संविदाकर्मियों के हवाले बाल भवन …!
भोपाल. प्रदेश के बाल भवन रामभरोसे ही चल रहे हैं। राजधानी भोपाल के बाद वर्ष 2007-08 में शुरू हुए छह बाल भवनों के लिए स्टाफ का सेटअप बनाया गया था। इसमें प्रत्येक केंद्र में 4 अनुदेशक यानी कला शिक्षक और 2 संगतकार के पद स्वीकृत किए गए हैं। इस तरह नियमित पदों पर 24 अनुदेशक और 12 संगतकार रखने थे। इनके अभाव में विशेषज्ञों की पैनल बनाकर हर साल उनमें से संविदा आधार पर अनुदेशक और संगतकार रखने की व्यवस्था कायम की गई। राजधानी स्थित जवाहर बाल भवन में केजी त्रिवेदी का निधन हो गया। संगीत विधा की अनुदेशक निर्मला उपाध्याय सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। अन्य 6 शहरों के बाल भवनों में संविदा पर स्टाफ है। हद ये है कि इनकी संख्या भी पूरी नहीं है। कहीं तीन तो कहीं चार संविदाकर्मी कला शिक्षक और संगतकारों से काम चलाया जा रहा है। संभागीय मुख्यालय वाले सातों जिलों के बाल भवनों का मुख्यालय भोपाल के जवाहर बाल भवन में है, जिसका जिम्मा विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. उमाशंकर नागायच के पास है। अन्य शहरों में बाल भवनों का प्रभार सहायक संचालक स्तर के अधिकारियों के हवाले है।
था टीपुर के मयूर नगर में बाल भवन 15 साल से किराए के भवन में है। बाकी शहरों के बजाय यहां संयुक्त संचालक कार्यालय बाल भवन परिसर में नहीं, वहां से 5 किलोमीटर दूर मोती महल में है। बाल भवन में बच्चों की सुरक्षा के लिए न सुरक्षा गार्ड हैं और न कैमरे लगे हैं। पेयजल व्यवस्था के लिए वाटर कैन बुलाई जाती है। तीन माले के भवन में आठ कमरों की सफाई व्यवस्था ठेके पर है। ग्रांउड नहीं है, ऐसे में विभिन्न गतिविधियां क्लासरूम में ही होती हैं।
क मला नेहरू नगर में बाल भवन के लिए निजी भवन किराए पर लिया है। जगह की कमी है। वर्ष 2007 से मार्च 2019 तक संभागीय बाल भवन महाकौशल स्कूल परिसर में किराए पर चला करता था। कोरोना काल की शुरुआत में इसे कमला नेहरू नगर में शिफ्ट किया गया। इतना समय गुजरने के बाद भी पुराने कार्यालय से निकाले गए तीन कैमरे अलमारी में धूल खा रहे हैं। सुरक्षा के लिए गार्ड नहीं हैं। ऐसे में नियमित रूप से कार्यरत चपरासी दिन में सुरक्षा व्यवस्था देखते हैं।
उज्जैन
दो विधाओं के महज 3 शिक्षक
8 में से सिर्फ 2 विधा सिखा रहे
उज्जैन के बाल भवन में 750 से अधिक बच्चे आ रहे हैं। इन्हें 8 में से केवल 2 विधाओं चित्रकला, कथक नृत्य में प्रशिक्षण मिल रहा है। छात्रों और अभिभावकों ने बताया कि वे संगीत, गायन, रंगकर्म, कम्प्यूटर, होम साइंस और खेल-कूद जैसी विधाएं सीखना चाहते हैं पार शुरू करने के लिए सुनवाई नहीं होती। इतना जरूर है कि समय-समय पर इनमें से कुछ विधाओं के लिए शिविर लगते हैं।
बाल भवन का प्रभार सहायक संचालक अंजली खडगी के पास है। संयुक्त संचालक कार्यालय भी बाल भवन में चल रहा है। ऑफिस होने की वजह से गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। स्वतंत्रता के साथ प्रशिक्षण नहीं होता। उज्जैन के बाल भवन में कभी 2 संगतकार थे, लेकिन कोरोना काल में एक का निधन हो गया। 3 अनुदेशक में से 1 की अनुकंपा नियुक्त के बाद अब दो ही हैं।
वेतन वृद्धि भी नहीं
सेटअप में 4 अनुदेशक और 2 संगतकार के पद हैं, लेकिन संविदा पर 3 अनुदेशक और 1 संगतकार कार्यरत हैं। एक अनुदेशक के जिम्मे साइंस मॉडल हैं। दूसरी अनुदेशक के जिम्मे चित्रकला, क्ले आर्ट व क्राफ्ट है। ये सभी संविदा पर कार्यरत हैं। अनुदेशक का न्यूनतम वेतन 9 हजार 961 रुपए है। संगतकार को 6 हजार 98 रुपए वेतन मिलता है। वर्ष 2017 में सीपीआइ एक्ट के तहत हर साल वेतन वृद्धि होनी थी, वह लागू नहीं।
बस कोरम पूरा करते
यहां पर शास्त्रीय गायन, कथक नृत्य, खेल-कूद में प्रशिक्षण दिया जाता है। जगह की कमी से मैदानी खेल नहीं हो पाते, उनके स्थान पर शतरंज, कैरम से काम चलाया जा रहा है। अनुदेशक और संगतकारों की कमी को दूर करने ग्रीष्म अवकाश में होने वाली कार्यशालाओं में प्रशिक्षण के लिए विशेषज्ञ बुला लिए जाते हैं। बाल भवन में सफाई व्यवस्था ठीक नहीं है। बच्चों के लिए साफ पेयजल भी मुहैया नहीं हो पाता।
महिला एवं बाल विकास विभाग के आयुक्त राम राव भोंसले ने कहा, आपने समाचार में बाल भवनों की दिनों-दिन खराब हो रही दशा के बारे में विस्तृत रूप से बताया है। पिछले कुछ वर्षों में सचमुच स्थिति गंभीर होती चली गई। इसे देखते हुए मैंने सभी सातों बाल भवन के अधिकारियों को बुलवाया। उनके साथ समीक्षा की। आगे के लिए रणनीति बना रहे हैं।
ग्वालियर: किराए के भवन में बच्चों की सुरक्षा के लिए न कैमरे हैं और न गार्ड
जबलपुर: किराए के 4 छोटे कमरों में बाल भवन, नई जगह के लिए मंजूरी नहीं