नोएडा प्राधिकरण के कामकाज की फिर जांच करेगा CAG …!

नोएडा प्राधिकरण के कामकाज की फिर जांच करेगा CAG:टारगेट एरिया 4 सालों के ट्रांजैक्शन होंगे; पिछली बार 2004 से 2017 के बीच हुई थी जांच

2017 में सत्ता बदलने के बाद शासन ने नोएडा प्राधिकरण में व्याप्त वित्तीय अनियमितताएं की जांच के लिए सीएजी को कहा था ….

2004 से 2017 तक समय में प्राधिकरण में करोड़ों अरबों रुपए के वित्तीय अनियमितता सामने आई थी। नियंत्रण एंव महालेखा परीक्षक (सीएजी ) की रिपोर्ट में इसके प्रत्यक्ष प्रमाण भी मिलते है। अब सीएजी 2018 से 2022 तक के फाइलों की जांच करेगा। ये ऑडिट वित्त से संबंधित होगा। इसके बाद हर साल की बैलेंस शीट की जांच भी सीएजी करेगी।

2017 में सत्ता बदलने के बाद शासन ने नोएडा प्राधिकरण में व्याप्त वित्तीय अनियमितताएं की जांच के लिए सीएजी को कहा था। उन्होंने करीब एक साल तक प्राधिकरण में जांच की और 400 पेज की एक रिपोर्ट तैयार की। जिसमें 30 हजार करोड़ रुपए के वित्तीय अनियमितता की बात सामने आई थी। हालांकि जांच रिपोर्ट शासन को सौंपने के बाद भी इस पर एक्शन नहीं लिया गया।

सेक्टर-6 स्थित प्राधिकरण का प्रशासनिक खंड का कार्यालय यही होगी फाइलों की जांच ।
सेक्टर-6 स्थित प्राधिकरण का प्रशासनिक खंड का कार्यालय यही होगी फाइलों की जांच ।

रिपोर्ट में ग्रुप हाउसिंग, वाणिज्यिक, एफएआर , भू-आवंटन व विकास परियोजनाओं में बरती गई अनियमितता को बताया गया था। अनियमितता से संबंधित अधिकांश मामले 2004 से 2017 के बीच किए गए ग्रुप हाउसिंग आवंटन के दौरान के है। यह वह दौर था जब पूर्व की सरकारें ने बिल्डरों को लाभ देने के लिए अपनी नीतियों में बदलाव किया और कुल भूखंड की लागत का 10 प्रतिशत जमा कर भू-आवंटन किए गए। इसके बाद बिल्डरों को लाभ देने के लिए गलत तरीके से एफएआर बढ़ाया गया और बेचा गया। सुपरटेक एमराल्ड भी इसका एक हिस्सा था। जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 28 अगस्त को ध्वस्त किया गया।

2004 से 2017 तक हुए घोटाले
प्राधिकरण में घोटालों की सूची काफी लंबी है। यहां भूमि आवंटन घोटाला, फार्म हाउस घोटाला , नोएडा स्टेडियम घोटाला, अंडर ग्राउंड केबलिंग, होटल आवंटन घोटाला, किसानों को अधिक मुआवजा देकर मुनाफाखोरी कमाना आदि तमाम कार्य किए गए। इनकी रिपोर्ट भी तैयार कर शासन को भेजी गई। अधिकारियों की पूरी सूची तक तैयार की गई। लेकिन नोएडा प्राधिकरण में किसी बड़े अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई।

ये है शाहदरा ड्रेन जहां दिख रहे लोहे पिलर चिल्ला एलिवेटड की फाउंडेशन है। 2019 में शिलान्यास के बाद भी इसका काम पूरा नहीं हो सका।
ये है शाहदरा ड्रेन जहां दिख रहे लोहे पिलर चिल्ला एलिवेटड की फाउंडेशन है। 2019 में शिलान्यास के बाद भी इसका काम पूरा नहीं हो सका।

2018 ये 2022 तक इनकी होगी जांच
बताया गया कि चार सालों में प्राधिकरण की विकास परियोजना, आवंटन नीतियां, लोगों के हितों को ध्यान में रखकर बनाई गई पॉलिसी, प्राधिकरण राजस्व, ग्रुप हाउसिंग, औद्योगिक, कॉमर्शियल, आवास, भवन, संस्थागत, आउटर एजेंसी आदि विभागों के फाइलों की जांच की जाएगी। इसके लिए सीएजी अपनी टीम नोएडा लेकर आएगी। बता दे नोएडा प्राधिकरण में अब भी सीएजी ने डेरा डाला हुआ है। यहां अब भी तमाम फाइलों की जांच सीएजी की ओर से की जा रही है। जिसका जवाब दिया जा रहा है।

प्राधिकरण का टीएसी करता है जांच
लोकल स्तर पर वित्तीय अनियमितता और वैरिएशन की जांच वर्तमान में नोएडा प्राधिकरण का टेक्निकल ऑडिट सेल करता है। यही से परियोजना के कागजों के जांच के बाद टेंडर कास्ट को फाइनल अप्रूवल मिलता है। इसके बाद ही परियोजना पर निर्माण कार्य शुरू किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 28 अगस्त को गिराया गया था टि्वन टावर।

चार सालों में प्राधिकरण की बड़ी परियोजना

  • पर्थला फ्लाईओवर (नोएडा का पहला सिग्नेचर ब्रिज) निर्माणाधीन
  • भंगेल एलिवेटड रोड निर्माणाधीन
  • सेक्टर-72 अंडरपास बन चुका है।
  • एक्सप्रेस वे पर तीन अंडरपास इसमें कोंडली अंडरपास शुरू किया जा चुका है।
  • कालिंदी कुंज पर नए पुल का निर्माण
  • एक्सप्रेस वे की रीसर्फेसिंग
  • सेक्टर-94 कमांड कंट्रोल रूम (आईएसटीएमएस योजना)
  • चिल्ला गांव से लेकर महामाया फ्लाईओवर तक बनने वाली चिल्ला एलिवेटड

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