बदलावों के दौर में बिजनेस चलाने के 4 सिद्धांत …!

बदलावों के दौर में बिजनेस चलाने के 4 सिद्धांत:मुश्किल वक्त आएगा ही…खुद को बदलेंगे तो ही सर्वाइव कर पाएंगे

शिक्षा से डॉक्टर, रितेश मलिक दिल से आंत्रप्रेन्योर हैं। वह भारत के दूसरे सबसे बड़े को-वर्किंग प्लेटफॉर्म Innov8 के संस्थापक हैं। यह प्लेटफॉर्म स्टार्ट-अप्स, कॉर्पोरेट्स , फ्रीलांसर्स और अन्य प्रोफेशनल्स को एक साथ लाता है। रितेश अब तक 60 से ज्यादा स्टार्ट-अप्स में निवेश कर चुके हैं। उन्होंने 2012 में अपनी MBBS की पढ़ाई के अंतिम वर्ष में ALIVE ऐप के रूप में पहला स्टार्ट-अप शुरू किया था जिसे बाद में बेनेट एंड कोलमैन ग्रुप ने खरीद लिया। आज डॉ. रितेश मलिक स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने के साथ ही मोहाली में प्लाक्षा यूनिवर्सिटी बना रहे हैं।

 आज वह बता रहे हैं कि लगातार बदलावों के दौर में बिजनेस के सर्वाइवल के लिए क्या जरूरी है…

‘गतिशील’…ये बहुत ही खूबसूरत शब्द है। इसका मतलब है कुछ एक्टिव…, जिसमें ऊर्जा भरी हुई हो और जो लगातार बदल रहा हो। बदलाव की बात करें तो हमारे आस-पास सबकुछ बदल रहा है, चाहे वो जिंदा चीजें हों या निर्जीव। समय के साथ हर चीज बदलती है चाहे वो विशालकाय तारा हो या कोई सूक्ष्म जीव।

यही सिद्धांत बिजनेस पर भी लागू होता है। इतिहास को देखें तो बिजनेस में बदलाव की गति धीमी होती थी क्योंकि उस समय तकनीक तक सब की पहुंच नहीं होती थी और कम्युनिकेशन बहुत धीमा होता था।

अगर हम इतिहास के 4 इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन्स को देखें तो हर रिवोल्यूशन के साथ इंसानों के ट्रैवल और कम्युनिकेशन में लगने वाला समय कम हुआ है। क्षमताओं में इजाफा हुआ है।

रेल इंजन ने लोगों की यात्रा का समय घटाया और बढ़ते रेल नेटवर्क ने इसे और तेज कर दिया। इंडस्ट्री 3.0 में सोशल मीडिया हो या अब इंडस्ट्री 4.0 में इंटरनेट और हर क्षेत्र में इसकी बढ़ती उपयोगिता हो…हर बार लोगों तक इन्फॉर्मेशन पहुंचने की स्पीड बढ़ी है। इसकी वजह से बिजनेस साइकिल भी बहुत तेजी से बदलने लगे हैं।

जब बिजनेस में बदलाव की बात आती है तो हम सबने देखा है कि बिजनेस वैल्यू चेन में प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग हो, डिस्ट्रीब्यूशन हो, मार्केटिंग हो या पेमेंट हो…हर हिस्से को इंटरनेट ने बदल दिया है।

कोई भी कंपनी जो खुद को समय के साथ बदलने में निवेश नहीं करती है, वो खत्म हो जाएगी। ये बात इस तथ्य से और भी पुख्ता होती है कि जो भी कंपनियां लिस्टेड होती हैं उनमें से 40% समय के साथ अपनी वैल्यू नष्ट कर लेती हैं। यही नहीं, हर दस साल में दुनिया के बिलियनेयर्स में से 20% बिलियनेयर्स की लिस्ट से बाहर हो जाते हैं।

यानी अब वो दौर चला गया जब आप कोई एक कंपनी या एक प्रोडक्ट बनाते थे और वो अनंतकाल तक आपके लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बन जाता था।

