दुनियाभर में पर्यावरण की बात करने वालों की क्यों हो रही हैं हत्याएं?
दुनियाभर में पर्यावरण की बात करने वालों की क्यों हो रही हैं हत्याएं?
अमेरिका, यूके और यूरोप पर्यावरण की रक्षा करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बना रहे हैं. हालांकि इन देशों में लोगों की हत्या नहीं होती है लेकिन वे पर्यावरण की रक्षा करने वालों को परेशान कर रहे हैं.
हर दिन मानवाधिकार और पर्यावरण की रक्षा के लिए आवाज उठाने वाले लोगों को अक्सर परेशान किया जाता है, धमकी दी जाती है या यहां तक कि मारे भी जाते हैं. ये बात हम नहीं, ग्लोबल विटनेस की एनुअल रिपोर्ट 2023 में कहा गया है.
ग्लोबल विटनेस का मानना है कि जलवायु संकट एकतरफा है. बड़ी कंपनियां जो प्रदूषण फैलाती हैं, उनके पास सारी ताकत है. वे विनाश करके मुनाफा कमाते हैं, लेकिन लोगों को ही इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं.
ग्लोबल विटनेस ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि कैसे बड़ी कंपनियां प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करती हैं और भ्रष्टाचार का इस्तेमाल करती हैं. इनमें विशेष रूप से शेल कंपनियां शामिल हैं. इन कंपनियों का इस्तेमाल करके बड़ी कंपनियां बहुत सारे पैसे कमाती हैं. ये कंपनियां अक्सर ऐसे देशों को लूटती हैं जिनके पास बहुत सारे खनिज होते हैं, जैसे कि कांगो.
सबसे ज्यादा हत्या कहां?
रिपोर्ट के अनुसार, 2012 से अब तक 2106 लोग पर्यावरण की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवा चुके हैं. 2022 में कम से कम 177 लोगों की हत्या कर दी गई थी, इनमें से 36% आदिवासी थे और अकेले कोलंबिया में 60 लोगों की जान चली गई. 2022 में जो हत्याएं हुईं उनमें से ज्यादातर लैटिन अमेरिका में हुईं. दुनियाभर में 88% हत्याएं लैटिन अमेरिका में हुईं. ब्राजील में 34 हत्याएं हुईं, मेक्सिको में 31 और होंडुरास में 14 हत्याएं हुईं. फिलीपींस में कुल 11 रक्षकों की हत्या की गई.
सिर्फ 2023 में ही कम से कम 196 पर्यावरण कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई थी क्योंकि वे अपने घर या समुदाय की रक्षा करने की कोशिश कर रहे थे. कोलंबिया लगातार दूसरे साल पर्यावरण रक्षकों के लिए सबसे खतरनाक देश बन गया है. यहां 2023 में रिकॉर्ड 79 रक्षकों को वहां मार दिया गया. ये आंकड़ा एक ही साल में ग्लोबल विटनेस की ओर से दर्ज किए गए किसी भी अन्य देश से ज्यादा है.
2012 से अब तक कोलंबिया में ऐसी 461 हत्याएं हुई हैं, जो किसी भी देश की सबसे अधिक है. 2023 में कोलंबिया के बाद ब्राजील में 25 हत्याएं दर्ज की गईं, जबकि मेक्सिको और होंडुरास में 18-18 पर्यावरण रक्षकों की जान चली गई.
अमेजन के जंगलों में 2014 से 296 रक्षकों की हत्या
ग्लोबल विटनेस के विश्लेषण से पता चलता है कि अमेजन दुनिया में सबसे खतरनाक स्थानों में से एक है. यहां पिछले साल 39 हत्याएं हुईं. दुनिया में हर पांच में एक मौत यहां हुई. इन हत्याओं में ब्रिटिश गार्जियन पत्रकार डोम फिलिप्स और विशेषज्ञ ब्रूनो पेरेरा का नाम भी शामिल हैं. पिछले साल जून में ब्राजील के अमेजन में घूमते समय बंदूकधारियों ने मार दिया था. कुल मिलाकर 2014 से अमेजन में कम से कम 296 रक्षकों की हत्या की गई है.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेजन के जंगलों में रहने वाले आदिवासी लोगों को भी कई तरह के खतरे हैं. इन खतरों में सोने की खान और लकड़ी काटना शामिल है. कई कंपनियां जो ब्रिटेन, यूरोप और अमेरिका में हैं, इन आदिवासी लोगों के अधिकारों का हनन कर रही हैं. इन कंपनियों के पास से सोना निकाला जा रहा है. यह सोना इटली की एक कंपनी Chimet और एक सोने की खान कंपनी Serabi Gold के पास पाया गया है.
