510 एटीएम हुए बंद, शाखाओं की संख्या बढ़ रही …

ग्रामीण क्षेत्र में एटीएम की संख्या घट चुकी है। ग्रामीण क्षेत्र में सुनसान क्षेत्रों में लगे एटीएम को चोरों ने तोड़ने का प्रयास भी किया। असुरक्षा के चलते ऐसे एटीएम को बैंकों ने बंद कर दिया। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक 510 एटीएम बूथ बंद किए जा चुके हैं। जबकि तहसील व कस्बा में बैंक अपनी पहुंच बनाने के लिए शाखाएं खोल रही हैं। एचडीएफसी बैंक ने पिछले साल तीन शाखाएं भिंड,मुरैना व दतिया में खोलीं है। इसी तहर से सभी निजी बैंक अपना बिस्तार कर रहे हैं और छोटे छोटे कस्बों में रहने वालों तक अपनी सेवाओं को पहुंचा रहे हैं जिससे उनका व्यापार बढ़ रहा है। डिजिटल भुगतान प्रचलन में आ चुका है। अब लोग नगद से अधिक मोबाइल से डिजिटल भुगतान करना अधिक आसान मानते हैं। यही कारण है कि नगद निकासी अब एटीएम बूथों से घट रही है। जिसके कारण ऐसे एटीएम बूथ जहां पर निकासी घटी है बैंक उन्हें बंद कर रहे हैं। पिछले एक साल में प्रदेश में 510 एटीएम बूथ पर ताला लग चुका है। जबकि बैंक नई शाखाएं खोलकर अपना व्यापार बढ़ा रहा है। इसमें निजी व सरकारी बैंक अपना विस्तार कर रहे और तहसील व कस्बा स्तर पर अपनी ब्रांच खोल रहे हैं। प्रदेश में पिछले एक साल में बैंकों की 110 नई शाखाएं खुली हैं। यह बात हाल ही में एसएलबीसी की बैठक में सामने आई है। बैठक में यह भी कहा गया कि अब लोग तेजी से विकसित होने वाली तकनीक के साथ आगे बढ़ रहे हैं। वे एटीएम या बैंक में जाकर क्यू में नहीं लगना चाहते हैं। बैंक की दृष्टि से भी एटीएम की संख्या घटा रही है। मोबाइल से डिजिटल भुगतान करने के लिए लोगों ने अलग अलग प्लेटफार्म डाउनलोड कर रखे हैं। किसी ने भीम एप तो किसी ने गूगल पे,पेटीएम और फोन पे आदि डाउनलोड कर रखा है। यूपीआइ के अंतर्गत यह प्लेटफार्म आते हैं। इससे न तो पैसे खोने का डर रहता और न ही जेब कटने का। जबकि निजी बैंक तेजी से अपना बिस्तार कर रहे हैं। डिजिटल भुगतान से बैंक के लिए सुविधा बढ़ी है। क्योंकि इससे बैंक में आने वालों की भीड़ घटी तो एटीएम की संख्या भी कम हुई है। एक एटीएम पर हर माह बैंक को 50 से 60 हजार रुपये खर्च करना पड़ता है। बैंक जब एटीएम बूथ किसी स्थान पर खोलता है तो उसे 10 हजार रुपये कीमत की एक दुकान किराए पर लेना होती है। एटीएम मशीन की सुरक्षा में 12-12 हजार रुपये के गार्ड तैनात करने होते हैं। मशीन में पैसा भरने से लेकर बिजली बिल के भुगतान पर हर माह 10 हजार रुपये खर्च होते हैं।