भोपाल की अटल झुग्गियां ?

भोपाल की अटल झुग्गियां स….
…. समझें- ऐसे चल रहा आवंटित फ्लैट और झुग्गियों की किरायेदारी व सौदों का खेल

राजधानी के बीचोबीच स्थित बाणगंगा झुग्गी बस्ती। ये सीएम हाउस से मात्र 500 मीटर दूर है। - Dainik Bhaskar

राजधानी के बीचोबीच स्थित बाणगंगा झुग्गी बस्ती। ये सीएम हाउस से मात्र 500 मीटर दूर है।

झुग्गीमुक्त भोपाल के लिए तमाम योजनाओं और करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद झुग्गियां कम क्यों नहीं हो रहींं, इस सवाल का जवाब जानने के लिए जब भास्कर संवाददाता अलग-अलग बस्तियों में पहुंचे और पड़ताल की तो पता चला कि आवंटित किए गए 60% फ्लैट्स में ही वे लोग रह रहे हैं जिनको मकान आवंटित हुए हैं। 40% मकानों में किरायेदार रख लिए गए हैं।

जो 60 फीसदी लोग इन फ्लैट्स में शिफ्ट हुए हैं, उन्होंने भी झुग्गी नहीं छोड़ी है। ये झुग्गी या तो उन्होंने किराए पर दे दी है या फिर बेच दी है। यानी झुग्गी खत्म नहीं हो रही है। इतना ही नहीं भले ही आवंटित फ्लैट की खरीद-फरोख्त पर रोक है, बावजूद इसके कुछ लोगों ने अपने फ्लैट बेच दिए हैं। खरीदने वालों ने 5 से 7 लाख रुपए में दानपत्र पर यह मकान खरीदा है।

ये है वाजपेयी नगर झुग्गी बस्ती। जो 60% लोग फ्लैट में शिफ्ट हुए, उन्होंने अपनी झुग्गी किराये पर दे दी या बेच दी, यानी झुग्गी वहीं है
ये है वाजपेयी नगर झुग्गी बस्ती। जो 60% लोग फ्लैट में शिफ्ट हुए, उन्होंने अपनी झुग्गी किराये पर दे दी या बेच दी, यानी झुग्गी वहीं है

वाजपेयी नगर मल्टी- कैंसर अस्पताल में इलाज के लिए आने वालों का हॉस्टल

मदर इंडिया, संजय नगर, दुर्गा नगर जैसी बस्तियों में रहने वाले लोगों को ईदगाह स्थित वाजपेयी नगर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में फ्लैट उपलब्ध कराए गए थे। लेकिन, हालत ये है कि ये ​मल्टी कैंसर अस्पताल में इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों व परिजन के लिए हॉस्टल बन चुकी है। यहां जो लोग अपने फ्लैट किराये पर दे रहे हैं, उनमें से ज्यादातर लोग अब भी पास की झुग्गियों में ही रह रहे हैं। एक फ्लैट का किराया 3000 से 4000 रुपए महीने तक लिया जा रहा है। आलम यह है कि लगभग हर ब्लॉक में दो-चार मरीज किराए से फ्लैट लेकर रह रहे हैं। फ्लैट किराए पर दिलाने वाले एक दर्जन से ज्यादा एजेंट यहां सक्रिय हैं।

राहुल नगर-. फ्लैट किराए पर चढ़ाया, मां-बाप झुग्गी में
राहुल नगर में एस ब्लॉक के चौथे फ्लोर पर आवंटित फ्लैट में राहुल वर्मा पत्नी के साथ रहते हैं। सामने वाले ब्लॉक में भी उनका एक फ्लैट है, जो उन्होंने 3600 रुपए महीना किराये पर दिया है। मल्टी में दो फ्लैट होने के बाद भी राहुल की मां और पिता डिपो चौराहा स्थित झुग्गी में ही रह रहे हैं।

साइंस सेंटर के पास- 4 लाख तक में बेचे टेंपरेरी टीनशेड
स्मार्ट रोड निर्माण के दौरान बाणगंगा के कुछ मकान तोड़े गए थे। इन्हें साइंस सेंटर के पास टीनशेड बनाकर दिए थे। यहां स्थित किराना दुकान पर पूछताछ की तो बताया गया कि भावना बाथम का टीनशेड खाली है, लेकिन वे किराये से नहीं देंगे, उनको तो बेचना है। कीमत रखी है 4 लाख रुपए।

मालवीय नगर- 40 हजार रुपए में बिक रही झुग्गी
मालवीय नगर बस्ती में संतोषी मालवीय से बात की तो उन्होंने कोने की झुग्गी 1000 रुपए में किराए पर देने व 60 हजार रुपए में बेचने की बात कही। अगले दिन उनके पति ने फोन कर कहा- हम सर्वे में आपका नाम जुड़वा देंगे। साथ ही वे 40 हजार में झुग्गी बेचने को तैयार हो गए।

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भोपाल की अटल झुग्गियां ….
16 साल में झुग्गीवासियों के लिए 1000 करोड़ खर्च कर बने 15 हजार मकान