फिलीपींस में कुल आंकड़ा बढ़कर 468 हुआ
फिलीपींस में पिछले साल कम से कम 17 रक्षकों की जान चली गई थी, जिससे 2012 से देश का कुल आंकड़ा बढ़कर 468 हो गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जब से पूर्व तानाशाह के बेटे फर्दिनेंड मार्कोस जूनियर ने जून 2022 में पदभार संभाला है, तब से लोगों का जबरन गायब होना, किसी का अपहरण होना या जेल में डाल दिया जाता है.
अन्य एशियाई देश जहां पिछले साल रक्षकों को मार दिया गया था, उनमें भारत और इंडोनेशिया शामिल हैं. यहां क्रमशः पांच और तीन हत्याएं हुई हैं. पूरे अफ्रीका में पिछले साल चार रक्षकों की हत्या की गई थी, जिससे 2012 से कुल संख्या बढ़कर 116 हो गई.
पर्यावरण रक्षकों की हत्याओं के लिए कौन जिम्मेदार है?
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राइवेट कंपनियों ने ही ज्यादातर हिंसा की है. लेकिन सरकारें भी इसमें शामिल हैं. बहुत सी हिंसा इसलिए हुई क्योंकि लोग बुनियादी ढांचा बनाने, जंगल काटने और खनन के काम से नाराज थे. ये काम निजी कंपनियों द्वारा किए जा रहे थे और सरकार ने इन कंपनियों को इसकी इजाजत दी थी.
कंपनियों को काम शुरू करने से पहले पर्यावरण पर क्या असर पड़ेगा, इसका अध्ययन करना चाहिए. साथ ही, उन्हें लोगों से भी बात करनी चाहिए कि परियोजना से उनके जीवन पर क्या असर पड़ेगा. लेकिन दुनिया भर में कई जगहों पर, कंपनियां और सरकारें इन नियमों का पालन करने में नाकाम रही हैं बल्कि इनसे बचने की कोशिश कर रही हैं.
ग्लोबल विटनेस की को-डायरेक्टर श्रुति सुरेश (अंतरिम) ने कहा, “लंबे समय से पर्यावरण रक्षकों के खिलाफ घातक हमलों के लिए जिम्मेदार लोग हत्या करके बच निकलते रहे हैं. दुनिया भर में रक्षकों को चुप कराने के लिए हिंसा, धमकी और उत्पीड़न भी किया जा रहा है. गैर जिम्मेदार कॉर्पोरेट और सरकारी कार्यों से धमकी दिए जाने के बावजूद लोगों का यह वैश्विक आंदोलन दृढ़ संकल्प के साथ जारी है. उन्हें चुप नहीं किया जा सकता.”
अमेरिका, यूके और यूरोप पर्यावरण रक्षकों को कैसे दबा रहे हैं?
अमेरिका, यूके और यूरोप पर्यावरण की रक्षा करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बना रहे हैं. हालांकि इन देशों में लोगों की हत्या नहीं होती है लेकिन वे पर्यावरण की रक्षा करने वालों को परेशान कर रहे हैं. अमेरिका में 20 से ज्यादा राज्यों ने ऐसे कानून बनाए हैं जो प्रदर्शनकारियों को सड़कों, बिजली घरों और पाइपलाइनों को रोकने से रोकते हैं. प्रदर्शनकारियों को भारी जुर्माना लगाया जा सकता है और उन्हें कई सालों के लिए जेल भी भेजा जा सकता है.
