सफलता:पिता बनाना चाहते थे इंजीनियर, बेटी बन गई सिविल जज

पिता बेटी को इंजीनियर बनाना चाहते थे, लेकिन अपनी मेहनत के दम पर सिविल जज के पद चयनित होकर भिंड की बेटी ने बता दिया कि वह भी बेटों से कम नहीं है। शहर के रंजना नगर निवासी स्वप्निल वर्मा ने दूसरे प्रयास में सिविल जज बनकर जिले का नाम रोशन कर दिया। मंगलवार को ग्वालियर से घर वापस लौटने पर परिजनों और कॉलोनी के लोगों ने बेटी का जोरदार स्वागत किया।

स्वप्निल वर्मा के पिता राजेश वर्मा रंजना नगर में किराने की दुकान चलाते हैं और मां स्वर्णलता गृहिणी हैं। स्वप्निल की 12वीं तक की पढ़ाई भिंड शहर से ही हुई है। इसके बाद उन्होंने जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर से साल 2020 में गोल्ड मेडलिस्ट रहते हुए बीएएलएलबी की डिग्री हासिल की। साल 2022-23 में एमएलबी कॉलेज ग्वालियर से एलएलएम की डिग्री प्राप्त की।बेटी स्वप्निल वर्मा ने बताया कि वर्ष 2015 में गणित- जीव विज्ञान विषयों से 12वीं पास करने के बाद पिता मुझे इंजीनियर बनाना चाहते थे। पिता की इच्छा के चलते मैंने आईआईटी का एग्जाम भी दिया था। मगर मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ। जिसके बाद मैंने पिता से लॉ की पढ़ाई कर जज बनने की इच्छा जताई।

योगेंद्र सिंह राजपूत- चौथे प्रयास में कामयाबी
अटेर क्षेत्र के रमपुरा निवासी योगेंद्र सिंह राजपूत का भी चयन सिविल जज के लिए हुआ है। योगेंद्र सिंह को यह उपलब्धि चौथे प्रयास में हासिल हुई। योगेंद्र सिंह राजपूत के पिता परमाल सिंह राजपूत गांव में करते हुए खेती किसानी करते हैं और मां ग्रहणी हैं। योगेंद्र सिंह ने स्कूली शिक्षा भिंड शहर में रहते हुए पूरी की। 12वीं पास करने के बाद उन्होंने जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर से बीएएलएलबी और एलएलएम की डिग्री हासिल की। योगेंद्र सिंह राजपूत बताते हैं कि पिता का सपना था कि उनका बेटा एलएलबी करने बाद जज बने। उन्होंने ने भी मुझे सिविल जज की तैयारी के लिए प्रेरित किया।योगेंद्र सिंह राजपूत ने बताया कि लॉ तैयारी के दौरान परिजनों को आर्थिक तंगी का काफी सामना करना पड़ा।

निहारिका दूसरे प्रयास में बनी जज
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुधीर कुमार व्यास की बेटी निहारिका व्यास ने भी दूसरे प्रयास में सिविल जज बनकर जिले का नाम रोशन कर दिया। बेटी निहारिका की आठवीं तक की पढ़ाई भिंड में हुई। उनके बाद आगे की पढ़ाई और सिविल जज की तैयारी ग्वालियर में रहते हुए की। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों को दिया है।

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