राहुल गांधी को 2 साल की जेल, अब आगे क्या …!

क्या सांसदी जाएगी और चुनाव लड़ने पर भी रोक लगेगी; 6 जरूरी सवालों के जवाब …

राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने गुरुवार को मानहानि का दोषी करार देते हुए 2 साल की कैद की सजा सुनाई है। उन पर 15 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया गया है। हालांकि कोर्ट से उन्हें जमानत भी मिल गई।

क्या इस मामले में दोषी पाए जाने के बाद ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ की धारा 8 के तहत राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म हो जाएगी? राहुल गांधी के पास अब क्या रास्ते बचे हैं? पहले किन नेताओं के साथ ऐसा हो चुका है?

 6 जरूरी सवालों के जवाब दे रहे हैं…

सवाल-1 : 2019 में ऐसा क्या हुआ था, जिसके लिए राहुल को 2 साल की कैद की सजा सुनाई गई है?

जवाब : 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा था, ‘चोरों का सरनेम मोदी है। सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है, चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो चाहे नरेंद्र मोदी।’

इसके बाद सूरत पश्चिम के बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का केस किया था। उनका कहना था कि राहुल गांधी ने हमारे पूरे समाज को चोर कहा है और यह हमारे समाज की मानहानि है। इस केस की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी तीन बार कोर्ट में पेश हुए थे। आखिरी बार अक्टूबर 2021 की पेशी के दौरान उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था।

उनके वकील के मुताबिक, ‘राहुल ने कहा कि बयान देते वक्त मेरी मंशा गलत नहीं थी। मैंने तो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी।’

इसी मामले में राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने गुरुवार को दोषी करार दिया। कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा और 15 हजार का जुर्माना भी लगाया। इसके कुछ देर बाद उसी कोर्ट ने उन्हें 30 दिन के लिए जमानत भी दे दी। मानहानि के मामले में 2 साल की जेल अधिकतम सजा है। यानी इससे ज्यादा इस मामले में सजा नहीं दी जा सकती है।

राहुल गांधी के वकील बाबू मांगूकिया ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की कोर्ट ने राहुल गांधी को IPC की धारा 499 और 500 के तहत दोषी ठहराया था। साथ ही उन्हें जमानत दे दी और 30 दिनों के लिए सजा को निलंबित कर दिया ताकि उन्हें हाई कोर्ट में अपील करने का मौका मिल सके।

गुरुवार को सूरत कोर्ट पहुंचने से पहले सूरत एयरपोर्ट पर राहुल गांधी।

सवाल-2 : क्या दोषी साबित होने के बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द हो जाएगी?

जवाब : ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ की धारा 8 (3) के तहत अगर किसी सांसद या विधायक को किसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है और उसे 2 साल या इससे ज्यादा की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी संसद या विधानसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी। वह रिहाई के 6 साल बाद तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएगा।

‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट’ की धारा 8 (4) कहती है कि दोषी सांसद या विधायक की सदस्यता तुरंत खत्म नहीं होती। उसके पास तीन महीने का समय होता है। इस दौरान अगर वह हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर देता है तो उस अपील की सुनवाई पूरी होने तक सदस्यता नहीं जाती। अगर वह अपील नहीं करता है तो तीन महीने बाद उसकी सदस्यता समाप्त कर दी जाती है।

हालांकि जुलाई 2013 में लिली थॉमस vs यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ की धारा 8 (4) के तहत मिली छूट को असंवैधानिक बताया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि सांसद या विधायक दोषी करार दिए जाते हैं और उन्हें 2 साल या इससे ज्यादा साल की सजा सुनाई, तो दोषी करार होते ही उनकी संसद या विधानसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी।

हालांकि इस प्रक्रिया को पूरा करने में लोकसभा सचिवालय को कुछ समय लग सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के हिसाब से राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खतरे में है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि उन्हें अब तभी राहत मिल सकती है जब ऊंची अदालत दोषसिद्धी पर रोक लगा दे। सिर्फ सजा पर ही रोक लगाना काफी नहीं होगा।

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी बताते हैं कि लोकसभा स्पीकर को राहुल को अयोग्य घोषित करने की शिकायत मिलती है तो लोकसभा सचिवालय एक या दो दिन में चुनाव आयोग को बता सकता है कि केरल की वायनाड सीट अब खाली हो गई है और चुनाव कराओ। या फिर राहुल को अपील कोर्ट से राहत मिल जाए यानी उनकी दोषसिद्धी पर रोक लगा दी जाए।

सवाल-3 : राहुल गांधी के पास क्या अब कोई रास्ता बचा है?

जवाब : अब राहुल को सिर्फ सजा के खिलाफ अपील दायर करने से ही राहत नहीं मिलेगी, बल्कि सजायाफ्ता सांसद को ट्रायल कोर्ट की तरफ से दोषसिद्धि के खिलाफ अपील कोर्ट स्पेसिफिक स्टे ऑर्डर दे। यानी सजा पर रोक नहीं बल्कि दोषसिद्धि पर ही रोक लगा दे तब राहुल की संसद सदस्यता जाने से बच सकती है।

अपील कोर्ट अगर ये कहे कि हम CrPC की धारा 389 के तहत सजा पर रोक लगाते हैं तो