ग्वालियर : अमृत योजना में 43 में से 38 टंकियों से ही हो रही आपूर्ति, 777 किमी में से रोज फूट रहीं लाइनें

अमृत योजना के तहत शहर में 320 करोड़ रुपए की लागत से कराए गए कार्य अभी तक अधूरे पड़े हुए हैं। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से आने वाले पानी की आपूर्ति के लिए शहर में 43 टंकियां बनाई गई थीं, लेकिन इनमें से सिर्फ 38 टंकियों से ही पानी की आपूर्तिहोरहीहै।

मृत योजना के तहत शहर में 320 करोड़ रुपए की लागत से कराए गए कार्य अभी तक अधूरे पड़े हुए हैं। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से आने वाले पानी की आपूर्ति के लिए शहर में 43 टंकियां बनाई गई थीं, लेकिन इनमें से अभी तक सिर्फ 38 टंकियों से ही पानी की आपूर्ति की जा रही है। इसके अलावा शहर में बिछाई गई 777 किमी लंबाई की पानी की लाइनों में रोज लीकेज की समस्या बनी हुई है। कई स्थानों पर लाइनों का मिलान तक नहीं हुआ है। इससे अब अमृत योजना के तहत कार्य करने वाली फर्मों और निगम अधिकारियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

मैमर्स विष्णु प्रकाश पंगुलिया द्वारा शहर में पेयजल के लिए बनाई गई टंकियों से पाइप लाइन डाली हैं। इसकी लागत 278.35 करोड़ रुपए रही है। बाद में इसे रिवाइज कर और बढ़ाया गया। स्थिति यह है कि 43 टंकियों में से 38 से सप्लाई शुरू हुई है। टंकियों से पानी छोड़ने के बाद शहर की 777 किमी पाइप लाइन में कहीं न कहीं लीकेज हर दिन हो रहा है। ठेकेदार के काम पर लगातार सवाल खड़े होते रहे हैं। ठेके की शर्तों में पांच वर्ष तक संधारण का काम भी शामिल है, लेकिन सड़कों के पैचवर्क की तरह हर दिन लीकेज और हर दिन ठीक करने से आमजन को परेशानी हो रही है। अमृत-2 प्रोजेक्ट के अंतर्गत शहर के सीमांत क्षेत्र के वार्ड 61 से 66 तक सभी क्षेत्रों में पाइप लाइन डाली जाएगी। साथ ही पेयजल और सीवर से संबंधित अन्य काम भी कराए जाएंगे। योजना के लिए 926 करोड़ रुपए की स्वीकृति नगर निगम को मिल गई है। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब पहले चरण में ही काम गुणवत्तापूर्ण नहीं हुआ है, तो फिर दूसरे चरण में क्या स्थिति होगी।

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