परमिट न बीमा रिकार्ड, फिटनेस भी खत्म… फिर भी खूब दौड़ रहीं बसें ?
परमिट न बीमा रिकार्ड, फिटनेस भी खत्म… फिर भी खूब दौड़ रहीं बसें
…. ने गुना बस हादसा होने के बाद भोपाल से प्रदेश व अन्य प्रदेशों में चलने वाली बस संचालन की पड़ताल की तो कई खामियां सामने आईं।
- -गुना बस हादसे के बाद राजधानी सहित प्रदेश भर में निजी बस संचालन पर उठे सवाल
- -हादसे के बाद जागते हैं, फिर सो जाते हैं जिम्मेदार, बस संचालकों पर नहीं होती कार्रवाई
भोपाल : वर्ष 2008 में शुरू हुई निजी परिवहन सेवा पटरी पर नहीं लौट पा रही है, आए दिन हादसे हो रहे हैं। गुना बस हादसे ने सबको हिलाकर रख दिया है। हादसे में 13 लोग जिंदा जल गए, सभी स्तब्ध हैं। अब जांच के लिए चार सदस्यीय टीम घटित की गई है, साथ ही मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने तत्काल प्रभाव से परिवहन आयुक्त संजय कुमार झा, गुना कलेक्टर तरुण राठी, एसपी विजय कुमार खत्री, आरटीओ रवि बरेलिया सहित अन्य अधिकारियों को हटाने की कार्रवाई की गई है।
प्रदेश भर में संचालित बसों का चेकिंग अभियान भी चलाया गया। मोटर व्हीकल एक्ट का पालन किए बगैर दौड़ रहीं बसों पर कार्रवाई की जा रही है, लेकिन अब सवाल ये हैं कि हादसे के बाद जागने वाले जिम्मेदार आखिर कितने दिन संवेदनशील रहते हैं? होता यह है कि कुछ दिन क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) और जिला परिवहन अधिकारी (डीटीओ) के उड़नदस्ते चेकिंग अभियान चलाते हैं।
अवैध संचालन कर रहे बस चालकों, मालिकों पर शिकंजा कसते हैं, फिर समय बीत जाता है, जिम्मेदार फिर सो जाते हैं। ऐसे में निजी बस मालिकों की मनमानी शुरू हो जाती है।
नईदुनिया ने गुना बस हादसा होने के बाद भोपाल से प्रदेश व अन्य प्रदेशों में चलने वाली बस संचालन की पड़ताल की तो कई खामियां सामने आईं। गुरुवार को दोपहर सवा एक बजे प्रदेश के सबसे बड़े बस स्टैंड आइएसबीटी से संचालित विभिन्न मार्गों की बसों के संचालन की व्यवस्था देखी तो कई खामियां नजर आईं।
आइएसबीटी से अलग-अलग मार्गों पर संचालित बसों के पंजीयन क्रमांक के आधार पर www.mptransport.org पर 30 बसों की जांच की तो पांच ऐसी बसें मिलीं, जिनका बीमा खत्म हो चुका है तो परमिट का रिकार्ड नहीं बता रहा है। फिटनेस भी समाप्त हो चुकी है। वहीं एनआइसी के पोर्टल वाहन-चार का सर्वर डाउन होने से बसों संबंधी जानकारी नहीं मिल सकी।
पर्यटन का लिया परमिट, बसें दौड़ रहीं
मुंबई-पुणे- भोपाल से करीब 100 बसें हैं, जिनका परमिट पर्यटन का है, लेकिन वो पुणे-मुंबई मार्ग पर दौड़ रही हैं। नियमानुसार ऐसी बसें, जिनका परमिट पर्यटन स्थलों का है तो उन्हें वहीं तक जाना चाहिए। बसों का संचालन देख रहीं एजेंसियां त्योहारी सीजन पर यात्रियों से चार से छह हजार रुपये तक किराया लेती हैं। इन बसों का संचालन लंबे समय किया जा रहा है। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आरटीओ उड़नदस्ते की ओर से खानापूर्ति की जाती है।
किसी के टायर घिसे तो इमरजेंसी गेट नहीं लगा
राजधानी से नर्मदापुरम, बैतूल, इंदौर, ब्यावरा, गुना, धार, झाबुआ, रायसेन, सागर सहित विभिन्न शहरों के लिए चल रही बसों में से कई बसों के टायर घिसे हैं, किसी में साइड ग्लास नहीं है तो कई बसों में बैक लाइट फूटी है। इतना नहीं इमरजेंसी गेट व पीछे के गेट पर अधिक सवारी बैठाने के लिए सीटें लगा ली गई हैं। इतना ही नहीं, बसों में फर्स्ट एंड बाक्स व अग्निशमन यंत्र सिर्फ नाम के लिए लगे हैं। बाक्स में दवाएं व मरहम पट्टी नहीं रहती हैं।
