कहीं आप हेलीकॉप्टर पेरेंट तो नहीं

कहीं आप हेलीकॉप्टर पेरेंट तो नहीं
बच्चों को आजादी दें, खुद सीखने का मौका दें

‘छोटे बच्चों को अवश्य शिक्षित करना चाहिए, लेकिन उन्हें स्वयं को शिक्षित करने के लिए भी छोड़ देना चाहिए।’

उपरोक्त कथन में, 1930 के दशक में थिंकिंग और रीजनिंग की लोकप्रिय पुस्तक ‘द आर्ट ऑफ़ थिंकिंग’ के लेखक, फ्रांसिस पादरी और लेक्चरर अर्नेस्ट डिमनेट का इशारा हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग की और ही है।

हर चीज पर कंट्रोल

क्या आपने कभी ऐसे पेरेंट्स को देखा है जो बच्चों की छोटी से छोटी बातों में दखल देते हैं, हर वक्त उन्हें क्या खाना चाहिए, क्या पहनना चाहिए, उन्हें कैसे दोस्त बनाने चाहिए, कैसे और क्या बोलना चाहिए, कौनसे सब्जेक्ट्स पढ़ने चाहिए: मतलब हर छोटी से छोटी से लेकर बड़ी से बड़ी बात पर सलाह देते हैं?

इस प्रकार के पेरेंट्स को हेलीकॉप्टर पेरेंट कहा जाता है।

तो क्या बच्चों का ध्यान रखना बुरी पेरेंटिंग है? क्या इस प्रकार की पेरेंटिंग सही है? इस प्रकार की पेरेंटिंग का बच्चों की साइकोलॉजी पर क्या प्रभाव पड़ता है? आज हम इसी प्रकार के प्रश्नों को जानने की कोशिश करेंगे।

हेलीकॉप्टर पेरेंट्स क्या होते हैं

हेलीकॉप्टर पेरेंट्स ऐसे पेरेंट्स होते हैं जो विशेष रूप से शैक्षणिक संस्थानों में बच्चे या बच्चों के अनुभवों और समस्याओं पर बेहद ध्यान देते हैं।

ये नाम इसलिए रखा गया है, क्योंकि हेलीकॉप्टर की तरह, वे अपने बच्चे के जीवन के हर पहलू की लगातार निगरानी करते हुए ‘ऊपर मंडराते हैं’। हेलीकॉप्टर पेरेंट्स को सामाजिक संबंधों सहित, जीवन के सभी पहलुओं में अपने बच्चों की सख्ती से निगरानी करने के लिए भी जाना जाता है।

उदाहरण के लिए मेरे इंस्टिट्यूट में कई बार कुछ स्टूडेंट्स के पेरेंट्स ने केवल इसलिए मुझे फोन किया कि बच्चे को कोई किताब विशेष लाइब्रेरी से लेनी थी, या बच्चा डाउट्स क्लियरिंग फैकल्टी तक अपने डाउट्स लेकर नहीं जा पा रहा था। भारत में तो तीस साल के पुरुषों की मम्मियां भी ऐसी-ऐसी एडवाइस देती हैं, कि सुनकर शर्म आ जाए।

हेलीकॉप्टर पेरेंट्स के 3 प्रकार

1) टोही हेलीकॉप्टर पेरेंट्स

ये थोड़े उदार होते हैं और इनका हेलीकॉप्टर बच्चों पर दूर से नजर रखता है।

ऐसे पेरेंट्स विनीत तरीकों से अपने कॉलेज पास-आउट बच्चे की नौकरी की खोज में शामिल हो सकते हैं। वे किसी कंपनी के बारे में जानकारी एकत्र कर सकते हैं या बच्चे का बायोडाटा बना सकते हैं, इंटरव्यू के लिए सलाह दे सकते हैं, या चुपचाप करिअर मेले में भाग ले सकते हैं।

2) कम-ऊंचाई वाले हेलीकॉप्टर पेरेंट्स

ऐसे पेरेंट्स पिछली टाइप की तुलना में अधिक निगरानी करते हैं और दखल देते हैं।

वे अपने बच्चे की ओर से रिज्यूमे जमा कर सकते हैं या बच्चे के बॉस से उसके प्रमोशन की वकालत भी कर सकते हैं। वे न केवल करिअर फेयर्स में भाग लेते हैं: वे संस्थानों को अपना परिचय भी देते हैं। वे अक्सर जानकारी एकत्र कर के अच्छे शब्दों में कहें तो एजेंट की तरह काम करते हैं। ऐसे पेरेंट्स साधारण बातचीत में बच्चों को कोई प्रश्न सरल भाषा में समझाने की कोशिश करेंगे यदि कोई काम देंगे तो उस काम को कैसे करना है उसकी पूरी विधि के साथ बताएंगे इत्यादि।

