करोड़ों में जमीन खरीदी, गुंडों से लाखों में छुड़ा रहे …!
शहर के मुहानों पर, जहां भू-माफिया और सिस्टम के गठजोड़ से आम जनता त्रस्त है …
ग्वालियर शहर में भू-माफिया का गुंडाराज है। खासकर शहर के मुहानों पर, जहां भू-माफिया और सिस्टम के गठजोड़ से आम जनता त्रस्त है। यहां खुद की जमीन हासिल करना किसी जंग लड़ने से कम नहीं है। हालात यह हैं, अब आम लोग यहां जमीनें खरीदने से भी बच रहे हैं। जिनकी जमीनें यहां हैं, वह अपने हक के लिए कभी पुलिस तो कभी प्रशासनिक अफसरों के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन इन्हें न्याय नहीं मिल रहा। भू-माफिया दूसरों की जमीनों से लेकर सरकारी जमीनें तक घेरने से पीछे नहीं हट रहे। इनके बुलंद हौसले के आगे पूरा सिस्टम बेबस नजर आता है। भू-माफिया इस कदर हावी हैं कि अब यह लोग हमला करने से भी नहीं चूक रहे, लेकिन सख्त कार्रवाई नहीं हो रही। इसकी बड़ी वजह है- भू-माफिया और जिम्मेदारों का गठजोड़। सवाल है, आखिर किसकी शह पर यह पूरा खेल चल रहा है। किस तरह शहर में चल रहा है भू-माफिया का गुंडाराज, पढ़िए पूरी रिपोर्ट..
समझिए कैसे काम करता है गठजोड़ का नेटवर्क, कौन है इसके पीछे
– भू-माफिया: शहर के महाराजपुरा, पुरानी छावनी, सिरोल, सिटी सेंटर, झांसी रोड क्षेत्र में आपराधिक प्रवृत्ति के लोग अब भू-माफिया बन गए हैं। जब यहां आम व्यक्ति जमीन खरीदता है तो सबसे पहले यह इस पर कब्जा करते हैं। यहां भैंसे बांधने से लेकर, फसल बोने, गंदगी डालकर इसे घेरते हैं। जब जमीन का मालिक यहां इसे हटवाने आता है तो सबसे पहले उस जमीन को अपना बताकर विवाद पैदा करते हैं। कई बार जो लोग जमीन बेच देते हैं, वही इस जमीन में पूरे षड़यंत्र के साथ अड़ंगा डालते हैं। जमीन को विवादित बनाकर मजबूर कर देते हैं कि व्यक्ति बहुत ही कम दाम में दोबारा जमीन बेचकर चला जाए। इसी तरह सरकारी जमीनें घेरते हैं।
– पुलिसिया नेटवर्क: भू-माफिया का पुलिसिया नेटवर्क भी रहता है। जब जमीन मालिक थाने शिकायत लेकर जाता है तो पहले तो एफआइआर ही दर्ज नहीं की जाती। वरिष्ठ अधिकारियों तक शिकायत पहुंचती है तो जैसे-तैसे एफआइआर दर्ज हो जाती है। इसके बाद थानों का स्टाफ ही पूरी खबर इन तक पहुंचाता है। अगर गैर जमानती अपराध में एफआइआर दर्ज हुई है तो जब भी पुलिस इन्हें पकड़ने जाती है तो इन तक पहले ही खबर पहुंच जाती है। केस कमजोर करने से लेकर जमानत दिलाने तक में पूरी मदद की जाती है।
– प्रशासनिक गठजोड़: अगर कोई सरकारी जमीन घेरता है या फिर दूसरों की जमीन पर कब्जा करता है तो इसकी शिकायत राजस्व विभाग के अधिकारियों से की जाती है। महीनों तक आवेदन लंबित रहते हैं। जब किसी वरिष्ठ अधिकारी तक मामला पहुंचता है तब सरकारी जमीनों को मुक्त करवाया जाता है। वहीं निजी जमीनों के मामले में महीनों सुनवाई ही चलती रहती है।