बाणगंगा बस्ती... सीएम हाउस से 500 मीटर की दूरी पर ऐसी तस्वीर।  जिस 48 एकड़ जमीन पर ये झुग्गियां फैली हैं, वह सरकारी रिकॉर्ड में आज भी छोटे-बड़े झाड़ का जंगल है। - Dainik Bhaskar

बाणगंगा बस्ती… सीएम हाउस से 500 मीटर की दूरी पर ऐसी तस्वीर। जिस 48 एकड़ जमीन पर ये झुग्गियां फैली हैं, वह सरकारी रिकॉर्ड में आज भी छोटे-बड़े झाड़ का जंगल है।

पिछले करीब डेढ़ दशक में राजधानी को झुग्गीमुक्त करने के लिए जेएनएनयूआरएम से लेकर हाउसिंग फॉर ऑल तक तमाम तरह की योजनाएं बनीं। करीब 1000 करोड़ रुपए खर्च भी हो गए। कहने को तो इन झुग्गीवासियों के लिए हजारों मकान भी बन गए, लेकिन झुग्गियां न केवल कायम हैं, बल्कि इनकी संख्या में इजाफा होता जा रहा है। पिछले 16 साल में दो अलग-अलग योजनाओं में झुग्गीवासियों के लिए 15 हजार मकान बनाए जा सके हैं। शहर की डेढ़ लाख झुग्गियों में रहने वाली करीब 7 लाख आबादी के हिसाब से यह नाकाफी हैं, लेकिन इन 15 हजार मकानों में से भी आधे या तो दानपत्र पर बिक गए या किराए पर चले गए और जो झुग्गीवासी इन मकानों में शिफ्ट हुए उनके परिवार के कुछ सदस्य अब भी झुग्गी में ही रह रहे हैं।

साल 2008 में केंद्र सरकार की जेएनएनयूआरएम योजना के तहत 448 करोड़ खर्च कर 11,500 मकान बने। इसके बाद हाउसिंग फॉर ऑल में झुग्गियों की शिफ्टिंग के लिए 670 करोड़ मिले। इनसे 7755 मकान बनाने की योजना बनी। इनमें से 4600 मकान बनना शुरू हुए और अब तक 3500 बन पाए। 1100 निर्माणाधीन हैं। 3155 का तो काम ही शुरू नहीं हुआ है। राजधानी में झुग्गीबस्ती की शिफ्टिंग की पहली योजना 1990 की भाजपा सरकार में आई थी। इसे झुग्गीमुक्त आवासयुक्त नाम दिया गया था। प्रोजेक्ट शुरू ही हुआ, कुछ मकान बने और सरकार बदलने से योजना ही बंद हो गई।

शहर के बीचोबीच स्मार्ट रोड के किनारे 48 एकड़ बेशकीमती जमीन पर बाणगंगा झुग्गीबस्ती फैली हुई है। सीएम हाउस से महज 500 मीटर दूर स्थित 60 साल से ज्यादा पुरानी इस बस्ती में करीब 35 हजार लोग रह रहे हैं।
शहर के बीचोबीच स्मार्ट रोड के किनारे 48 एकड़ बेशकीमती जमीन पर बाणगंगा झुग्गीबस्ती फैली हुई है। सीएम हाउस से महज 500 मीटर दूर स्थित 60 साल से ज्यादा पुरानी इस बस्ती में करीब 35 हजार लोग रह रहे हैं।

नहीं बन पाए पक्के मकान… क्योंकि जंगल के रूप में दर्ज होने के कारण प्रोजेक्ट रद्द

भोपाल के राजधानी बनने के बाद जिन इलाकों में सबसे पहले झुग्गीबस्ती बनी बाणगंगा भी उन्हीं में से एक है। छोटे तालाब को भरने वाले बाणगंगा नाले के किनारे कुछ मजदूरों ने उस समय झुग्गी बनाकर रहना शुरू कर दिया। बाद के वर्षों में हाउसिंग बोर्ड ने कुछ ईडब्ल्यूएस मकान बनाए, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही रहे। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2017 में यहां मल्टीस्टोरी बनाने का प्रोजेक्ट बना, लेकिन जमीन को लेकर विवाद की स्थिति हो गई। रिकॉर्ड पर यह जमीन छोटे-बड़े झाड़ के जंगल के रूप में दर्ज है, इसलिए प्रोजेक्ट मंजूर नहीं हुआ।

वोट बैंक का गणित
सबसे पुरानी बस्तियों में शुमार रोशनपुरा, बाणगंगा और अन्ना नगर की शिफ्टिंग तो अब नामुमकिन सी लगती है। एक-एक बस्ती में 35 हजार तक लोग रहते हैं। रोशनपुरा और बाणगंगा दक्षिण पश्चिम विस क्षेत्र के, जबकि अन्ना नगर नरेला का वोट बैंक है।

स्मार्ट रोड पर 3 नई बस्तियां
1960 के दशक में केवल रोशनपुरा चौराहे के आसपास करीब 100 झुग्गियां थीं। आज यहां 35 हजार से अधिक आबादी रहती है। बाणगंगा बस्ती की भी अमूमन यही कहानी है। बाणगंगा के साथ स्मार्ट रोड के किनारे पर तीन और बस्तियां बन गईं हैं।

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