हल्द्वानी में 60 साल से बसे हुए हैं, ऐसे में उन्हें बेघर नहीं किया जा सकता- SC ने HC के आदेश पर लगाई रोक

कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वहां लोग 1947 से रह रहे हैं, उनके लिए कुछ तो करना होगा. कोर्ट ने कहा कि वे लोग 60 साल से रहे हैं, ऐसे में उनके पुनर्वास की व्यवस्था करें. कोर्ट ने कहा कि अचानक इतनी सख्त कार्रवाई कैसे कर सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाए जाने के हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. एससी ने रेलवे और उत्तराखंड सरकार को नोटिस भी जारी किया है. कोर्ट ने कहा कि सात दिन में 60 हजार लोगों को नहीं हटाया जा सकता. कोर्ट ने अगले आदेश तक के लिए 60 हजार लोगों अंतरिम राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमीन खरीद-फरोख्त का सवाल है. कोर्ट ने रेलवे से कई सवाल पूछे हैं, जैसे कि अगर वहां से अतिक्रमण हटाया जाता है तो वहां बसे लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था क्या है? एससी ने यह पूछा है कि वहां भूमि की प्रकृति क्या रही है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक मानवीय संवेदना का मामला है.

पहले करें पुनर्वास की व्यवस्था

कोर्ट ने राज्य सरकार के निर्देश दिया है कि सामाधान तीन पहलुओं पर देखें. कोर्ट ने कहा- या तो उन्हें उसी स्थान को विकसित करें, या नई जगह पुनर्वास कराएं या फिर अन्य कोई व्यवस्था करें. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि यह बिल्कुल ठीक है कि रेलवे लाइन के पास अतिक्रमण नहीं दिया जा सकता, लेकिन उनके लिए पुनर्वास और अधिकारों पर तो गैर करना होगा. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा पहले यह भूमि 29 एकड़ और फिर ज्यादा बताई गई. एससी ने राज्य सरकार से सात दिनों के भीतर पुनर्वास का प्लान मांगा है.

हल्द्वानी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 7 फरवरी को

उत्तराखंड सरकार के बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी. याचिकाकर्ता ने अतिक्रमण हटाए जाने के मामले पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसे उत्तराखंड हाई कोर्ट ने हरी झंडी दी थी. रेलवे की तरफ से कोर्ट में पेश वकील ने कहा कि हाई कोर्ट ने सभी सबूतों के आधार पर फैसला दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी.

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