आरोपियों को सजा दिलाने में पुलिस फिसड्डी, दुष्कर्म के 46 केसों में फैसला; 52 आरोपियों में सिर्फ 8 को सजा
चौंकाने वाले आंकड़े …
दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध में आरोपियों को सजा दिलाने में ग्वालियर पुलिस फिसड्डी साबित हो रही है। वर्ष 2022 में दुष्कर्म के कुल 46 केसों में फैसला आया, जिसमें केवल 6 मामलाें में ही आरोपियों को सजा हाे सकी। जिला न्यायालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार 46 केस में कुल 52 लोगों के खिलाफ दुष्कर्म के मामले की ट्रायल चली, लेकिन सजा केवल आठ आरोपियों को हुई। भास्कर ने जब इन प्रकरणों की पड़ताल की और ये जानने का प्रयास किया कि आखिर आरोपी क्यों बरी हो रहे हैं, तो चौकाने वाली जानकारी सामने आई।
एक्सपर्ट व्यू… इन तीन सुझाव से हो सकता है सुधार
- केस दर्ज कराएं- जो पीड़िताएं कोर्ट में मुकर जाती है, उनपर कार्रवाई होनी चाहिए। इनके खिलाफ केस दर्ज होने की जानकारी मीडिया में आएगी, तो समाज में कड़ा संदेश जाएगा।
- अनावश्यक दबाव से बचाएं- पीड़िता या उसके परिजन न्यायालय में जब बयान देने जाएं, तो ये सुनिश्चित किया जाए कि पुलिस या कोई अन्य अनावश्यक दबाव नहीं बना पाए।
- माता-पिता जागरूक रहें- दुष्कर्म के अधिकांश मामलों में शादी का झांसा देने की बात सामने आती है। ऐसे में महिलाओं व युवतियों को जागरुक करने की जरुरत है।
अधिकांश मामलों में केवल किरदारों के नाम अलग, लेकिन कहानी एक जैसी….
न्यायालय में पुलिस पर आरोप
70% मामलों में पीड़िताओं ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया। कुछ ने मजिस्ट्रेट के समक्ष भी आरोप दोहराया। लेकिन मुख्य परीक्षण में आरोप से मुकर गईं, कहा-पुलिस ने दबाव बनाया था, इसलिए कोरे कागज पर हस्ताक्षर कर दिए।
पीड़िता ने बयान बदले
हाल ही में न्यायालय ने एक बीएसएफ जवान को दुष्कर्म के आरोप से बरी किया है। कारण, पीड़िता का बयान बदलना रहा। उसने पुलिस रिपोर्ट में बताया कि वह पति से अलग रह रही है। लेकिन न्यायालय में कहा-पहले पति से शारीरिक संबंध बनाए फिर जवान के खिलाफ में शिकायत की।