उद्योगपति ने सवाल उठाया …!
उद्योगपति ने सवाल उठाया:प्रदेश में सीएनजी पर 14% वैट, उद्योगपतियों ने कम करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा; नए बजट से उम्मीद पूरी होने की आस
मध्य प्रदेश में कम्प्रेस्ड नैचुरल गैस (सीएनजी) पर 14% वैट लगता है। उद्योगपतियों ने इसे कम करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा है। उन्हें उम्मीद है कि 1 मार्च को पेश बजट में उनकी यह आस जरूर पूरी होगी।
उद्योगपतियों का कहना है कि उन्हें इस पर चुकाए गए टैक्स का कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट भी नहीं मिलता है। वहीं, कोयले पर लगने वाले 5% जीएसटी का इनपुट टैक्स क्रेडिट कारोबारियों को अपने आगे के जीएसटी भुगतान में प्राप्त होता है, जिससे उन्हें इस हिस्से में भी फायदा है।
भट्टियों की चिमनी पर लगा चुके 30-40 लाख के फिल्टर, ताकि प्रदूषण न हो
नमकीन एसोसिएशन के अध्यक्ष अनुराग बोथरा ने बताया कि इंदौर में कई छोटे-बड़े स्तर के खाद्य पदार्थ उत्पादक उद्योगपति हैं, जिन्होंने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए पहले ही अपने उद्योगों में 30 से 40 लाख रुपए का निवेश कर सबसे आधुनिक फिल्टर लगवाया है। पारंपरिक कोयले का इस्तेमाल न करते हुए बायोवेस्ट से निर्मित बायोकोल का इस्तेमाल भी किया जा रहा है, ताकि वायु प्रदूषण न हो। इस सबके बावजूद उन्हें सीएनजी पर शिफ्ट होने के लिए कहा जा रहा है।
इनके दाम कोयले के मुकाबले 3-4 गुना
उद्योगों की एक समस्या यह भी है कि सीएनजी या पीएनजी कोयले या बायोफ्यूल के मुकाबले ज्यादा महंगा है। तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो खाद्य पदार्थों को बनाने के लिए मानक क्षमता की भट्टी में 1 घंटे में 134 यूनिट पीएनजी लगती है और 409 किलो बायोफ्यूल की खपत होती है। इन दोनों की कीमत देखें तो पीएनजी की कीमत लग रही है 7395 रुपए प्रति घंटा और वर्तमान में उपयोग किए जा रहे बायो फ्यूल की कीमत पड़ रही है 2862 रुपए प्रति घंटा। ऐसे में यदि प्रतिदिन 10 घंटे भी उद्योग चलता है तो 45,326 रुपए प्रति घंटे का फर्क पड़ रहा है और सालाना 1.5 लाख रुपए का फर्क पड़ रहा है।
पीएनजी के लिए करना पड़ता है 95 लाख का निवेश
इंदौर रोलिंग मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश मित्तल ने बताया कि आयरन और स्टील की रोलिंग मिलों के लिए तो सीएनजी या बायो केवल विकल्प हो ही नहीं सकते। दूसरी ओर पीएनजी प्लांट स्थापित करने के लिए जमा किए जाने वाले एडवांस डिपाजिट और सिक्योरिटी डिपॉजिट की राशि भी उद्योगपतियों के लिए बहुत बड़ा अतिरिक्त निवेश है। कंपनी द्वारा 30 दिन का एडवांस के साथ सिक्योरिटी डिपॉजिट की मांग की जाती है। रोलिंग मिलों की औसत एक दिन में 40 टन प्रोडक्शन की क्षमता को देखते हुए और प्रति टन लगने वाली 2000 यूनिट गैस के अनुमान से यह एडवांस डिपॉजिट की राशि बनती है 38 लाख रुपए। ऐसे में सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में लगभग 45 दिन के उपयोग जितनी राशि बैंक गारंटी के रूप में रखी जाती है, जिसका मूल्यांकन इसी अनुमान से 56 लाख रुपए होगा। यानी 95 लाख रुपए की एडवांस राशि की मांग की जाती है।