भोपाल .. वर्ल्ड मेट्रोलॉजी डे आज … सूरज ही नहीं; 1.20 लाख एसी से भी तपता है शहर, 80 हजार एसी से 1 लाख क्विंटल लकड़ी जलाने जितनी हीट

इस बार 20 दिन पहले तेज गर्मी पड़ने लगी है। ठंड की तरह गर्मी के मौसम में भी रिकॉर्ड ब्रेकिंग ट्रेंड बरकरार है। विशेषज्ञों द्वारा की गई स्टडी में यह खुलासा हुआ है कि हमारा शहर सिर्फ सूरज की तपिश से ही नहीं, बल्कि घरों, दफ्तरों और दुकानों में लगे 1.20 लाख एयर कंंडीशनर (एसी) से बाहर निकलने वाली हीट से भी तपता है। मैनिट के इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट द्वारा की गई स्टडी में यह हकीकत सामने आई थी। इसमें जिक्र था कि 80 हजार एयर कंडीशनर से एक लाख क्विंटल लकड़ी जलाने के बराबर की हीट निकलती है।

इसीलिए रेटिंग भी तय

इलेक्ट्रॉनिक मामलों के जानकार श्याम बंसल बताते हैं ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी ने एसी के लिए भारतीय मौसमी ऊर्जा दक्षता अनुपात के तौर पर नया स्टार रेटिंग सिस्टम शुरू किया है। वे बताते हैं कि डेढ़ टन यानी 1500 वॉट क्षमता का एक एसी लगातार 8 घंटे चलाया जाए तो उससे 12 यूनिट बिजली की खपत रोज होती है। यह 180 पर चलाया जाएगा तो अंदर कूलिंग और बाहर हीटिंग ज्यादा करेगा।

मौसम केंद्र भोपाल का सफर- 46 साल में बदल गई तकनीक

मौसम केंद्र के रिटायर्ड डायरेक्टर डीपी दुबे ने बताया कि 1976 में ई -1 अरेरा कॉलोनी में किराए के मकान में मौसम केंद्र शुरू हुआ था। तब से अब तक भोपाल के मौसम केंद्र का सफर डॉप्लर राडार तक पहुंच चुका है। डॉप्लर राडार करीब 20 करोड़ की लागत से यहां लगा है।

इस दौरान सबसे बड़ा बदलाव मौसम का हाल बताने की तकनीक में आया है। पहले बड़े-बड़े चार्ट बनाकर 48 घंटे का पूर्वानुमान बताया जाता था। अब अगले 3 घंटे में मौसम कैसा रहेगा, यह डॉप्लर राडार से पहले ही बता दिया जाता है। मौसम केंद्र द्वारा दिन में दो बार गुब्बारे छोड़कर और अन्य उपकरणों के द्वारा हवा की गति, दिशा, तापमान, नमी और हवा का दबाव देखा जाता है।

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