CAPF: आतंकियों-नक्सलियों से लोहा लेने वाले और बॉर्डर के रक्षक, सीएपीएफ जवान इसलिए कर रहे UPS का विरोध
केंद्र सरकार ने एकीकृत पेंशन योजना (UPS) के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) और पेंशन से जुड़े कई अहम लाभ गिनाए हैं। हालांकि, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के जवान पेंशन और वीआरएस से जुड़े नियमों से असहमत हैं। उन्होंने सरकार को अपनी चिंताओं से अवगत कराया है।
एकीकृत पेंशन योजना के बावजूद सीएपीएफ जवानों की चिंताएं दूर नहीं (प्रतीकात्मक)
नई पेंशन योजना ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ (यूपीएस) पर केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी संगठनों की नाराजगी के बाद अब केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तरफ से भी आवाज उठने लगी है। चूंकि ये अनुशासित बल हैं और यहां पर किसी तरह की कोई एसोसिएशन भी नहीं होती, इसलिए सीएपीएफ के जवान सोशल मीडिया के जरिए अपने मन की बात आगे ला रहे हैं। हाल ही में एक जवान द्वारा यूपीएस के प्रावधानों को लेकर व्यक्त गई पीड़ा, एक्स पर वायरल हो रही है। जवान ने लिखा, जयहिंद, मैं सीआरपीएफ में तैनात हूं। मेरी सेवा के 18 वर्ष पूरे हो चुके हैं। मैं 20 वर्ष बाद पेंशन (वीआरएस) जाना चाहता हूं। वजह, इस बल में बढ़ती आयु के साथ बल की डिमांड, शारीरिक रूप से पूरी कर पाना मुश्किल हो रहा है। अब सरकार ने यूपीएस में ऐसा प्रावधान कर दिया है कि पेंशन जाने के लिए न्यूनतम सेवा कार्यकाल 25 वर्ष कर दिया है। ऐसे में अगर 45 वर्ष की आयु में वीआरएस लेते हैं तो पेंशन साठ वर्ष की आयु में शुरु होगी। इस परिस्थिति में जवानों का परिवार क्या करेगा। गुजारा कैसे होगा, परिवार की जरुरतें, जैसे बच्चों के शादी ब्याह व मकान बनाना आदि कार्य कैसे पूरे होंगे।
बहुत ही विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है
जवान ने सोशल मीडिया पर अपनी एक पोस्ट में लिखा, जयहिंद, मैं सीआरपीएफ में तैनात हूं। मेरी सेवा के 18 वर्ष पूरे हो चुके हैं। मैं 20 वर्ष बाद पेंशन (वीआरएस) जाना चाहता हूं। वजह, इस बल में बढ़ती आयु के साथ बल की डिमांड, शारीरिक रूप से पूरी कर पाना मुश्किल हो जाता है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 4-5 दिनों तक जंगलों में दिन-रात एक बड़े जोखिम के बीच चलना पड़ता है। साथ में 15-20 किलोग्राम वजन भी रहता है। जंगल में भोजन, पीने का पानी, नहाना और मौसम की मार जैसे गर्मी, लू व ठंड, आदि ये सब दिक्कतें भी झेलनी पड़ती है। बरसात में तो जवानों को बहुत ही विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। पानी के तेज बहाव के बीच रोजमर्रा का सामान कैंप तक लाना, एक बड़ी चुनौती होती है। इन सबके बीच, नक्सली हमले का खतरा बना रहता है। कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेना या उत्तर पूर्व में फैले उग्रवाद से लड़ाई, इन कठोर हालात में जवानों का जीवन अत्यधिक संघर्षशील होता है। जब आयु ज्यादा हो जाती है तो कई कारणों की वजह से जवान का शरीर, फोर्स की डिमांड पूरी नहीं कर सकता। इसके चलते जवान, दुर्भावना की दृष्टि से देखे जाते हैं। इन सबके बीच घरेलू समस्याएं, अलग से परेशान करती हैं।
सरकार जवानों की वेदना को समझ कर जरूरी कदम उठाए
जवान, कई माह तक अपने घर नहीं जा पाता। ऐसे में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान, अपनी मर्यादा के साथ 20-21 साल में पेंशन चले जाते हैं। यानी वे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ‘वीआरएस’ ले लेते हैं। इस स्थिति में जवानों की पीड़ा को समझने का प्रयास करें। इन्हें बीस वर्ष की सेवा में वीरआरएस दिया जाना चाहिए। अब यूपीएस में 25 साल की सेवा के बाद ही वीआरएस मिलेगी, लेकिन पेंशन के लिए 15 साल का इंतजार करना पड़ेगा। जवान ने लिखा है, वीआरएस के दिन से ही 50 प्रतिशत पेंशन देने का काम प्रारंभ हो। राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए जवान ने लिखा, इस लेख को केवल मेरा नहीं, बल्कि सभी अर्धसैनिक बलों के जवानों का आग्रह समझा जाए। हमारा कोई संगठन नहीं है। हम अनुशासित बल के सदस्य हैं। हम आशान्वित हैं कि सरकार जवानों की वेदना को समझ कर जरूरी कदम उठाएगी।
15 वर्ष तक परिवार का गुजारा कैसे होगा?
