छावला गैंगरेप केस में 3 महीने सुप्रीम कोर्ट ने जिसे किया था रिहा, अब हत्या मामले में हुआ गिरफ्तार
छावला गैंगरेप मामले में करीब तीन महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने जिस आरोपी को रिहा किया था, वह अब ऑटो ड्राइवर की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया है …
छावला गैंगरेप मामले में करीब तीन महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने जिस आरोपी को रिहा किया था, वह अब ऑटो ड्राइवर की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किया गया आरोपी विनोद उन तीन लोगों में शामिल है जिन्हें 2012 में 19 साल की युवती की बलात्कार और हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों के अभाव में आरोपियों को रिहा कर दिया था।
पुलिस ने कहा कि विनोद और उसके सहयोगी ने 26 जनवरी को द्वारका सेक्टर-13 में ऑटो चालक अनार सिंह को लूटने की कोशिश करने के बाद उसकी हत्या कर दी। मामले में गिरफ्तार दूसरे व्यक्ति की पहचान पुलिस ने 29 वर्षीय पवन के रूप में की है।
जांच में हुआ ये खुलासा
न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए डीसीपी द्वारका एम हर्षवर्धन ने बताया कि 25-26 जनवरी की दरमियानी रात द्वारका इलाके में एक ऑटो चालक को दो आरोपी यात्रियों पवन और विनोद ने लूटने की कोशिश में चाकू मार दिया था। जांच के दौरान यह पाया गया कि विनोद को हाल ही में छावला बलात्कार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद पहले पवन को गिरफ्तार किया। पवन की पूछताछ उन्हें विनोद तक ले गई। पुलिस ने कहा, “पवन ने बताया कि वह नहीं जानता कि विनोद छावला गैंगरेप मामले में आरोपी है।”
क्या है छावला गैंगरेप केस?
दिल्ली के द्वारका इलाके के छावला में 9 फरवरी, 2012 को 19 साल की युवती की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। युवती का क्षत-विक्षत शव कुछ दिनों बाद मिला था। पुलिस ने मामले में तीन लोगों राहुल, रवि और विनोद को आरोपी बनाया था। मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तीनों को मौत की सजा सुनाई थी। इस फैसले को बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर, 2022 को अपने फैसले में ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों को रद्द कर दिया। मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट और बेला एम. त्रिवेदी ने पुलिस की ओर से मामले में की गई जांच की जमकर आलोचना की।
पीठ ने कहा कि जांच के दौरान न तो जांच अधिकारी की ओर से कोई पहचान परेड कराई गई और न ही किसी गवाह ने अदालत के समक्ष अपने बयानों के दौरान अभियुक्तों की पहचान की।