यूरोप में भी ऐसे ही कानून बनाए गए हैं. यूके का पब्लिक ऑर्डर एक्ट ऐसा ही एक कानून है. इस कानून से पुलिस को प्रदर्शनकारियों को रोकने का अधिकार मिलता है. अगर प्रदर्शनकारियों ने बहुत ज्यादा शोर किया या यातायात में बाधा डाली तो पुलिस उन्हें सख्ती से रोक सकती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन सब की वजह से पर्यावरण की रक्षा करने वालों को अपराधी समझा जाने लगा है. जर्मनी में, अधिकारियों ने प्रदर्शन होने से पहले ही लोगों के घरों पर छापा मारा और कार्यकर्ताओं को जेल में बंद कर दिया गया. कई मीडिया संस्थान और सरकारी एजेंसियां भी प्रदर्शनकारियों को बुरा भला कहती हैं.
ये भी कहा गया है, “दुनिया भर में पर्यावरण रक्षकों के लिए बेहद बुरे शब्दों से बदनाम किया जा रहा है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. रक्षकों को जलवायु चरमपंथी कहा जाता है और उन्हें आतंकवादी कहकर पुकारा जा रहा है. इसके साथ ही मुकदमे बढ़ रहे हैं, पुलिस अत्याचार कर रही है और अदालतें भी रक्षकों को डरा रही हैं.”
EU में कंपनियों को बनाया गया जवाबदेह
यूरोपियन यूनियन (EU) ने एक नया कानून बनाया है जो कंपनियों को पर्यावरण की रक्षा करने के लिए जिम्मेदार बनाता है. इस कानून की वजह से दुनिया भर के लोग कंपनियों को कोर्ट में ले जा सकते हैं और उन्हें पर्यावरण नष्ट करने से रोक सकते हैं. ग्लोबल विटनेस और उसके साथी संगठन इस कानून के लिए बहुत समय से लड़ रहे थे. दिसंबर 2023 में यह कानून बन गया.
लेकिन मार्च 2024 में कुछ लोगों ने इस कानून को कमजोर कर दिया. अब यह कानून पहले से कम ताकतवर है. पिछले साल कुछ देश इस कानून को रोकना चाहते थे. ग्लोबल विटनेस ने भी इस कानून को मजबूत बनाने के लिए कोशिश की. जब यह कानून यूरोपियन संसद में था, तो उन्होंने इस कानून के समर्थन में सबूत और तर्क दिए.
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2012 से अब तक 2,000 से अधिक पर्यावरण संरक्षकों ने अपनी जान गंवाई: ग्लोबल विटनेस रिपोर्ट
ग्लोबल विटनेस की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 2012 से अब तक कुल 2,106 लोगों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनी जान गंवाई है। अकेले 2023 में, कम से कम 196 पर्यावरण रक्षक अपने घरों या अपने समुदायों की रक्षा करने के लिए संघर्ष करते हुए मारे गए।
यह चिंताजनक आंकड़ा पर्यावरण और भूमि अधिकारों के लिए आवाज उठाने वालों के खिलाफ हिंसा के वैश्विक संकट को रेखांकित करता है।
कोलंबिया लगातार दूसरे साल डिफेंडर्स के लिए सबसे घातक देश बनकर उभरा है। 2023 में, वहाँ रिकॉर्ड 79 डिफेंडर्स मारे गए – ग्लोबल विटनेस द्वारा दर्ज किए गए एक साल में किसी भी अन्य देश से ज़्यादा। 2012 से, कोलंबिया में 461 ऐसी हत्याएँ हुई हैं, जो किसी भी देश से ज़्यादा है।
कोलंबिया के बाद ब्राजील में 25 लोगों की मौत हुई, जबकि मैक्सिको और होंडुरास में 18-18 सुरक्षाकर्मियों की जान गयी।
मध्य अमेरिका, विशेष रूप से, कार्यकर्ताओं के लिए सबसे खतरनाक क्षेत्रों में से एक बन गया है, जहां पिछले वर्ष प्रति व्यक्ति हत्याओं की संख्या सबसे अधिक होंडुरास में रही।