3) गुरिल्ला वारफेयर हेलीकॉप्टर पेरेंट्स

ये सबसे खतरनाक हैं।

यदि उन्हें मौका मिले तो वे बच्चे की नौकरी का इंटरव्यू भी खुद देना पसंद करेंगे, बच्चे के बॉस से उसके सैलरी इंक्रीमेंट पर बात करने पर भी इन्हें खुशी होगी। छोटे बच्चों के मामले में ऐसे पेरेंट्स स्कूल में बच्चों में आपस में होने वाले छोटे-छोटे झगड़ों, मतभेदों, विवादों पर भी नजर रखते हैं और हर छोटी-छोटी बात के लिए क्लास-टीचर से ध्यान देने के लिए कहते हैं। आज मेरे बच्चे को प्रियंका ने बेवकूफ कहा, कल रमेश ने उसकी पानी की बोतल पूरी खाली कर दी थी, रिया ने उसे धक्का मार कर क्यों गिराया आदि इत्यादि इस तरह की स्कूल की छोटी-छोटी बातों को भी वे पूरी तरह से गंभीरता से लेते हैं।

लोग हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग क्यों करते हैं

1) वे लोग हेलीकॉप्टर पेरेंट्स हो सकते हैं जो कठिनाई और नकारात्मक अनुभव को कुछ सीखने और एक व्यक्ति के रूप में विकसित होने के अवसर के बजाय कौशल की कमी के संकेत के रूप में देखते हैं।

2) कुछ पेरेंट्स को अपने जीवन में लिए गए फैसलों पर पछतावा होता है। तो वे नहीं चाहते की उनके बच्चों को भी वैसी ही समस्या हो। उदहारण के लिए, मैं एक ऐसी माता को जानता हूं, जो हर तीन-चार महीने में अपने बच्चे के लिए नए जूते-चप्पलों का ढेर लगा देती हैं भले ही पुराने जूते चप्पल खराब हुए हों या नहीं। या बच्चे को नए जूते-चप्पलों की जरूरत है या नहीं और ऐसा करते वक्त वे अक्सर बच्चे की पसंद का ख्याल तो नहीं ही रखती हैं। थोड़ा पता करने पर मुझे पता चला की उन माता को बचपन में कुछ समय के लिए फटे हुए जूते पहनना पड़े थे जो उनके लिए काफी ‘ऐम्बैरेसिंग’ था।

हेलीकाप्टर पेरेंटिंग की समस्याएं और समाधान

1) बच्चे रसूखदार महसूस करते हैं। उन्हें लगने लगता है वे कुछ विशेष हैं। ऐसे बच्चों को बाद में सोसायटी में घुलने-मिलने में काफी समस्या आती है। पेरेंट्स को सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे के जीवन पर अपने ओहदों, पैसे आदि का फर्क ना दिखे। जैसे मेरे संस्थान में एक बड़े न्यायाधीश के बच्चे के बैच में कोई यह कभी नहीं जान पाया कि उसके पिता क्या करते थे, वह बिलकुल अन्य बच्चों की तरह ही ट्रीटमेंट पाते हुए पढ़ाई करता था। उनके पिता चाहते तो बच्चे के स्पेशल ट्रीटमेंट का दबाव बना सकते थे।

2) बच्चों को इमोशनल समस्याएं होती हैं: हेलीकॉप्टर पेरेंट्स के बच्चे अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना सीखे बिना ही बड़े हो जाते हैं; क्योंकि उनके माता-पिता ने उनके लिए ऐसा किया होता है। अगर वे दुखी होते तो उनके माता-पिता उन्हें हौसला देते थे। वे नाराज हुए तो उनके माता-पिता ने उन्हें शांत कराया था।

3) बच्चों में सेल्फ-रेग्युलेशन स्किल्स की कमी होती है: हेलीकॉप्टर पेरेंट्स के बच्चे अन्य बच्चों की तरह खाली समय के साथ बड़े नहीं होते हैं। उनके वातावरण आमतौर पर अत्यधिक संरचित होते हैं, और उनका समय बारीकी से मैनेज होता है। स्वयं को मैनेज करने के अभ्यास के अवसरों के बिना, उनमें अपने लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए आवश्यक कौशल की कमी होती है।

समाधान है कि बच्चों को थोड़ी स्वतंत्रता दें, उन्हें गिरकर उठने, और खुद सीखने का मौका दें। हर बार सहारा देने पर आप अंततः बच्चे की लाठी बन जाएंगे।

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