भारत में मटन शॉप की तरह मिलता है जिम लाइसेंस ..?

भारत में मटन शॉप की तरह मिलता है जिम लाइसेंस:अमेरिका-ब्रिटेन के जिम में हेल्थ एक्सपर्ट जरूरी; पहले बॉडी जांच, फिर एंट्री

सवाल-1: भारत में जिम खोलने के लिए लाइसेंस या ट्रेनिंग सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है?

जवाबः जी, हां। भारत में जिम के लिए स्थानीय प्रशासन से लाइसेंस लेना जरूरी है। ‘लघु एवं कुटीर उद्योग’ के तहत जिम का रजिस्ट्रेशन होता है। अगर दिल्ली में जिम खोलना है तो दिल्ली नगर निगम लाइसेंस देगा।

मजेदार बात ये है कि दिल्ली में चाय की दुकान, रेस्टोरेंट, बैंक्वेट हॉल, स्पा, ऑडिटोरियम और मटन शॉप के लिए भी वही फॉर्म भरना होता है जो जिम के लिए भरा जाता है। हर राज्य ने जिम खोलने के लिए अपने अलग नियम बनाए हैं। जिम खोलने के लिए क्या जरूरी होता है।

  

सवाल-2ः जिम खोलने या फिजिकल ट्रेनिंग के इंटरनेशल स्टैंडर्ड क्या हैं? अमेरिका, ब्रिटेन में क्या नियम हैं?

जवाबः भारत के मुकाबले पश्चिमी देश अपने नागरिकों की सेहत और जिम को लेकर ज्यादा फिक्रमंद नजर आते हैं। अमेरिका में जिम खोलने के लिए क्वालिफाइड ट्रेनर, सही पर्याप्त जगह, फायर डिपार्टमेंट से क्लियरेंस, हेल्थ और स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री से मंजूरी लेनी होती है। अमेरिका की तुलना में ब्रिटेन जिम और नागरिकों की सेहत-सुरक्षा दोनों को लेकर ज्यादा सजग है। उनके नियम और भी कड़े हैं।

सवाल-3ः क्या जिम में मेडिकल एक्सपर्ट मौजूद होते हैं? जिम ट्रेनर न्यू जॉइनी की मेडिकल हिस्ट्री चेक करते हैं? क्या जिम ट्रेनर को इस बात की बेसिक मेडिकल ट्रेनिंग भी दी जाती है कि एक्सटर्नल बॉडी पार्ट्स की ट्रेनिंग का इंटरनल ऑर्गन्स पर क्या असर पड़ेगा?

जवाबः भारत के कुछ बड़े ब्रांड के जिम या कॉरपोरेट ऑफिस में खुले जिम में क्लाइंट का मेडिकल सर्टिफिकेट जरूरी होता है। गिने-चुने बड़े शहरों के चुनिंदा जिम ही इसकी मांग करते हैं।

हमने देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों का रियलिटी चेक भी किया। दिल्ली-NCR के करीब दर्जनभर जिम का जायजा लिया। लेकिन इनका कोई तय स्टैंडर्ड देखने को नहीं मिला।

इन जिम में न ही कोई मेडिकल एक्सपर्ट होता है और न ही फर्स्ट एड की व्यवस्था दिखी। सबको कॉमन एडवाइज दी जाती है कि आपको रेगुलर आना है। डाइट कंट्रोल की बात तो होती है, लेकिन डायटिशियन इस बातचीत का हिस्सा नहीं होता।

सॉफ्टवेयर इंजीनियर और फिटनेस फ्रीक जयगोविंद गुप्ता अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में रहते हैं।

वह बताते हैं कि जिम को लेकर अमेरिका के नियम सख्त हैं। जिम में एडमिशन के दौरान आपकी मेडिकल रिपोर्ट मांगी जाती है। फूड चार्ट के लिए डायटीशियन से कंसल्ट करना होता है। जिम ट्रेनर को क्वालीफाइड और सर्टिफाइड होना चाहिए। सरकार की ये शर्तें अनिवार्य हैं, जिनके पूरा न होने पर जिम नहीं खोला जा सकता।

सवाल-4ः जिम जाने के लिए क्या जेंडर और उम्र भी मायने रखती है? ऐसा है तो किस उम्र के व्यक्ति का कितने लंबे समय तक जिम में वर्कआउट करना सेफ है? क्या वेट ट्रेनिंग जिंदगी भर की जा सकती है?

जवाबः भारत में जिमगोअर्स ज्यादातर युवा हैं। यहां उम्र को लेकर कोई रोक-टोक नहीं है। ‘फिटनेस प्लस’ जैसेफिटनेस सेंटर्स के एक्सपर्ट 20 से 50 तक की उम्र वालों को जिम जाने की सलाह देते हैं।

पर्सनल फिटनेस ट्रेनर अभिजीत साहू कहते हैं कि हर उम्र के लोग जिम जा सकते हैं। रोज 40-45 मिनट ही एक्सरसाइज के लिए काफी हैं। अगर उम्र अधिक है तो 30 मिनट ही एक्सरसाइज करें।

मगर जयगोविंद बताते हैं कि अमेरिका में नाबालिग को जिम में एंट्री से पहले अपने पेरेंट्स का कंसेंट लेटर लेकर आना होता है।

अमेरिका में जहां नाबालिग को जिम जाने के लिए माता-पिता की अनुमति लेनी होती है लेकिन एक्सपर्ट के मुताबिक भारत में ऐसा कोई नियम नहीं है

सवाल-5ः जिम में अचानक आए हार्ट अटैक की अहम वजह क्या होती है? इसे जानना जरूरी क्यों है?

