अवैध कॉलोनियों को वैध करने नहीं हुआ सर्वे, इंजीनियर बोले- पटवारी विकास यात्रा में व्यस्त
लेटलतीफी की वजह से नहीं हो रही कार्रवार्ई …
वर्ष 2016 के पहले शहर में अस्तित्व में आई अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया एक बार फिर नगरपालिका ने शुरु कर दी। वहीं इन कॉलोनियों को 15 दिन में सर्वे किया जाना था। लेकिन करीब एक महीना बीतने को जा रहा है अब तक सर्वे पूर्ण नहीं हो पाया है, जिससे इन अवैध कॉलोनियों के वैध किए जाने की प्रक्रिया अटकी हुई है। नगरपालिका के इंजीनियर का कहना है कि पटवारियों के विकास यात्रा में व्यस्त होने के कारण सर्वे में देरी हो रही है। बता दें कि भिंड शहर में 100 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां है। साथ ही इन कॉलोनियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
वर्ष 2018 में भिंड नगरपालिका ने वर्ष 2016 से शहर में अस्तित्व में आई अवैध कॉलोनियों वैध करने के लिए कार्रवाई की थी। तब नगरपालिका ने सर्वे कराया था, जिसमें वर्ष 2016 से पहले की 37 अवैध कॉलोनी सामने आई थी। लेकिन तब हाईकोर्ट की रोक के बाद यह प्रक्रिया रुक गई थी। वहीं अब एक बार फिर सरकार ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने के नियमों में बदलाव कर प्रारुप जारी किया है, जिसके तहत नगरपालिका ने शहर में अवैध कॉलोनियों को वैध करने की कार्रवाई प्रारंभ कर दी है। वहीं वर्ष 2016 से पहले अस्तित्व में आई कॉलोनियों को ढूंढने के लिए सर्वे प्रारंभ कर दिया है। यह सर्वे 15 दिन में पूर्ण होना है।
अवैध कॉलोनियों में सुविधाओं के लिए रहवासी ने नहीं दी सूचना
मध्यप्रदेश नगरपालिका कॉलोनी विकास निगम 2021 के तहत नगरपालिका ने अवैध काॅलोनियों को वैध करने के संबंध में करीब एक महीने पहले सूचना जारी कर दी थी। इसके तहत शहर के अंदर 31 दिसंबर 2016 से पहले काॅलोनाइजर अथवा अनाधिकृत कॉलोनियों में निवासरत लोगों को कहा गया था कि वे यदि मूलभूत सुविधाएं (सड़क, बिजली, पानी और नाली) चाहते हैं तो इस संबंध में लिखित में नगरपालिका की राजस्व शाखा में 15 दिवस में सूचना दें। ताकि उनकी कॉलोनियों को वैध किए जाने के संबंध में कार्रवाई की जा सके। लेकिन बताया जा रहा है कि नगरपालिका में किसी भी रहवासी की ओर से इस संबंध में सूचना नही दी गई।
15 दिन में करना था सर्वे, एक माह बाद भी शुरू नहीं
अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए नगरपालिका सीएमओ वीरेंद्र तिवारी ने संबंधित पटवारी, नगरपालिका इंजीनियर, टाइम कीपर, वार्ड प्रभारी की संयुक्त टीम बनाई है। साथ ही 15 दिन में इन्हें सर्वे पूर्ण करना के लिए कहा गया था। लेकिन करीब एक महीना बीतने को जा रहा है। यह सर्वे अब तक पूर्ण नहीं हो पाया है। नगरपालिका इंजीनियर ने कुछ कॉलोनियों का ले-आउट बना लिया है। जबकि अभी कई कॉलोनियों रह गई है। ले-आउट बनने के बाद तय हो पाएगा कि किस कॉलोनी को वैध करने पर नगर पालिका मूलभूत सुविधाएं देने में कितना पैसा खर्च होगा।
पहले इन अवैध कॉलोनियों को किया गया था चिह्नित
बताया जा रहा है कि वर्ष 2018 में नगरपालिका ने वर्ष 2016 से पहले विकसित हुई कॉलाेनियों में जोशी नगर, कुशवाह काॅलोनी, हरियल बाग, एसएएफ के सामने, गोविंदनगर, यादव काॅलोनी, ओझा काॅलोनी, श्रीकृष्ण नगर, भट्टा काॅलोनी, खंडेलवाल नगर, मातादीन का पुरा, बघेल काॅलोनी, अग्रवाल काॅलोनी भाग एक व भाग दो, डाक बंगला काॅलोनी, विक्रमपुरा, देवीदयाल काॅलोनी, उर्मिला काॅलोनी, तुलसी नगर, कुम्हरौआ, सुरेंद्र प्रताप नगर, यदुनाथ नगर, सीतानगर, भीमनगर, रेखा नगर, मीरा काॅलोनी, सेंथिया काॅलोनी, शिव सदन काॅलोनी, चौबे वाली गली, अरविंद नगर, विजय नगर, विनोद नगर, भदौरिया नगर, राममूर्ति काॅलोनी, नबादा बाग, चंदनपुरा, शिवाजी नगर को चिह्नित किया गया था।
चल रही कार्रवाई
शहर में वर्ष 2016 से पहले अस्तित्व में आई अवैध कॉलोनियों को वैध करने की कार्रवाई चल रही है। इन कॉलोनियों का सर्वे कराकर ले-आउट तैयार कराया जा रहा है। इसके बाद उन्हें वैद्य किए जाने की कार्रवाई की जाएगी।
वीरेंद्र तिवारी, सीएमओ, भिंड
कॉलोनाइजर ने नहीं दी तो रहवासियों से ली जाएगी 50 फीसदी राशि
बताया जा रहा है कि नए नियमों के अनुसार अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए कॉलोनाइजर को 50 प्रतिशत राशि नगरपालिका में जमा कराना होगी। जबकि शेष 50 प्रतिशत राशि नगरपालिका खर्च करेगी। शहर में ज्यादातर कॉलोनियों के कॉलोनाइजर का पता नहीं है। ऐसे में इन कॉलोनियों में निवासरत लोगों को यह 50 प्रतिशत की राशि जमा करना होगी। तभी उनकी कॉलोनी वैध मानी जाएगी। लेकिन अब ले-आउट तैयार न होने की वजह से यह भी तय नहीं हुआ है कि किस रहवासी पर कितना खर्चा आएगा। कारण ज्यादातर कॉलोनियों के कॉलोनाइजर नगरपालिका को नहीं मिले हैं।