चुनावी साल में जनता की शिकायतें बड़ी चुनौती …!
चु नावी साल में सरकार से जनता की उम्मीदें कुलांचें मार रही हैं। सरकार की विकास यात्राओं के दौरान हर जगह मांगों का पुलिंदा थमाया जा रहा है। उन वादों के बारे में भी पूछा जा रहा है, जिनके सब्जबाग जनप्रतिनिधियों ने सालों पहले दिखाए थे। विकास यात्रा में अब तक करीब 50 हजार से ज्यादा गांवों को मंत्री और अफसर नाप चुके हैं। हर जगह शिकायतों का अंबार है। यात्रा के आधे चरण में ही अब तक चार लाख 26 हजार से ज्यादा आवेदन मिल चुके हैं। क्या सबकी अपेक्षाएं पूरी होंगी? सड़क खराब होने से लेकर गेहूं न मिलने, बिजली बिल और उर्वरकों की कमी जैसी शिकायतों से जनप्रतिनिधियों को दो-चार होना पड़ रहा है। खंडवा में तो ग्रामीणों ने विधायक की घेराबंदी कर नारेबाजी भी की। कमोबेश, यही स्थितियां अन्य जगहों पर भी हैं। यह अच्छे संकेत नहीं हैं। प्रदेश में अगस्त 2017 में नागरिकों की समस्याओं के निराकरण के लिए एमपी समाधान पोर्टल की शुरुआत हुई थी। कुछ माह तक तो पोर्टल पर दर्ज समस्याओं का त्वरित निस्तारण हुआ। लेकिन, बाद में काहिली नजर आने लगी। आज हालत यह है कि 85 हजार 898 मामले ऐसे हैं जिनका समाधान 100 दिन में भी नहीं मिला। 14 हजार 610 मामले ऐसे हैं जिनकी शिकायत हुए एक साल से ज्यादा की अवधि बीत चुकी है। वह भी तब जब इनमें से अधिकतर मामले लोकसेवा गारंटी से जुड़े हैं। क्या यह लोकसेवा गारंटी अधिनियम का माखौल उड़ाना नहीं है? लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, खाद्य नागरिक आपूर्ति, पंचायत और ग्रामीण विकास से लेकर पुलिस विभाग सब के सब सवालों के घेरे में हैं। शहरी इलाकों में नगरीय विकास और आवास में सबसे ज्यादा शिकायतें हैं। अवैध तरीके से नक्शों को वैध करने, अवैध भवन निर्माण और अवैध बस्तियों के लगातार बढ़ते जाने की शिकायतों का निस्तारण भी नहीं हो रहा है। जबकि, यही अनियमितताएं भविष्य में शहरी विकास में सबसे ज्यादा बाधक बनती हैं। सात मार्च को मुख्यमंत्री ने इन तमाम शिकायतों की समीक्षा की समयसीमा तय की है। लेकिन, इस बात की क्या गारंटी भविष्य में सब कुछ ठीक हो जाएगा? चुनावी साल में जा चुके सत्तारूढ़ दल लगातार मिल रहीं जनता की शिकायतें चुनौती बनती जा रही हैं। आमजन की नाराजगी का बढ़ते जाना सरकार के लिए ठीक नहीं है। इसके लिए सरकार को ठोस और स्थायी उपाय के साथ आमजन को राहत मुहैया करवानी चाहिए।