भारत सर्वाधिक आबादी वाला देश बनेगा …!
2050 तक हमारी औसत उम्र 40 से कम, 2064 से आबादी घटने लगेगी ….
इस साल भारत 142.2 करोड़ लोगों के साथ चीन को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन सकता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, 2050 में भारत की जनसंख्या 166 करोड़ तक पहुंचने के आसार हैं। इस अवधि में चीन की आबादी घटकर 131 करोड़ होगी। 2064 में भारत अपनी जनसंख्या के चरम (169 करोड़) तक पहुंचेगा और इसके बाद गिरावट शुरू होगी। वहीं, चीन में 2021 से आबादी घटनी शुरू हो गई है। चीन की तुलना में भारत की बढ़ती आबादी नुकसान के बजाए हमारे विकास के लिए फायदेमंद साबित होगी।
किसी भी देश की जनसंख्या दर 3 फैक्टर से तय होती है। पहला- मृत्यु दर में कमी, दूसरा- प्रजनन दर और तीसरा- शुद्ध प्रवासियों की संख्या। भारत और चीन दोनों की ही आबादी में प्रवासियों का ज्यादा असर नहीं है। 1950 और 1960 के दशक में दोनों देशों की प्रजनन दर भी लगभग एक-सी थी। मगर 1980 में चीन ने एक ही बच्चे की नीति सख्ती से लागू कर दी, जिससे वहां प्रजनन दर अप्रत्याशित रूप से कम होने लगी। वहीं, भारत ने भी आजादी के बाद परिवार नियोजन जैसे कार्यक्रम अपनाए, लेकिन इमरजेंसी को छोड़ दें तो व्यापक स्तर पर इसका सकरात्मक असर ही रहा। भारत को प्रजनन दर में कमी लाने में 46 साल लग गए, जबकि चीन ने राजनीतिक माहौल और सख्त आबादी नियंत्रण के तरीकों से यही काम बहुत तेजी से 26 साल में कर लिया। आज यह घटती आबादी उसकी मुसीबत बन गई है।
आबादी नियंत्रण का सवाल
संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट कहती है कि भारत की आबादी बढ़ रही है, पर इसकी रफ्तार धीमी है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के मुताबिक, हमारे अधिकांश राज्य आवश्यक प्रजनन दर तक पहुंच चुके हैं। सिर्फ वही महिलाएं दो से ज्यादा बच्चे चाहती हैं, जो कभी स्कूल नहीं गईं। अगर स्कूली शिक्षा तक लड़कियों की पहुंच आसान बना दी जाए तो आबादी नियंत्रण के लिए कोई नीति लाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने से भी प्रजनन का निर्धारित लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
’80 से ज्यादा देश आबादी सिकुड़ने से परेशान, 55 देश तो प्रजनन दर बढ़ाने को लुभावने ऑफर दे रहे हैं’
आबादी वरदान या अभिशाप
अगर देश की भारी भरकम कामकाजी आबादी का ठीक से इस्तेमाल किया जाए तो यह आर्थिक विकास की रफ्तार तेजी से बढ़ा सकती है। चीन में औसत उम्र 2022 में ही 40 से ऊपर पहुंच चुकी है। जबकि भारत में 2050 के मध्य तक औसत उम्र 40 पहुंचेगी। लेकिन यदि जनसंख्या नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाए तो अमीर बनने से पहले ही देश बूढ़ा हो जाएगा। भारत में पहले से ही अत्यधिक विषम लिंगानुपात है। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एक बार जब प्रजनन क्षमता कम हो जाती है, तो प्रवृत्ति को उलटना बहुत कठिन होता है।
प्रजनन दर बढ़ाना बड़ी चुनौती
विश्व स्तर पर मानव आबादी घट रही है और यह भू-राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है। 80 से ज्यादा देश सिकुड़ती आबादी से पीड़ित हैं। इनमें 55 देश तो इसे बढ़ाने के लिए कई लुभावनी योजनाएं ला चुके हैं। फिर भी बेअसर हैं। दक्षिण कोरिया और चीन इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं, जहां जोड़ों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करना मुश्किल हो रहा है। बुजुर्ग आबादी बढ़ रही है। अभी चीन में उसकी आबादी में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग 17% हंै, जबकि भारत में यह आंकड़ा करीब 9.7% है। वर्तमान में, चीन दुनिया में सबसे कम प्रजनन दर वाला देश है, जबकि चीन ने एक बच्चे की नीति खत्म करते हुए 2016 में सभी परिवारों को दो बच्चों की इजाजत दे दी थी, पर लोग प्रेरित नहीं हुए। क्योंकि महंगाई के चलते चीन में दूसरे बच्चे का खर्च उठाना मुश्किल हो रहा है। चाइल्डकेयर सुविधाएं भी अच्छी नहीं हैं। इसके चलते चीन सरकार को 2021 में 3 बच्चों का अनिवार्य कानून लाना पड़ा।
फैक्टशीट- युवा कामकाजी आबादी सबसे बड़ा बाजार बनाएगी
- 1963 में चीन की आबादी 3.26% और भारत की 2.3% की दर से बढ़ रही थी। मगर 2022 में चीन में यह घटकर -0.01% रह गई और हमारी 0.7% है।
- भारत की 45% आबादी 25 साल से कम उम्र की है और चीन की 30%। युवाओं की ये आबादी देश को सबसे बड़ा बाजार बनाती है। वर्कफोर्स मजबूत करती है।
- संसाधनों के उपभोग में भारत विकसित देशों से पीछे हैै। एक भारतीय, अमेरिकी से 16 गुना कम संसाधन इस्तेमाल करता है।
- सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बनने के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी भी और ज्यादा मजबूत हो सकती है।