बिना फिटनेस व बीमा के चल रहीं बसें
बस क्रमांक : एमपी04 पीए3958 : एमपी ट्रांसपोर्ट वेबसाइट पर जांचने पर पता चला कि बस का बीमा तीन अक्टूबर 2020 में समाप्त हो चुका है। परमिट इस पर शो नहीं कर रहा है। बेवसाइट के अनुसार, फिटनेस चार दिसंबर 2021 में समाप्त हो चुकी है।
बस क्रमांक : एमपी40पी0288 : एमपी ट्रांसपोर्ट वेबसाइट में दी गई जानकारी के अनुसार, बस की फिटनेस फरवरी 2024 तक है, लेकिन बीमा चार दिसंबर 2016 में समाप्त हो चुका है। 52 प्लस दो सीट में पास है। गाडरवाड़ा से भोपाल का परमिट है।
बस क्रमांक : एमपी04पीए0785 : वेबसाइट के अनुसार, 30 दिसंबर 2010 तक बीमा था। इसके बाद बीमा की जानकारी नहीं है। 10 मई 2020 बस की फिटनेस की कोई जानकारी नहीं दी गई है। परमिट सारणी से भोपाल तक है। बीमा 30 दिसंबर 2010 को समाप्त हो चुका है।
बस क्रमांक : एमपी36पी2277: वेबसाइट में दी गई जानकारी के अनुसार, बस का परमिट इंदौर से टीकमगढ़ तक है। 14 नवंबर 2019 तक बस की फिटनेस टीकमगढ़ डीटीओ से की गई है। इसके बाद कोई रिकार्ड नहीं है। वहीं 27 जुलाई 2018 में बीमा समाप्त हो चुका है।
बस क्रमांक : एमपी04पीए1911 : वेबसाइट में परमिट का रिकार्ड नहीं है। फिटनेस 18 दिसंबर 2020 को समाप्त हो चुकी है। बस का बीमा 17 दिसंबर 2013 में खत्म हो चुका है।
इन नियमों का पालन करना जरूरी
बसों का परमिट, बीमा अनिवार्य होना चाहिए।
-फिटनेस प्रमाण पत्र होना अनिवार्य।
-बसों में आग बुझाने के लिए अग्निशमन यंत्र।
-बसों की रफ्तार रोकने के लिए स्पीड गवर्नर लगवाना अनिवार्य।
-फर्स्ट एड बाक्स, दो गेट होने चाहिए।
-इमरजेंसी गेट अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
-ओवर स्पीड व ओवर लोड में बसों का संचालन नहीं होगी।
-बसों के आगे व पीछे स्पष्ट अक्षरों में पंजीयन क्रमांक लिखे हों।
-साइड ग्लास लगने होने चाहिए।
आरटीओ ने 20 बसों की जांच की, 16 हजार समन शुल्क वसूला, एक बस को किया जब्त
भोपाल आरटीओ संजय तिवारी ने भोपाल-सागर मार्ग बिरखिड़िया में बसों का चेकिंग अभियान चलाया। तबाड़तोड़ कार्रवाई में 20 बसों की जांच की। इसमें बिना परमिट के मिली एक बस को जब्त करने की कार्रवाई की गई। 16 हजार रुपये का समन शुल्क वसूला। चेकिंग के दौरान बसों के ड्राइवर व परिचालक खाकी वर्दी नहीं पहने थे।
बसों में लगे फर्स्ट एड बाक्स में दवाएं व मरहम पट्टी नहीं मिलीं। कई बसों में जरूरी कागजातों की फाइलें नहीं मिलीं। बसों के टायर घिसे मिले। वहीं कुछ में साइड ग्लास नहीं लगे थे। आरटीओ संजय तिवारी ने बताया कि गुना जैसा बस हादसा भविष्य में कहीं न हो। इसके लिए हर बस का फिटनेस प्रमाण पत्र जांचा जाएगा।
मोटर व्हीकल एक्ट का पालन नहीं करने वाली बसों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। शुक्रवार को बस मालिकों के साथ बैठक करके उन्हें नियमानुसार बसों की फिटनेस कराने के निर्देश दिए जाएंगे। बिना फिटनेस, बीमा, परमिट के कोई भी बस चलती हुई मिलती है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। बसों का चेकिंग अभियान निरंतर चलाया जाएगा।