आज प्रोडक्ट को हर रोज डायनैमिकली बदलने की जरूरत है। उसे परिस्थितियों और कस्टमर की जरूरतों, इच्छाओं और मांग के अनुकूल होना जरूरी है। यही गतिशीलता का सिद्धांत है।

बिजनेस के बदलते माहौल में सर्वाइव करने के लिए कम खर्चीला और ज्यादा शक्की होना ही एक मात्र रास्ता है। खुद को बदलने की क्षमता तब आती है जब आप सही प्लानिंग करें, बजट सही बनाएं और अपने प्रोडक्ट की उत्कृष्टता को स्टैबलिश करें।

इसी से यह सुनिश्चित होगा कि कस्टमर आपके प्रोडक्ट के लिए बार-बार आए और एक पॉजिटिव माहौल बनाए। सोशल मीडिया पर यही कस्टमर आपका ब्रांड एंबेसेडर बन जाता है।

चार्ल्स डार्विन ने सही कहा था कि वो सर्वाइव नहीं करेगा जो सबसे बड़ा है या सबसे तेज है। सर्वाइव वो करेगा जो बदलते पर्यावरण के साथ खुद को बदल पाएगा। यही वजह है कि इस पृथ्वी पर आज तक जितनी प्रजातियां रही हैं उनमें से 99% विलुप्त हो गई हैं। यही सिद्धांत बिजनेस पर भी लागू होता है।

मेरी राय में बदलते बिजनेस के माहौल के प्रति खुद को ढालने के 4 तरीके हैं-

1. दुनिया में जो भी ट्रेंड्स चल रहे हैं उनकी लगातार मॉनिटरिंग करो

एक बिजनेस के तौर पर जब आप ट्रेंड्स को मॉनिटर करते हैं तो यह भी सुनिश्चित करते हैं कि आपका बिजनेस उनके हिसाब से इवॉल्व होता रहे।

उदाहरण के लिए…अगर आपको लगता है कि कोई इंस्टाग्राम जैसा प्लेटफॉर्म है जहां गो-टू मार्केटिंग रणनीति ज्यादा कारगर है तो आपको इंस्टाग्राम का इस्तेमाल सीखना शुरू कर देना चाहिए और अपने प्रोडक्ट्स को वहां प्रमोट करना चाहिए।

2. लॉन्ग टर्म गोल बनाना

अपना फाइनेंशियल प्लान बनाइए और रिसर्च के लिए पर्याप्त बजट रखिए। रिसर्च एंड डेवलपमेंट में निवेश करना किसी भी आने वाले खतरे से निपटने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है।

एक बिजनेस के तौर पर आपको अपने प्रॉफिट या बैलेंस शीट रिजर्व्स का एक हिस्सा रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए रखना चाहिए ताकि आप नई चीजें लगातार सीख सकें। उन चीजों में निवेश करें जो आगे जाकर बड़ी हो सकती हैं।

3. कैश रिजर्व बनाइए

पैनडेमिक के दौरान कई स्टार्ट-अप खत्म हो गए। इसलिए नहीं कि उनका प्रोडक्ट अच्छा नहीं था। बल्कि इसलिए कि उनके पास एक साल के खर्च के बराबर पैसा भी बचा नहीं था। जब समय अच्छा चल रहा हो तो ये सुनिश्चित कीजिए कि कुछ फंड मुश्किल वक्त के लिए सुरक्षित रखिए। ये चाहे एफडी या ऐसे ही किसी सेफ बॉन्ड में रखिए।

याद रखिए कि जब आप बिजनेस चला रहे हैं तो मान लीजिए कि मुश्किल वक्त आएगा ही। उस समय यही फंड आपके काम आएगा।

4. कस्टमर फीडबैक का कल्चर बनाइए

आप जितना अपने कस्टमर को सुनेंगे, उतना ही जान और समझ पाएंगे कि उनकी बदलती जरूरतें क्या हैं। इससे आपका प्रोडक्ट ज्यादा डायनैमिक बनेगा और आप अपने कस्टमर की जरूरत और इच्छाओं के हिसाब से बदलाव कर पाएंगे।

अगर आप इन 4 सिद्धांतों को मानते हैं तो धराशायी करने वाले बदलावों को सर्वाइव करने का आपका चांस बढ़ जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *