भोपाल। भोपाल के बड़ा तालाब के किनारे बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी मकान बनाने की अनुमति शायद ही किसी को मिले, लेकिन यदि आप झुग्गी के नाम पर जगह घेरकर कुछ सालों बाद उसे पक्के मकान में बदल दें तो आपका यह सपना सच हो सकता है। दरअसल, नेहरू नगर से लेकर भदभदा के पुराने पुल तक लोगों ने सैकड़ों अवैध अतिक्रमण कर यह सच साबित करके दिखाया है। लगभग दो दशक पहले इन लोगों ने बड़ा तालाब के किनारे जगह घेरकर यहां पर कुछ झुग्गियां बनाई थीं। देखते ही देखते इनकी संख्या 300 के पार हो गई है। हालात यह हैं कि इस क्षेत्र में अतिक्रमण अब भी नहीं रुका है। कुछ जगहों पर लोगों ने जगह घेरकर नई झुग्गियां तान दी हैं। भदभदा मंडी की ओर तालाब के पीछे लोगों ने कच्ची झुग्गियों को आलीशान बंगले में बदल दिया है। भोपाल में शायद ही कोई जगह ऐसी हो, जहां पर तालाब के 50 मीटर के दायरे में आलीशान बंगला बनाने की जगह मिले।
तालाब के किनारे धो रहे कपड़े
…. टीम ने जब पड़ताल की तो तालाब से कुछ ही दूरी पर बनी झुग्गियों से सीधे सीवेज पानी में मिलता मिला। लोगों के लिए नगर निगम ने तालाब किनारे शानदार सीसी रोड भी बना दी है। दोपहर के 3:12 बजे कुछ लोग तालाब के किनारे कपड़े धोते मिले। भदभदा पुल से आगे करीब 12 स्थानों पर सीवेज सीधे तालाब में जा रहा था। सीसी रोड पर ही कुछ लोग अपने वाहन धोते हुए मिले। आयल मिला खतरनाक पानी भी सीधे तालाब को प्रदूषित कर रहा था। तालाब किनारे बड़े स्तर पर कचरा भी डाला जा रहा है। लोगों का कहना है कि नगर निगम ने साफ पानी देने की व्यवस्था की है लेकिन वाहन धोने और अन्य कामों के लिए तालाब के पानी का ही उपयोग करते हैं।
तालाब किनारे बनी हैं ये बेनाम बस्ती
यह भोपाल की शायद एकमात्र झुग्गी बस्ती है, जिसका कोई नाम नहीं है। लोगों का कहना है कि पते के लिए वो झुग्गी नंबर के साथ भदभदा मंडी के पास लिख देते हैं। जिसके कारण उन तक आसानी से डाक आ जाती है। पेयजल, स्ट्रीट लाइट और अच्छी सड़कों सहित सभी व्यवस्थाएं यहां मौजूद हैं। यदि किसी को बेनाम झुग्गी बस्ती में जगह खरीदना हो, तो स्थानीय लोगों से संपर्क कर जगह ली जा सकती है। वर्तमान में यहां पर वन विभाग की नर्सरी की ओर बिना किसी भय के नई झुग्गियां बनाने का काम चल रहा है। जबकि दो माह पहले ही नगर निगम का अमला यहां पर अवैध अतिक्रमणों को हटाने पहुंचा था। उसके बाद यहां पर फिर से अतिक्रमण शुरू हो गया है।
तालाब से 50 मीटर के दायरे में नहीं हो सकता कोई निर्माण
यह पूरी बस्ती तालाब के ग्रीन बेल्ट एरिया में अतिक्रमण कर बनाई गई है। तालाब में मुश्किल से आठ मीटर की दूरी झुग्गियां तान दी गई हैं। नगर निगम द्वारा लगाए गए फुल टैंक लेवल के एक मीटर दायरे में सीसी रोड बनी हुई है। 17 नवंबर 2022 को छात्रा आर्या श्रीवास्तव की याचिका पर एनजीटी ने सभी अवैध निर्माणों को तोड़ने का आदेश दिया था। इस दौरान निगम के अतिक्रमण अमले ने केवल कुछ चबूतरों को ही तोड़ा था। लोगों के भारी विवाद के कारण निगम अमले को वापस लौटना पड़ा था।
वक्फ और निजी संस्था में विवाद के कारण हुआ अतिक्रमण
वक्फ बोर्ड और निजी संस्था में चल रहे विवाद के कारण ही इस जगह पर अतिक्रमण किया गया है। बताया जाता है कि इसमें से कुछ जगह वक्फ बोर्ड की है और कुछ जगह निजी संस्था की है। यह विवाद वक्फ ट्रिब्यूनल में चल रहा है, जिसके कारण नेताओं के समर्थन के कारण यहां पर लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है।
जलीय संरचना के पास नहीं बनाया जा सकता मकान
किसी भी जलीय संरचना के पास मकान नहीं बनाया जा सकता है। यह क्षेत्र ग्रीन बेल्ट है और निजी जमीन के लिए वानस्पतिक उद्यान के लिए आरक्षित होती है। ताकि जलीय संरचना को प्रदूषित न किया जा सके। जबकि इस क्षेत्र में नियमों को पूरी तरह से ताक पर रखकर अतिक्रमण किया जा रहा है।
सरकार इन्हें मल्टी बनाकर दे
यह लगभग पचास साल पुरानी बस्ती है। इसके अलावा भी तालाब के किनारे बहुत सी जगहों पर अतिक्रमण है। उन्हें हटाया जाना चाहिए। यदि यह लोग तालाब के पास अतिक्रमण करके रह रहे हैं तो सरकार को सबसे पहले सर्वसुविधायुक्त मल्टी बनाकर इनको देना चाहिए, जहां यह लोग रह सकें।
– पीसी शर्मा, विधायक, भोपाल (दक्षिण पश्चिम)