देश की टीम नहीं पैसा चाहिए, इंटरनेशनल क्रिकेट खतरे में है, चौंकाने वाली रिपोर्ट
फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल क्रिकेटर्स एसोसिएशन (FICA) के एक सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े आए हैं. जिनके मुताबिक खिलाड़ी देश के अलावा दूसरी लीग्स में भी खेलना चाहते हैं.
भारतीय टीम को टी20 वर्ल्ड कप 2022 के सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ 10 विकेट से हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद भारतीय प्लेयर्स को IPL के अलावा दूसरे देशों की टी20 लीग्स में खेलने की मांग उठने लगी. फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल क्रिकेटर्स एसोसिएशन (FICA) की एक रिपोर्ट के अनुसार चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर प्लेयर्स अपने देश के अलावा दूसरी टी20 लीग में खेलना चाहते हैं, जिससे उन पर वित्तीय भार ज्यादा ना पड़े.
कॉन्ट्रैक्ट से बंधे नहीं रहना चाहते खिलाड़ी
फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल क्रिकेटर्स एसोसिएशन (FICA) द्वारा आयोजित 2022 मेन्स ग्लोबल एम्प्लॉयमेंट की रिपोर्ट के अनुसार इसका मतलब है कि टॉप 100 टी20 खिलाड़ियों में से 82% केवल एक नेशनल कॉनट्रैक्ट से बंधे नहीं रहना चाहते हैं, जो खिलाड़ियों के लिए भरण-पोषण और पैसे कमाने का इकलौता तरीका हुआ करता था. FICA की रिपोर्ट में 11 देशों के 400 से ज्यादा प्लेयर्स से सर्वे प्राप्त किए गए, जिसमें भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ी शामिल नहीं हैं.
घरेलू क्रिकेट को हो रहा खतरा
जब ज्यादातर प्लेयर्स नेशनल क्रिकेट, टी20 लीग और विदेशी टी20 लीग्स में खेलेंगे, तो इससे घरेलू टी20 लीग को नुकसान हो रहा है. आज के समय में इंटरनेशनल क्रिकेट ज्यादा खेला जा रहा है. पहले ही टी20 लीग रोस्टर में 2023 से दो नए टूर्नामेंट्स का आगमन हुआ, जिसमें ILT20 और SA20, दोनों जनवरी में शुरू होंगी.
7 टी20 लीग्स में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी
दुनियाभर में कई ऐसे क्रिकेटर्स हैं, जिन्होंने एक से ज्यादा टी20 लीग्स में हिस्सा लिया है. साल 2021 में राशिद खान, मोहम्मद नबी और मुजीब उर रहमान की अफगानिस्तान तिकड़ी के साथ सात टी20 लीग में भाग लिया, जिनमें से सभी ने एक ही साल में आधा दर्जन टी20 लीग्स खेली.
BCCI नहीं देती इजाजत
BCCI भारतीय प्लेयर्स को आईपीएल के अलावा किसी दूसरी विदेशी लीग में खेलने की अनुमति नहीं देता है. रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के शीर्ष टी20 खिलाड़ियों में से 40%” के पास ‘टॉप 9 क्रिकेट देश’ (जिम्बाब्वे, आयरलैंड, अफगानिस्तान को 12 पूर्ण सदस्य देशों में शामिल नहीं) के साथ सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट नहीं है. जिन प्लेयर्स से पास कॉन्ट्रैक्ट नहीं होता है वो पैसे कमाने के लिए दूसरी विदेशी लीग में खेलने के लिए मजबूर रहते हैं.
विदेशी लीग में खेलने पर मिलता है पैसा
विदेशी लीग में खेलने पर प्लेयर्स को ज्यादा पैसा मिलता है. आईपीएल में दुनिया भर के क्रिकेटर्स खेलते हैं. यहां खेलकर क्रिकेटर्स पैसा और शोहरत दोनों ही कमाईं हैं. आईपीएल में खेलकर कई प्लेयर्स ने करियर बनाया है. पेशवर क्रिकेट में प्लेयर्स पैसे को ज्यादा तरजीह देने लगे हैं. FICA की पिछली रिपोर्ट के बाद से घरेलू कमाई और इंटरनेशनल कमाई के बीच का अंतर और बढ़ गया है
बेन स्टोक्स की गिनती दुनिया के विस्फोटक ऑलराउंडर्स में होती है. वह टेस्ट मैच और टी20 क्रिकेट खेल रहे हैं, लेकिन वनडे मैचों से उन्होंने संन्यास ले रखा है. वहीं, साउथ अफ्रीका के खतरनाक ओपनर क्विंटन डि कॉक ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया है और वह सफेद गेंद का क्रिकेट ही खेल रहे हैं. ट्रेंट बोल्ट ने भी न्यूजीलैंड का सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट छोड़ दिया और एक मुफ्त एजेंट बनने का फैसला किया. बोल्ट अब विदेशी लीग्स में खेलने के लिए आजाद हैं. मार्टिन गप्टिल भी अब इस लाइन में लग गए हैं.
बदल गया है क्रिकेट
इंटरनेशनल क्रिकेट का परिदृश्य बहुत ही ज्यादा बदल गया है. FICA ने 2003 और 2021 के बीच सालों में ODI/T20 की संख्या की तुलना की. 2003 में कोई इंटरनेशनल T20 क्रिकेट नहीं था, लेकिन खेले गए 196 इंटरनेशनल मैचों में से 71% मैचों में से 44 टेस्ट मैचों के साथ 152 वनडे मुकाबले थे. 2021 में, ब्रेक-अप के साथ तीन फॉर्मेट्स में 485 इंटरनेशनल मैच खेले गए: 346 T20I (71%), 46 टेस्ट (9%) और 93 ODI (19%)-T20I में मैचों की ताlदाद लगातार बढ़ी है.
कई बार ऐसा देखने में आता है कि इंटरनेशनल क्रिकेट का कार्यक्रम और टी20 लीग का आयोजन एक साथ हो जाता है. ऐसे में प्लेयर्स इंटरनेशनल क्रिकेट को छोड़ देते हैं. FICA की रिपोर्ट के अनुसार टी20 लीग में प्लेयर्स को कम काम के लिए ज्यादा पैसा मिलता है. बड़े क्रिकेटर्स इसी वजह से इंटरनेशनल क्रिकेट से दूर हो रहे हैं, जो कि बिल्कुल ठीक बात नहीं है.