समय के साथ कितना बढ़ा महिलाओं का रुतबा?

समय के साथ कितना बढ़ा महिलाओं का रुतबा? पहले और अब की स्थिति कितनी अलग
आज समाज में महिलाओं का दर्जा और स्थान बदल रहा है. चाहे घर की बात हो या काम की जगह हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलकार अपना योगदान दे रही हैं.

अब समय बदल गया है, आज हर क्षेत्र में महिलाओं का रुतबा है. ऐसा न सिर्फ भारत में हो रहा है बल्कि दुनियाभर में देखा जा रहा है. हालांकि अब तक दुनिया में कोई भी महिला 100 अरब डॉलर की संपत्ति नहीं बना पाई थी. फ्रांस की फ्रांसुआ बेटनकोर्ट मायर्स ने ये मुकाम हासिल करके इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करा लिया है. यहां तक कि उन्होंने भारत के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी को भी पीछे छोड़ दिया है.

70 साल की फ्रांसुआ बेटनकोर्ट मेयर्स कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी लोरियल की वाइस-चेयरपर्सन हैं. लोरियल कंपनी की स्थापना फ्रांसुआ के दादा यूजीन शूएलर ने साल 1909 में  की थी. ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार, फ्रांसुआ दुनिया की 12वीं सबसे अमीर शख्सियत हैं. वह अपनी लाइफ प्राइवेट रखता पसंद करती हैं और चकाचौंध वाली दुनिया से दूर रहती हैं. फ्रांसुआ से पहले उनकी मां लिलियन बेटनकोर्ट साल 2017 तक दुनिया की सबसे अमीर महिला था, तब उनके पास अनुमानित 40 अरब डॉलर की संपत्ति थी.

समय के साथ बढ़ा महिलाओं का रुतबा
पहले समय में भारत और दुनियाभर में महिलाओं की स्थिति बहुत कमजोर थी. उन्हें पुरुषों के समान अधिकार नहीं दिए जाते थे. उन्हें शिक्षा, रोजगार, सामाजिक और राजनीतिक जीवन में भागीदारी से वंचित रखा जाता था. उन्हें घरेलू कामों और परिवार की देखभाल तक ही सीमित रखा जाता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है. आज भारत और दुनियाभर में महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. उन्हें अच्छा पढ़ाया-लिखाया जा रहा है, नौकरी में ऊंचे पद पर जगह दी जा रही है, सामाजिक कार्यों में भूमिका बढ़ रही है और राजनीति में भी महिलाएं सफलता हासिल कर रही हैं.

महिलाओं की स्थिति में सुधार के कुछ उदाहरण
भारत की महिलाओं में साक्षरता दर (Literacy Rate) पहले से काफी बढ़ा है. रिपोर्ट के अनुसार, आजादी के समय 11 में से सिर्फ 1 महिला ही पढ़ी लिखी थी. यानी कि 9 फीसदी. साल 2011 की जनगणना के अनुसार, महिलाओं की साक्षरता दर 65.46 फीसदी है. आज 100 में से 77 महिलाओं के साक्षर होने का अनुमान है. यानी कि 77 फीसदी. देश का सबसे साक्षर राज्य केरल है जहां 92.2 फीसदी महिलाएं पढ़ी लिखी हैं. इसके बाद केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप (91.85%), मिजोरम (91.33%) है. 

भारत में महिलाओं की श्रम भागीदारी दर भी बढ़ रही है. आजादी के समय 14 फीसदी महिलाएं अपना जीवन चलाने के लिए कुछ न कुछ काम (व्यापार, नौकरी या कृषि) करती थीं. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के रोजगार का आंकड़ा साल 1981 में बढ़कर 19.67 फीसदी, 1991 में 22.27 फीसदी,  2001 में 25.63 फीसदी हो गया. 2023 में महिलाओं की श्रम भागीदारी बढ़कर 37 फीसदी हो गई है.

तेजी से आगे बढ़ती नारी शक्ति!