– माननीय की मिलीभगत: आपराधिक प्रवृत्ति के इस गठजोड़ में सबसे पीछे होते हैं नेता। जब पुलिस ऐसे अपराधियों पर कार्रवाई करती है तो सबसे पहले यहीं से सिफारिश पहुंचती है। ताजा मामला कपड़ा कारोबारी का है, जिसमें अपराधियों को बचाने के लिए तमाम नेताओं ने सिफारिश की।
यह मामले, जिनमें जमीनें ही बनी जान की दुश्मन
1. हरिशंकरपुरम में रहने वाले कपड़ा कारोबारी सुरेश अरोरा 14 मार्च को झांसी रोड स्थित केदारपुर गांव में अपनी जमीन पर साफ-सफाई और बाउंड्री बनाने पहुंचे थे। यहां रहने वाले भारत सिंह गुर्जर, बल्ली गुर्जर, मोहर सिंह गुर्जर, बावी गुर्जर, लवकुश गुर्जर, रवि गुर्जर, रणवीर गुर्जर ने 25 लाख रुपये की मांग की। इसके बाद उनकी और उनके बेटे की बेरहमी से मारपीट की। पुलिस ने एफआइआर दर्ज की, इधर गुंडे फरार हो गए। पुलिस ने इनके घर दबिश दी और यहां से पुलिस ट्रैक्टर, कार व दो बाइक जब्त कर ले आई। भारत गुर्जर और मोहर सिंह गुर्जर पर पहले से कई आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं।
2. देव नगर निवासी निगरानीशुदा बदमाश संजू पाल को घेरकर काऊ पारदी, मुकेश पारदी, किशन पारदी, बाबा, धर्मेंद्र व इनके साथियों ने गोली मारी। किशन के भाई रघुवीर की घर में ही लाश मिली है। इसमें पुलिस ने हत्या की एफआइआर संजू पाल और सौरभ सेन पर दर्ज की है। यह पूरा मामला सरकारी जमीन को लेकर विवाद का है। दोनों ही पक्ष सरकारी जमीन घेरकर अवैध रूप से प्लाटिंग करना चाहते हैं।
शहर में अगर ऐसी आपराधिक परिस्थिति बनेंगी तो निवेश और शहर पिछड़ेगा। पुलिस और जिला प्रशासन को चाहिए ऐसे भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। आलम यह है, ऐसी घटनाएं होने पर तमाम जगह भटकने के बाद पीड़ित कार्रवाई करा पाता है। ऐसे मामलों में जनप्रतिनिधियों को भी यह तय करना चाहिए कि आम जनता को प्रताड़ित कर रहे लोगों की सिफारिश कर इनके हौसले न बढ़ाएं। हम इसे लेकर जिम्मेदार अधिकारियों के सामने यह पक्ष रखेंगे, यह शहर के पिछड़ने की बड़ी वजह बनती जा रही है।
अध्यक्ष चैंबर आफ कामर्स
ग्वालियर में जमीन के विवाद के मामले अधिक आते हैं, इसे लेकर विवाद की स्थिति बनती है। राजस्व अमले को निर्देशित करेंगे कि प्राथमिक स्तर पर ऐसे मामलों को गंभीरता से लें। लोगों को भी खुद के स्वामित्व की जमीन न होने पर विवाद की स्थिति से बचना चाहिए।
कलेक्टर, ग्वालियर
जमीनों के विवाद की शिकायतें हमारे पास आती हैं तो शत प्रतिशत मामलों में कार्रवाई करवाई जाती है। थाना स्तर पर और सख्ती से निर्देश देंगे कि हर शिकायत को गंभीरता से लें। भू-माफिया और जमीनों के नाम पर जालसाजी करने वालों को जेल पहुंचाया है। प्रशासन के साथ मिलकर अभियान चलाएंगे।
एसएसपी