‘न्याय में देरी का मतलब जस्टिस से इनकार है, न्यायपालिका-सरकार को साथ आना होगा’, लंबित मामलों का जिक्र कर बोले कानून मंत्री

 कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि लंबित मामलों को निपटाने के लिए सरकार और न्यायपालिका को मिलकर काम करना होगा.

कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार (24 जनवरी) को कहा कि विभिन्न कोर्ट में करीब 4.90 करोड़ मामले लंबित हैं, ऐसे में सरकार और न्यायपालिका को साथ आना होगा ताकि सबसे तेज गति से न्याय हो सके और प्रौद्योगिकी इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

किरेन रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट ई-समिति के प्रमुख के रूप में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के योगदान की भी सराहना की. उन्होंने कानून मंत्रालय के एक कार्यक्रम के बाद रिपोर्टरों से कहा, ‘‘लगभग 4.90 करोड़ मामले लंबित हैं. यह एक बड़ी संख्या है, खासकर जब आप सोचते हैं कि इतने सारे लोग न्याय पाने में असमर्थ हैं. लंबित मामलों का मतलब न्याय में देरी है.  न्याय में देरी का मतलब न्याय से इनकार है. न्याय जल्द से जल्द तेजी से दिया जाना चाहिए.’’

क्या तरीका बताया? 

किरेन रिजिजू ने कहा, ‘‘लंबित मामलों की दर को कम करने का एकमात्र तरीका सरकार और न्यायपालिका का एक साथ आना है. हमें एक साथ आना होगा. प्रौद्योगिकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.’’ रिजिजू  ने कहा कि अगर एक जस्टिस को चीफ जस्टिस के रूप में पदोन्नत किया जाता है, तो वह ई-समिति का प्रभार किसी अन्य न्यायाधीश को सौंप देता है.

‘धन्यवाद देना चाहते हैं’

जब जस्टिस चंद्रचूड़ प्रधान न्यायाधीश बने तो रिजिजू ने उनसे ई-समिति के अध्यक्ष के रूप में बने रहने का अनुरोध किया था क्योंकि ई-न्यायालय परियोजना का तृतीय चरण एक अहम मोड़ पर था. उन्होंने कहा कि वह ई-समिति के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ को धन्यवाद देना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘एक उपयुक्त चरण में वह किसी और को प्रभार सौंप सकते हैं. मुझे खुशी है कि वह सहमत हो गए हैं और इसका (ई-समिति) नेतृत्व करना जारी रखेंगे.’’

क्या प्रयास किया जा रहा है? 

किरेन रिजिजू ने कहा कि कानून मंत्रालय में ई-समिति और न्याय विभाग बहुत करीब से काम कर रहे हैं और चीजों को जल्द से जल्द पूरा करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है.  न्याय विभाग ने सोमवार (23 जनवरी) को ई-न्यायालय परियोजना के विजेताओं को सम्मानित करने के लिए एक पुरस्कार समारोह का आयोजन किया था.

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