इस साल विधानसभा चुनावों पर बहुत कुछ निर्भर होगा

लोकसभा चुनाव में अब केवल 16 महीने शेष हैं। ऐसे में इस साल होने वाले नौ विधानसभा चुनाव राजनीतिक दलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाते हैं। भले विधानसभा चुनाव परिणामों से आम चुनाव के बारे में कोई सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती हो, पर वे राजनीतिक दलों के लिए मोमेंटम बनाने का काम जरूर करते हैं।

2023 में जिन नौ राज्यों में विधासनभा चुनाव होंगे, उनमें से राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में बाय-पोलर मुकाबला होगा, यानी वहां भाजपा और कांग्रेस की आमने-सामने की टक्कर है। तेलंगाना और कर्नाटक में त्रिकोणीय संघर्ष हो सकता है। तेलंगाना में भाजपा, कांग्रेस और बीआरएस, वहीं कर्नाटक में भाजपा, कांग्रेस और जेडी(एस)। इनके अलावा मेघालय और मिजोरम में कांग्रेस की अच्छी पकड़ है।

मेघालय में उसे पिछले चुनाव में 28.5 प्रतिशत वोट मिले थे और वहां वह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। मिजोरम में भी पिछली बार उसे 29.9 प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि नगालैंड और त्रिपुरा में पिछले चुनावों में कांग्रेस का सफाया हो गया था। तब से अब तक वहां से ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं कि कांग्रेस वापसी कर सकती है।

कांग्रेस के लिए ये विधानसभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वर्तमान में वह केवल तीन ही राज्यों में सत्ता में है- हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़। जबकि कुछ अन्य राज्यों में वह गठबंधन सहयोगी है। कर्नाटक, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस भाजपा को कड़ी चुनौती दे सकती है। तेलंगाना में पिछले चुनावों में कांग्रेस को 28.4 प्रतिशत वोट मिले थे और वह प्रमुख विपक्षी पार्टी बनी थी, जबकि भाजपा को 7 प्रतिशत ही वोट मिले थे।

लेकिन इस बार तेलंगाना में मुख्यतया बीआरएस और भाजपा के बीच मुकाबला है और पिछले पांच चुनावों में वहां कांग्रेस ने जमीन गंवाई है। मेघालय और मिजोरम में वह भले मुकाबले में रहेगी, लेकिन पूर्वोत्तर के चुनावों में दबदबा क्षेत्रीय पार्टियों का ही रहने वाला है। इस साल के विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए भी कम महत्वपूर्ण नहीं। तेलंगाना में उसका बीआरएस और कांग्रेस से संघर्ष है और त्रिपुरा में वाम मोर्चे से।

2018 में भाजपा को त्रिपुरा में चुनावी सफलता मिली थी। इस साल होने जा रहे नौ विधानसभा चुनावों में से कर्नाटक और मध्यप्रदेश में भाजपा अपनी सरकार बचाने के लिए मैदान में उतरेगी, वहीं त्रिपुरा और नगालैंड में वह सरकार में गठबंधन सहयोगी है। कर्नाटक में यह बात भाजपा को चिंतित कर सकती है कि वहां पार्टी अंतर्कलह से ग्रस्त है।

चूंकि दक्षिणी कर्नाटक क्षेत्र में जेडी(एस) की अच्छी पकड़ है, इसलिए वहां होने जा रहे चुनाव में कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है। मध्यप्रदेश में भाजपा लगभग बीस साल से सत्ता में है, जहां उसे एंटी-एनकम्बेंसी का सामना करना पड़ सकता है। अलबत्ता गुजरात में 27 साल से सत्ता में होने के बावजूद भाजपा ने हाल ही में वहां सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी।

शायद राजस्थान में कांग्रेस के अंतर्कलह की वजह से भाजपा को सफलता मिल जाए। तेलंगाना में भाजपा अब एक मजबूत राजनीतिक ताकत के रूप में उभर रही है, हालांकि सत्ता में आने से बहुत दूर है। त्रिपुरा में वह अपने नेतृत्व में परिवर्तन कर चुकी है, लेकिन इतने भर से वह इस राज्य में अगला चुनाव जीतने को लेकर आत्मविश्वास से नहीं भर सकेगी।

क्षेत्रीय पार्टियों के लिए भी 2023 कम अहम नहीं। मिसाल के तौर पर, तेलंगाना में केसीआर के लिए जीत भर ही काफी नहीं होगी, उन्हें बड़ी जीत दर्ज करना होगी, ताकि अपने को एक राष्ट्रीय नेता के रूप में प्रोजेक्ट कर सकें। गौरतलब है कि 2019 में बीआरएस ने तेलंगाना में लोकसभा चुनाव के कारण समय से पूर्व ही अपने राज्य में चुनाव करवा लिए थे।

2023 में जिन नौ राज्यों में विधासनभा चुनाव होंगे, उनमें से राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में बाय-पोलर मुकाबला होगा, यानी वहां भाजपा और कांग्रेस की आमने-सामने की टक्कर है।

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