18 हजार यात्री बसों के आंकड़े पोर्टल पर लेकिन जांच नहीं करते आरटीओ ?
18 हजार यात्री बसों के आंकड़े पोर्टल पर लेकिन जांच नहीं करते आरटीओ
पंजीयन के बाद फिटनेस-बीमा पर ध्यान नहीं प्रदेश में पंजीकृत यात्री बसों के डाटाबेस में से फिटनेस, बीमा और टैक्स किन बसों का भरा गया है।
- वाहन पोर्टल पर पूरा डाटा
- हर आरटीओ को जांच का अधिकार
- -30 से 40 प्रतिशत यात्री बसें रोज नियमों को तोड़ दौड़ रहीं
ग्वालियर। प्रदेश में भीषण बस दुर्घटनाओं के बाद सरकारी अमले का जांच आदि के लिए सड़क पर उतरने का दिखावा अब पुराना हो गया है। बुधवार रात को गुना में बस हादसे के बाद सरकार ने सख्त रुख दिखाया तो परिवहन विभाग सक्रिय दिखाई दे रहा है। हालांकि बस हादसों के पीछे सबसे ज्यादा जिम्मेदार जिलों के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) की अनदेखी ही है। प्रदेश में 18 हजार यात्री बसें पंजीकृत हैं। हर बस से संबंधित आंकड़े वाहन-4 पोर्टल पर आनलाइन उपलब्ध हैं।
आंकड़े अंगुलियों पर हैं और किसी भी आरटीओ या संबंधित अधिकारी के लिए यह पता करना सेकंड भर का काम है कि कौन-सी बस अनफिट है, किसका बीमा नहीं हुआ है और किसके लिए टैक्स नहीं भरा गया है। आरटीओ इस जानकारी के साथ सड़कों पर ऐसी बसों की छंटनी कर उनके विरुद्ध बड़ी कार्रवाई कर सकते हैं लेकिन करता कोई नहीं है।
अनुमान के अनुसार प्रदेश में 30 प्रतिशत यात्री बसें कोई न कोई नियम तोड़कर ही चल रही हैं। अब परिवहन मुख्यालय की ओर से सभी जिलों के आरटीओ को यह निर्देश दिए गए हैं कि शुक्रवार से अपने जिलों में वाहन पोर्टल पर डाटा निकालना शुरू करें। ऐसी बसों को चिह्नित करें तो पंजीकृत हैं लेकिन उनका फिटनेस नहीं है या उनका टैक्स नहीं भरा गया है। इसके अलावा यह भी देखा जाना है कि उनका बीमा करवाया गया है या नहीं। अब रोज इसका अपडेट लिया जाएगा।
पुलिस की बड़ी चूक
बता दें कि गुना में हुए भीषण बस हादसे में परिवहन विभाग से लेकर पुलिस की बड़ी चूक सामने आई है। दुर्घटना का शिकार हुई बस धड़ल्ले से गुना-आरोन रूट पर दौड़ रही थी। वह अवैध ढंग से संचालित हो रही थी। उसका फिटनेस 17 फरवरी, 2022 को ही खत्म हो चुका था। उसका बीमा भी नहीं था और टैक्स भी वर्ष 2022 तक भरा हुआ था। इसके बाद भी किसी भी स्तर पर बस की जांच नहीं हुई।
परिवहन अमला या अधिकारी ध्यान देते तो बस हादसे का शिकार होने से बचाई जा सकती थी। पंजीयन के बाद फिटनेस-बीमा पर ध्यान नहीं प्रदेश में पंजीकृत यात्री बसों के डाटाबेस में से फिटनेस, बीमा और टैक्स किन बसों का भरा गया है। यह जानकारी मिल सकती है।
यदि इनकी अनिवार्यता पूरी है तो वह बस नियमानुसार चल रही है। यदि बस केवल पंजीकृत है और टैक्स, बीमा, फिटनेस पूरा नहीं है। यानी, ये बसें अवैध रूप से दौड़ रही हैं। इसी आंकड़े पर पहले कभी चिंता नहीं की गई। हर जिले के आरटीओ को अधिकार है कि वह अपने लाग-इन आइडी से वाहन-4 पोर्टल से डाटा निकाल सकते हैं और इससे मिली जानकारी के आधार पर अवैध रूप से चलाई जा रही बसों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।
प्रदेश में इतनी बसें
– बसों का कुल पंजीयन- 37,276
-यात्री बसें- 18,000
-शैक्षणिक सेवा में लगी बसें- 19,276
इंदौर जिले में सबसे ज्यादा बसें
बसों की सबसे ज्यादा संख्या इंदौर जिले में है। इसके बाद भोपाल, जबलपुर और चौथे नंबर पर ग्वालियर है।
यात्री बसों की चेकिंग को लेकर हर जिले के आरटीओ को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि शुक्रवार से वे ऐसी बसों को चिह्नित कर लें जिनका फिटनेस, बीमा व टैक्स नहीं है। वे वाहन-4 पोर्टल से ऐसी बसों को डाटा निकाल रहे हैं। शासन ने फ्री हैंड दिया है कोई कोताही अब नहीं चलेगी। लापरवाही पर संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई में देर नहीं होगी।
अपर आयुक्त, परिवहन विभाग