शिवराज ने एक बार फिर संभाली मध्य प्रदेश की कमान, चौथी बार ली मुख्यमंत्री पद की शपथ

भोपाल: भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता और मध्य प्रदेश के तीन बार के मुख्यमंत्री रह चुके शिवराज सिंह ने एक बार फिर सूबे की कमान संभाल ली है. 15 महीनों की कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद सोमवार को राज्यपाल लालजी टंडन ने शिवराज चौहान को शपथ दिलाई. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए शपथ ग्रहण समारोह बेहद साधारण तरीके से हुआ. सिर्फ शिवराज चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

मुख्यमंत्री पद की शपथ संभालते ही शिवराज चौहान ने कहा कि उनकी सबसे पहली प्राथमिकता COVID-19 से मुकाबला है. बाकी सब बाद में. साथ ही उन्होंने कांग्रेस के बागी विधायकों का भी धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि जिन 22 पूर्व विधायकों ने अपनी पार्टी की सदस्यता त्याग कर BJP की सदस्यता ग्रहण की है, उन साथियों का आभार और धन्यवाद. आश्वस्त करता हूं कि उम्मीदों पर खरा उतरूंगा और उनके विश्वास को कभी नहीं टूटने दूंगा.

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी नेता ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. MP में शिवराज के अलावा अब तक अर्जुन सिंह और श्यामाचरण शुक्ल तीन-तीन बार सीएम रहे हैं.

देखें शिवराज चौहान का शपथ ग्रहण:

Office of Shivraj

@OfficeofSSC

भोपाल स्थित राजभवन में आयोजित मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण समारोह।

भोपाल स्थित राजभवन में आयोजित मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण समारोह।

इससे पहले आज शिवराज चौहान को विधायक दल का नेता चुना गया. जहां विधायकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कार्यकर्ताओं से निवेदन कि कोई आतिशबाजी और जश्न नहीं होगा. प्रधानमंत्री मोदी ने जो संकल्प लिया है कोरोना से निपटने का उसे पूरा करना है. शिवराज सिंह ने विधायकों से भी कहा कि कल पूरी जांच करवाकर ही अपने क्षेत्र में जाएं. उन्होंने कहा कि वह एक साधारण कार्यकर्ता हैं. हम सब एक परिवार हैं. एक साथ मिलकर चले एक इतिहास रचेंगे.

शिवराज सिंह चौहान का सियासी सफर
शिवराज सिंह चौहान छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हैं. 1976 से 1977 तक इमरजेंसी के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लिया. इमरजेंसी के दौरान कुछ वक्त तक भोपाल जेल में रहे. 1977 में कॉलेज में पढ़ाई के दौरान RSS से जुड़े. लंबे समय तक ABVP के लिए काम किया. ABVP में शामिल होने के बाद भोपाल इकाई के संगठन सचिव बने. 1978 से 1980 के बीच ABVP के संयुक्त सचिव रहे. 1980-82 में ABVP के प्रदेश मंत्री बने. 1982-83 में ABVP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने. 1990 में राजनीतिक जीवन ने लिया टर्निंग प्वॉइंट. 1990 में बुधनी से पहली बार बने विधायक. MLA बनने के एक साल बाद ही हुआ सियासी प्रमोशन.

1991 में विदिशा लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. 1992 से 94 तक बीजेपी महासचिव रहे. 1996, 1998 और 1999 में लगातार तीन बार विदिशा से लोकसभा चुनाव जीता. 2002 में बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव और 2003 में महासचिव बनाए गए. 2004 में विदिशा से पांचवीं बार लोकसभा सांसद बने.

2005 में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बनकर एमपी की सियासत में वापसी की. 29 नवंबर 2005 को पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने. बाबूलाल गौर को हटाकर सौंपी गई थी एमपी की कमान. 2005 से 12 दिसंबर 2018 तक लगातार 13 साल एमपी के सीएम रहे. शिवराज चौहान सीहोर की बुधनी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ते हैं. अब चौथी बार प्रदेश के मुखिया बने हैं.

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