बता दें कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान को ओपीएस नहीं मिलती। वे भी केंद्र सरकार के सिविल कर्मियों की भांति एनपीएस में शामिल हैं। इन बलों में ‘पुरानी पेंशन बहाली’ का केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने इन बलों को ‘भारत संघ के सशस्त्र बल’ मानकर ओपीएस में शामिल करने के लिए कहा था, मगर केंद्र सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चली गई। अब यूपीएस के प्रावधानों से इन बलों के जवानों का दर्द छलक उठा है। अर्धसैनिक बलों में सिपाही ‘जीडी’ के लिए ज्यादातर नियुक्तियां 18 से 20 वर्ष की आयु में हो जाती हैं। यूपीएस के तहत उन्हें अब 25 साल की सेवा में वीआरएस मिलेगी। अगर वे 45 साल की आयु में वीआरएस लेते हैं तो उनकी मासिक पेंशन 60 वर्ष की आयु में शुरु होगी। ऐसे में 15 वर्ष तक परिवार का गुजारा कैसे होगा। ये कोई छोटी अवधि नहीं है।
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति और पेंशन पर क्या है जवानों की राय
यूपीएस में वीआरएस लेने की आयु और पेंशन मिलने की आयु को लेकर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों में रोष है। वे केंद्रीय कर्मचारी संगठनों के नेताओं से संपर्क कर रहे हैं। उनकी मांग है कि वीआरएस के लिए सेवा अवधि को बीस वर्ष किया जाए। इतना ही नहीं, बीस वर्ष की सेवा के बाद जब वे वीआरएस लें, तभी उनकी फुल पेंशन प्रारंभ हो। ‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने बताया, हमारे पास केंद्रीय अर्धसैनिक बलों से रोजाना कई फोन आ रहे हैं। जवानों की गुजारिश होती है कि वीआरएस के केस में सेवा का कार्यकाल 20 साल करा दें। दूसरा, वीआरएस लेते ही फुल पेंशन शुरु हो जाए। ऐसा न हो कि जवान को अपनी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन के लिए 10-15 साल इंतजार करना पड़े। अगर पेंशन, साठ वर्ष की आयु में शुरु होगी तो उस वक्त तक परिवार का गुजारा कैसे होगा। यह गारंटी भी नहीं है कि तब तक कोई जवान, जीवित ही रहे। कब, कैसी परिस्थिति आ जाए, कोई नहीं जानता। इससे पहले अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार भी यह मुद्दा उठा चुके हैं।
वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग को भेजा गया है पत्र
डॉ. मंजीत सिंह पटेल के अनुसार, यूपीएस के अतर्किक प्रावधानों के खिलाफ 28 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा गया था। उसमें केंद्रीय अर्धसैनिक बलों का विशेष हवाला देकर यह मांग की थी कि सेवानिवृत्ति/वीआरएस/अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर हर हाल में कर्मचारी अंशदान की ब्याज सहित सम्पूर्ण वापसी सुनिश्चित की जाए। वीआरएस/पेंशन के लिए सेवा 25 वर्ष से घटाकर 20 वर्ष की जाए। गुरुवार को पीएमओ से सूचना मिली है कि इस उक्त पत्र को अग्रिम कार्यवाही के लिए वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग को भेजा गया है। वीआरएस वालों को रिटायरमेंट की तय आयु पर ही पेंशन मिले, सरकार को ऐसा प्रावधान करना चाहिए। हालांकि कर्मचारियों की लड़ाई ओपीएस बहाली के लिए है। केंद्र सरकार को कम से कम, अर्धसैनिक बलों के जवानों के लिए यूपीएस के कुछ प्रावधानों को बदलना चाहिए। जवान को फुल पेंशन के लिए दस या पंद्रह वर्ष का इंतजार करना पड़े, ये ठीक नहीं है। क्या सरकार को यकीन है कि वह व्यक्ति रिटायरमेंट की आयु तक, अनिवार्य तौर पर जीवित ही रहेगा। यह गारंटी कौन देगा।