जवाबः ‘पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ में काॉर्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर के श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं- ज्यादातर हार्ट अटैक के मामले सुबह के वक्त होते हैं। दरअसल, सुबह के समय ब्लड प्रेशर बढ़ा होता है।

सुबह ब्लड क्लॉटिंग टेंडेंसी भी ज्यादा देखी गई है। अगर किसी व्यक्ति की कोरोनरी आर्टरी में पहले से ही रिस्क फैक्टर्स हैं और वह रात में ठीक से सोया नहीं है या उसके शरीर में पानी की कमी है, तो ज्यादा हार्ड एक्सरसाइज करते वक्त धमनियों में ब्लड क्लॉटिंग बढ़ सकती है। क्योंकि एक्सरसाइज कर रही बॉडी की एक्सट्रा ऑक्सीजन की डिमांड पूरी नहीं होती। यहीं से मामला सीरियस हो जाता है।

जिम में युवाओं के साथ हो रही ऐसी घटनाओं की वजह यही है। एक्सरसाइज बुरी नहीं है, मगर कुछ भी करने से पहले ये जानना जरूरी है कि बॉडी में कोरोनरी आर्टरी में ऐसे प्लेक्स तो नहीं बन रहे हैं या फिर उन रिस्क फैक्टर्स को कंट्रोल करें ताकि ये टूटे नहीं।

सवाल-6ः जिम जाने से पहले या जिम जाने के बाद बॉडी को लेकर क्या सावधानी बरतें? फिजिकल चेकअप कितना जरूरी?

जवाबः वाराणसी में पंडित दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय में डॉ.  … मिश्रा कहते हैं कि जिम में एक्सरसाइज करें, मगर अपनी बॉडी में ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल लेवल की जांच रेगुलर कराते रहें।

अगर, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ा है या लिपिड प्रोफाइल बढ़ी है तो डॉक्टर से मिलकर कोरोनरी एंजियोग्राफी करानी करानी चाहिए। रोजाना 30 से 45 मिनट की एक्सरसाइज ही ठीक है। इससे ज्यादा करने पर बॉडी पर बुरा असर पड़ता है।

सवाल-8ः सातों दिन न करें एक्सरसाइज, बॉडी को 1 दिन का दें आराम

जवाबः डॉ. श्रीतेश मिश्रा बताते हैं कि सही तरीका तो यही है कि एक्सरसाइज करने जा रहे हैं तो बॉडी पार्ट्स की एक्सरसाइज को दिनों में बांट लें।

सप्ताह में 2 दिन अपर लिंब्स की एक्सरसाइज करें, दो दिन चेस्ट और बैक की करें। दो दिन लोअर लिंब्स की एक्सरसाइज करें। बाकी 1 दिन रेस्ट करें। रेस्ट का 1 दिन उतना ही जरूरी है, जितने रोज के 6 दिन की एक्सरसाइज। आप आराम से संडे मनाइए। ये बॉडी के लिए फायदेमंद होगा।

आप रोजाना जिम जा रहे हैं तो ग्राफिक में दी बातों का जरूर ध्यान रखें, बड़े काम की बातें हैं

सवाल-12 मसल डिस्मॉफिर्या क्या है? क्या फिटनेस फ्रीक इस डिसऑर्डर का शिकार होते हैं?

जवाबः मसल डिस्मॉर्फिया एक किस्म का मेंटल डिसऑर्डर है। इसमें इंसान जबरन यह मानने लग जाते हैं कि मेरे शरीर में खामी है और खुद के बारे में निगेटिव सोचने, मेकअप और कपड़ों के जरिए उन खामियों को छिपाने की कोशिश करते हैं। दूसरों के लुक से खुद की तुलना करना, हमेशा परफेक्ट दिखने की आदत भी इस डिसऑर्डर का हिस्सा है।

ब्रिटेन में युवाओं पर हुआ सर्वे कहता है कि 54 फीसदी पुरुष और 49 फीसदी महिलाएं बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर से जूझ रही हैं। वहीं, जिम जाने वाला हर 10वां पुरुष मसल डिस्मॉर्फिया से पीड़त है।

भारत में फिटनेस सेंटर का कारोबार लघु उद्योग माना जाता है, लाइसेंस भी इसी के तहत मिलता है। जिम का मार्केट जान लेते हैं

सवाल-13ः लड़कियां शादी से पहले जिम जाती हैं। इससे उनके पीरियड्स, हॉर्मोंस और हेल्थ पर क्या किसी तरह का असर पड़ता है?

जवाबः आजकल शादी से पहले लड़कियां वेट लूज करने या अपनी फिगर को मेनटेन करने के लिए कीटो डाइट अपनाने के साथ-साथ कड़ी एक्सरसाइज भी करने लगती हैं। ऐसा करने से या फिर ज्यादा समय तक भूखे रहने से फीमेल हॉर्मोन गड़बड़ाने लगते हैं। इससे कॉर्टिसोल लेवल और पीरियड्स का साइकिल भी गड़बड़ा जाता है। कड़ी एक्सरसाइज करने से किडनी के पास मौजूद एड्रिनल ग्लैंड्स पर इसका बुरा असर पड़ता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *