दिन खराब रही शहर की हवा

शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पिछले पांच साल में नगर निगम को अलग-अलग माध्यमों से 102.64 करोड़ रुपए मिले। इस राशि से काम कराकर हवा में उड़ने वाले धूल के कणों को कम करना था, लेकिन स्थिति यह है कि प्रदूषण वाले दिन कम होने के बजाय बढ़ गए। पिछले पांच साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2023 के मुकाबले 2021 में ज्यादा दिन ऐसे गुजरे, जिनमें वायु प्रदूषण का स्तर कम रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हवा की शुद्धता को तय करने के लिए अच्छे और बुरे दिन का पैमाना तय किया है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 200 या उससे कम यानी कि अच्छा दिन।
यदि एक्यूआई 200 से ज्यादा तो बुरा दिन। इस मानक पर ग्वालियर के आंकड़े देखें तो स्थिति चौंकाने वाली है। 2019-20 से अब तक वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए 15वें वित्त आयोग से लेकर नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के अंतर्गत नगर निगम को 102.64 करोड़ रुपए मिले, लेकिन स्थिति सुधरने की जगह और खराब हो गई। वर्ष 2021 में जहां अच्छे दिनों का प्रतिशत 79 % था, वह 2023 में घटकर 73% पर पहुंच गया।
ये आंकड़ा इसलिए भी चौकाने वाला है क्योंकि अच्छे दिनों की संख्या कम होने पर ग्वालियर नगर निगम का फंड गत वर्ष कम कर दिया गया था। इसके बाद भी जिम्मेदार विभाग, प्रदूषण कम करने की दिशा में प्रभावी काम नहीं कर सके।
केंद्र का लक्ष्य 40% की कमी लाना
केंद्र ने नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम तैयार किया है। इसके अंतर्गत प्रत्येक नॉन-अटेनमेंट शहर (कुल 131) को पीएम-10 के स्तर में 40 प्रतिशत तक कमी लाने का लक्ष्य दिया गया है। ग्वालियर की बात करें तो यहां पीएम-10 (धूल के कण) का स्तर घटने की जगह बढ़ गया है। ग्वालियर में पीएम-10 बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण सड़कों पर उड़ने वाली धूल है। इसका खुलासा आईआईटी कानपुर की स्टडी में हुआ है।

वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण, जिम्मेदारों के दावे और हकीकत
सड़कों पर उड़ती धूल
(पीएम-10 बढ़ने का प्रमुख कारण)
{दावा : एडिशनल कमि. विजय राज ने बताया- शहर के लिए कुल आठ स्ट्रीट स्वीपिंग मशीन हैं। प्रत्येक मशीन कम से कम आठ घंटे सफाई करती है। {हकीकत : एक भी सड़क डस्ट फ्री नहीं, जबकि 15 से ज्यादा सड़कों को डस्ट फ्री करने की योजना थी। {समाधान : जिन मार्गों को डस्ट फ्री करने की योजना थी, उस पर अमल करें। सड़क के दोनों तरफ घास या पेवर्स लगाने से सड़कों पर धूल की समस्या खत्म होगी।
डिवाइडरों पर ऊपर तक मिट्टी होना
(पीएम-10 बढ़ने का प्रमुख कारण)
{दावा: पार्क अधीक्षक मुकेश बंसल ने बताया कि अधिकांश डिवाइडरों में मिट्टी का स्तर कम कर दिया गया है। जहां मिट्टी ऊपर तक भरी हुई है। {हकीकत : जिन डिवाइडरों पर मिट्टी ऊपर तक भरी हुई है, वहां पौधों में ज्यादा पानी डालने पर पानी के साथ मिट्टी भी सड़क पर आ जाती है। {समाधान : डिवाइडरों में मिट्टी के स्तर का ध्यान रखा जाए। जो डिवाइडर क्षतिग्रस्त हैं, उनकी मरम्मत कराई जाए।
निर्माणाधीन भवन में न हरे पर्दे लगा रहे न जीआई शीट
(पीएम-10, 2.5 बढ़ने के प्रमुख कारण )
{दावा : भवन अधिकारी पवन सिंघल ने बताया कि निजी फर्म पर जुर्माना लगाने की कार्रवाई लगातार जारी है। हालांकि, शासकीय कार्य कर रहीं एजेंसियां नोटिस देने के बाद भी नहीं सुधर रहीं। {हकीकत : शहर में कई बड़े प्रोजेक्ट जैसे एलिवेटेड रोड, थाटीपुर पुनर्घनत्वीकरण योजना, कार्य चल रहा है। {समाधान : निर्माणाधीन साइट पर 20 फुट ऊंची जीआई शीट लगे। इससे धूल के कण हवा में नहीं उड़ेंगे।
कचरे के ढेर में आग लगाना
(पीएम-2.5,कार्बन मोनो आक्साइड बढ़ने का कारण)
{दावा: एडिशनल कमि. विजय राज ने बताया कि घरों से निकले कचरे को केदारपुर स्थित साइट पर भेज रहे हैं। {हकीकत: यूनीपैच फैक्ट्री के पास कटारे फार्म, सूर्य मंदिर के पास खुले मैदान, संभाजी विलास कॉलोनी नं-2 के पास धान मिल में कचरा व सी एंड डी वेस्ट के ढेर लगा हुआ है। {समाधान: खुले में जहां भी कचरे का ढेर लगा हो, उसे साफ कराएं और ये सुनिश्चित करें कि वहां फिर कचरे का ढेर न लगे।
सैकड़ों सवारी, माल व निजी वाहन उगल रहे धुआं
(पीएम-2.5 बढ़ने का प्रमुख कारण)
{दावा: आरटीओ एचके सिंह ने बताया कि वाहनों की जांच नियमित प्रक्रिया है। इसके लिए अलग से अभियान चलाने की जरुरत नहीं है। हर माह चालानी कार्रवाई की जा रही है। {हकीकत : सड़कों पर दौड़ रहे सैकड़ों सवारी, माल व निजी वाहनों से धुआं निकल रहा है। {समाधान: नियमित वाहनों की चेकिंग हो और प्रदूषण फैलाने वालों से जुर्माना भी वसूला जाए।
यहां खर्च हुए शासन के 102.64 करोड़
- आठ फॉगर मशीन – 4 करोड़
- आठ स्ट्रीट स्वीपिंग मशीन – 7.5 करोड़
- सड़क निर्माण- 8 करोड़
- बरा डंपिंग साइट में पार्क – 3 करोड़
- सी एंड डी वेस्ट प्लांट- 6.50 करोड़
- कॉलोनी में पेवर्स लगाने – 4 करोड़
- रेसकोर्स रोड पर सौंदर्यीकरण – 2.5 करोड़
- सीमेंट कंक्रीट सड़कें – 30.99 करोड़
- 12 इलेक्ट्रिक कार – 1.72 करोड़ रुपए
- 2 पॉट होल मशीन – 1.96 करोड़ खर्च होंगे
- ई-व्हीकल (21 टिपर) – 1.90 करोड़ खर्च होंगे