ग्वालियर.  बिलौआ-रफादपुर की खदानों के मामले में आरआरसी जारी होने के बाद अब तहसीलदार की ओर से कुर्की की जाएगी। बिना कुर्की व सख्ती के खदान संचालक राशि जमा नहीं करेंगें,अब खनिज विभाग यही मान रहा है। इस मामले में खनिज विभाग ने राजस्व को मामला सौंप दिया है। अब तहसीलदार इस मामले में कभी भी कार्रवाई कर सकते हैं।

यहां यह बता दें कि नईदुनिया ने ”पांच साल पांच पांच कलेक्टर,425 करोड़ नहीं वसूले क्योंकि मंत्री-नेताओं की हैं खदानें” शीर्षक से प्रमुखता से बिलौआ-रफादपुर की खदानों के मामले को उठाया था। इसमें बताया था कि पिछले पांच साल में पांच कलेक्टर बदल गए लेकिन लीज क्षेत्र के अलावा सरकारी जमीन पर काले पत्थर का खनन करने के बाद भी कलेक्टर कोर्ट कार्रवाई नहीं कर सका। 425 करोड़ रूपए के जुर्माने का प्रस्ताव तैयार कर कलेक्टर कोर्ट में भेजा गया था लेकिन जुर्माना के आदेश जारी नहीं किए जा रहे थे। इन खदानों में नेता-मंत्रियों की खदानें भी शामिल हैं। इस पूरे मामले के खुलासे के बाद तत्काल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कलेक्टर कोर्ट के जरिए 6 मामलों में जुर्माने के आदेश जारी कर दिए।

यह था मामला

जिले के डबरा अनुविभाग के अंतर्गत रफादपुर बिलौआ क्षेत्र में इन क्रेशर आधारित खदान संचालकों ने स्वीकृत लीज के बाहर सरकारी जमीन पर अवैध उत्खनन कराया था। यह जांच वर्ष 2017 में हुई जिसमें अवैध खनन पाया गया। दोषी पाए जाने पर जुर्माना अधिरोपित किया गया।

कथन

अब तहसीलदार की ओर से कुर्की की कार्रवाई की जाएगी। छह खदान संचालकों पर साठ करोड़ से ज्यादा का जुर्माना लगा है जिसकी वसूली होना है। इन लोगों ने अपनी ओर से राशि जमा नहीं की।

प्रदीप भूरिया, जिला खनिज अधिकारी