ग्वालियर.  हजार बिस्तर अस्पताल में सी-ब्लाक के बाहर प्रथम मंजिल पर प्रशासनिक फ्लोर तैयार किया गया है। जहां पर डीन,अधीक्षक, सह अधीक्षक व सह प्रबंधक का चैंबर बना हुआ है और वहीं पर कार्यालय का कार्य होता है। इस भवन के ऊपर की ओर जाने वाली सीढ़ियों की दीवारों में दरार आ गई है।

हजार बिस्तर के जिन फ्लोर पर शौचालय की गंदगी सीवेज में नहीं पहुंच रही उसकी कहानी कुछ इस तरह से बताई गई। जेएएच प्रबंधन दबी जुबान में बता रहा है कि सातवें मंजिल से सीवेज की लाइन सीधी जमीन तक डाली गई। लेकिन शौचालय जिन फ्लोर पर बने हैं वह सीवेज लाइन से दूरी पर हैं। इसलिए शौचायल की लाइन को सीवेज लाइन से जोड़ा गया। लेकिन जो लाइन शौचालय से सीवेज के बीच में डली है वह 90 डिग्री में जुड़ी है। ढलान न देने के कारण नाली की गंदगी सीधे सीवेज लाइन तक नहीं पहुंच पा रही है और शौचालय की नालियां जाम हो रही है। लेकिन पीआईयू इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है। जबकि नगर निगम के ठेकेदारों का कहना है कि निर्माण के दौरान ध्यान न देने से इस तरह की समस्या आ रही है। हजार बिस्तर अस्पताल का सी-ब्लाक सबसे पहले बनकर तैयार हुआ। खामियां भी सबसे पहले यहीं पर उजागर हो रही है।

ए-ब्लाक अभी पूरी तरह से शुरू नहीं हो सका,क्योंकि इस ब्लाक में रेडियोलाजी व निजी रुम बने हुए है। इसलिए यहां पर मरीज भर्ती नहीं हो रहे है तो खामियां भी छिपी हुई हैं। जबकि बी-ब्लाक में ओपीडी के साथ ऊपर के फ्लोर पर मरीज भर्ती है पर इनकी संख्या कम होने से खामियां नजर में नहीं आई हैं। लेकिन सी-ब्लाक में मेडिसिन वार्ड होने से भर्ती मरीजों की संख्या अधिक है। इस कारण से खामियां भी दो महीने में ही सामने आ गईं। सी-ब्लाक के दूसरे मंजिल,तीसर,चौथे,व छटवें मंजिल पर बने शौचालय का पानी की निकासी सीवेज लाइन में ठीक से न होने के कारण वापस लौट रहा है और गंदगी वार्ड तक आ रही है। हजार बिस्तर अस्पताल अभी पूरी तरह से शुरू भी नहीं हो सका और खामियां उजागर होने लगी। अस्पताल की दीवारें दरकने लगीं और सीवेज लाइन जाम हो गई है। जो अब अस्पताल प्रबंधन से लेकर मरीजों के लिए परेशानी का कारण बन रही है। लेकिन निर्माण एजेंसी इन सभी खामियों से अपना पल्लाझाड़ रही है। सीवेज लाइन जाम होने को लेकर जेएएच प्रबंधन ने पीआईयू व नगर निगम के इंजीनियरों की टीम को बुलाया।

संभागायुक्त के निर्देश पर खुद एसडीएम पहुंचे। लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकाल सके। परेशानी जस की तस बनी हुई है। गौरतलब है कि नईदुनिया ने इन सभी खामियों को भवन सुपुर्दगी से पहले ऊजागर किया था। लेकिन बिना परीक्षण के भवन की सुपुर्दगी लेना गजराराजा मेडिकल कालेज प्रबंधन के लिए परेशानी बन रही है।