हम एक संकल्प लें कि दुनिया में आए हैं तो हमको चलना है, दौड़ना है और उड़ना है
संसार का एक नाम सवारी भी कहा गया है। सवारी का मतलब एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाने का साधन। हम सब किसी न किसी पर सवार हैं। पर दुनिया मिलती है बावलेपन और दीवानेपन से। इन दोनों के बीच समझदार लोग एक व्यवस्था करते हैं जिसका नाम है संकल्प।
अगर दुनिया पाना चाहते हों तो संकल्पित हो जाओ। बावलेपन से दुनिया मे घूमते रहोगे, चक्कर काटोगे, मिलेगा क्या? मालूम नहीं। जैसे प्रेमी का बावलापन होता है कि प्रेमिका की आंखों से मेरी तकदीर लिखी जाए। ये एक बावलापन है।
जिंदगी ऐसे खयालातों से नहीं चलती, संकल्पों से चलती है। हम एक संकल्प लें कि दुनिया में आए हैं तो हमको चलना है, दौड़ना है, उड़ना है और जो भी सवारी हमारे पास है उसमें अपनी समझ नहीं खोएंगे। आरंभ से अंत तक जागरूक रहेंगे और जो संकल्प लिया है उसको पूरा करेंगे।
बिना संकल्पित जीवन कोल्हू के बैल की तरह है घूमते रहो…घूमते रहो… हासिल कुछ नहीं होगा। एक दिन थक जाओगे तो गिर जाओगे। शायद ऐसे गिरोगे कि चल भी न पाओ। इसलिए होश में यात्रा की जाए, सवारी कोई भी हो।