MP के सरकारी स्कूलों का कमजोर प्रदर्शन …!
उत्कृष्ट रैकिंग में इंदौर 8 तो भोपाल 19वी पायदान पर, दमोह टॉप पर ..
मध्यप्रदेश में पहली बार सरकारी स्कूलों की रैंकिंग पर काम किया जा रहा है। सरकारी स्कूलों की रिपोर्ट कार्ड में भोपाल टॉप 10 में जगह नहीं बना पाया है। ए रैंक तो लाने में कामयाब हो गया, लेकिन यह बॉर्डर लाइन (75.1%) पर है। एक और चौंकाने वाली बात है कि टैबलेट में भोपाल को 10 में से 10 अंक मिले, लेकिन कोर्स कराने के मामले में 10% अंक भी नहीं ला सका। उसे इस श्रेणी में 10 में से 0.9 नंबर मिले हैं, जबकि इंदौर ने अपनी रैंक सुधारते हुए इस बार टॉप 10 में जगह बनाने में कामयाब हो गया है। दमोह 83.2 अंक लेकर टॉप पर है। इस बार इंदौर 8 तो भोपाल 19वी पायदान पर रहा।
स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार विषयान्तर्गत प्रदेश में गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध कराने की दृष्टि से यह नया प्रयोग किया जा रहा है। इसके लिए सभी स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता, प्रशिक्षण आवश्यक अधोसंरचना, विभिन्न शासकीय योजनाओं की हितग्राहियों तक समय पर पहुंच आदि कार्य प्राथमिकता से किए जा रहे हैं। इसी क्रम में जिलों में संचालित गतिविधि योजनाओं एवं विभिन्न कार्यक्रमों की समीक्षा के आधार पर जिलों की ग्रेडिंग निर्धारित गई है।
52 जिलों की रैंकिंग बनाई गई
जिला स्तरीय ग्रेडिंग निर्धारित करने में प्रमुख रूप से वार्षिक परीक्षा परिणाम, सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों का निराकरण, व्यावसायिक शिक्षा हेतु नामांकन, निष्ठा प्रशिक्षण इंस्पायर अवाॅर्ड, विद्यालयों में टैबलेट की उपलब्धता, ब्रिजकोर्स, नामांकन एवं ठहरा इत्यादि मानकों में जिलों के प्रदर्शन की समीक्षा की गई। इसके बाद 52 जिलों की रैकिंग बनाई गई।
अगली रैंकिंग में आईसीटी योजना भी जोड़ा जाएगा
आगामी तिमाही में स्कूल स्तर पर आईसीटी योजना का क्रियान्वयन छमाही परीक्षा परिणाम छात्रवृत्ति वितरण, परिवेदना निवारण उपचारात्मक कक्षाओं का आयोजन शैक्षणिक मॉनिटरिंग, वित्तीय व्याय आदि बिन्दुओं को शामिल करते हुए पुनः समीक्षा करके ग्रेडिंग निर्धारित की जाएगी।
इनमें माह की प्राथमिकता के अनुसार समसामयिक रूप से परिवर्तन किए जाते रहेंगे। इस तरह समग्र शिक्षा योजना के अंतर्गत संचालित कार्यक्रम और गतिविधियों के साथ ही छात्रों के सीखने के प्रतिफल, शिक्षकों की क्षमता संवर्धन, शालाओं में उपलब्ध संसाधन और विभिन्न मूल्यांकनों में शालाओं के प्रदर्शन आदि को ध्यान में रखते हुए प्रदर्शन आधारित रैंकिंग तैयार की गई है।
इस तरह मार्किंग हुई
- उत्कृष्ट (A+) 90-100
- अच्छा (A) 75-89.99
- संतोषजनक (B) 60-74.99
- औसत (C)50-59.99
- खराब (D) 0-49.99
मध्यप्रदेश में कोई भी A+ नहीं पा सका
मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों को 5 श्रेणी में ग्रेडिंग दी गई है। प्रदेश का कोई भी स्कूल 90 के मार्क्स को नहीं छू जा सका। सबसे ज्यादा दमोह को 83.2% मिले हैं। मध्यप्रदेश में कोई भी स्कूल उत्कृष्ट की श्रेणी हासिल नहीं कर सका। हालांकि डी रैंकिंग किसी को नहीं दी गई है। भोपाल ए श्रेणी में सबसे नीचे 19 नंबर पर है।
सीएम के निर्देश के बाद इसी साल रैकिंग शुरू की
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शासकीय शालाओं की रैंकिंग प्रणाली विकसित करने और सीएम डैशबोर्ड में प्रदर्शित करने के निर्देश पर अमल करते हुए राज्य शिक्षा केंद्र ने प्राविधिक रैंकिंग जारी की हैं। जिलों की रैंकिंग में शाला, विद्यार्थी, शिक्षक और प्रबंधन कार्य प्रमुख केंद्र रहे है। सभी जिला कलेक्टर्स से सुधारात्मक सुझाव एवं आपत्तियां प्राप्त किए जाएगे। जिलों से प्राप्त सुझावों एवं आपत्तियों के आधार पर आवश्यक संशोधनों के बाद अंतिम रुप से जिलों की रैंकिंग निर्धारित कर सीएम डैशबोर्ड पर प्रदर्शित की जाएगी।