देश की संसद और राज्य विधानसभाओं में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है. 2023 में 100 से ज्यादा महिलाएं लोकसभा और राज्यसभा में सांसद हैं. इनमें लोकसभा में 78 महिलाएं (14 फीसदी ) और राज्यसभा में 24 महिलाएं (11 फीसदी) सांसद हैं. आजादी के बाद 1951 में पहली लोकसभा में सिर्फ 4.50 फीसदी महिलाएं ही सांसद थीं. अब ये संख्या और भी बढ़ जाएगी क्योंकि देश में महिला आरक्षण बिल पारित हो चुका है जिसके तहत लोकसभा और राज्यसभा में महिलाओं की 33 फीसदी हिस्सेदारी होना अनिवार्य है.

दुनियाभर में महिलाओं की स्थिति में सुधार के कुछ उदाहरण

  • संयुक्त राष्ट्र ने साल 2030 तक सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए समानता और अधिकार हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. कुल 17 लक्ष्यों की लिस्ट में एक लक्ष्य महिलाओं को निर्णय लेने की क्षमता रखने वाले पदों पर बराबरी का अधिकार दिलाना भी है. 
  • महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए और अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए कई देश लगातार नए कानून बना रहे हैं या मौजूदा कानूनों में सुधार कर रहे हैं.
  • महिला अधिकारों की सुरक्षा के लिए योजनाएं बनाने और उन्हें लागू करने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय संगठन काम कर रहे हैं. इन संगठनों का मकसद महिलाओं को समाज में समानता और न्याय के साथ जीने में सहारा दिलाना है.
  • महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रयासों से महिलाओं को अधिक आर्थिक अवसर मिले हैं. उन्हें नेतृत्व भूमिकाओं में अधिक शामिल किया गया है.

दुनिया की टॉप-10 अमीर महिलाओं में कितनी भारतीय
ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार, दुनिया में रईसों की लिस्ट में भी महिलाओं का दबदबा बढ़ता जा रहा है. दुनिया के 100 सबसे अमीर कारोबारियों की लिस्ट में नौ भारतीय शामिल हैं. इनमें जिंदल ग्रुप की मालकिन सावित्री जिंदल का नाम भी है. भारत की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल की कुल नेटवर्थ बढ़कर 24.7 अरब डॉलर के पार पहुंच चुकी है. ये संपत्ति सालभर में 9 अरब डॉलर बढ़ी है. 

दुनियाभर के अमीरों में उनकी रैंक 68 है और महिलाओं में वह 11वें नंबर पर है. भारत के अमीरों की लिस्ट में वो छठे नंबर पर हैं. कमाई के मामले में उन्होंने लक्ष्मी मित्तल, राधाकिशन दमानी, कुमार बिरला, साइरस पूनावाला को भी पीछे छोड़ दिया है. सावित्री जिंदल 73 साल की हैं. उनकी शादी साल 1970 में जिंदल ग्रुप के फाउंडर ओमप्रकाश जिंदल  से हुई थी. पति की मौत के बाद से वह ही पूरी कंपनी संभाल रही हैं.

बाकी दुनिया की बात करें तो अमेरिका की सबसे ज्यादा कारोबारी महिलाओं ने नाम और संपत्ति अर्जित की है. दुनिया की टॉप-10 अमीर महिलाओं में छह अमेरिका से हैं. इसके अलावा एक फ्रांस, एक जर्मनी, एक चिली और एक ऑस्ट्रेलिया की महिला का नाम शामिल है. इन सभी 10 महिलाओं की कुल नेटवर्थ 473 अरब डॉलर है.

इस प्रकार हम देख सकते हैं कि महिलाएं अब हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं. समाज में उन्हें अब नए नजरिया से देखा जा रहा है. हालांकि अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. दुनिया भर में अभी भी कई महिलाएं हैं जिन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आर्थिक अवसरों तक पहुंच नहीं है. महिलाओं को समान अधिकार और अवसर देने के लिए हमें शिक्षा, जागरूकता और सशक्तिकरण पर ध्यान देना आवश्यक है. महिलाओं के खिलाफ हिंसा अभी भी एक गंभीर समस्या है.

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