एक डिटर्जेंट एड कहता है, ‘दाग अच्छे हैं’, ऐसे ही भरोसा करना होगा कि ‘ज़िद भी अच्छी है
इस गुुरुवार-शुक्रवार को सूरत राष्ट्रीय राजनीति से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले के चलते मीडिया में छाया रहा। सितंबर 1994 में सूरत में जब प्लेग के बाद इसे अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया था, तब इसे कवर करने के बाद से सूरत पर मेरी बारीकी से निगाह है।
बीते 29 वर्षों में ये शहर उस लेबल से ‘आयरमैन’ तमगे तक आ गया है! आप सोच रहे होंगे कि सूरत के खूबसूरत शहर बनने से आयरनमैन का क्या संबंध? किसी के लिए भी आयरनमैन का तमगा बेहद कठिन है। वो भी एक पत्नी व मां रहीं महिला के लिए। कठिन इसलिए क्योंकि इसमें 3.8 किमी तैराकी, 180 किमी साइकिलिंग और 42 किमी दौड़ होती है और यह सब 16-17 घंटों में पूरा करना होता है!
सूरत ने साल 2022 में दो आयरनमैन दिए हैं, इत्तेफाक से दोनों डॉक्टर्स हैं। ऐसा करने वाली पहली हैं डॉ. मीना वांकावाला, जो 25 सालों से गाइनोकोलॉजिस्ट हैं। दूसरी हैं डॉ. हेतल तमाकुवाला, वह 20 सालों से डेंटल सर्जन हैं। इत्तेफाक है कि डॉ. मीना को 41 डिग्री सेल्सियस और तेज हवा के बीच साइकिल चलानी पड़ी, वहीं डॉ. हेतल ने बरसते पानी में साइकिल चलाई।
जहां पानी बह रहा था और साइकिल स्लिप हो रही थी। दोनों ने साल 2022 में यह दुर्लभ उपलब्धि तब हासिल की है जब वे बड़े बच्चों की मां हैं। मीना का 20 साल का बेटा है और सेकंड ईयर एमबीबीएस पढ़ रहा है और डॉ. हेतल का 23 वर्षीय बेटा पहले ही डेंटिस्ट है और 20 साल का लड़का वेल्लूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से केमिकल इंजीनियरिंग कर रहा है।
दिलचस्प है कि डॉ. मीना साल 2016 तक तैराकी नहीं जानती थी और बचपन के बाद कभी-कभार साइकिलिंग की। सात साल पहले वह पति नैनेश के साथ स्वीडन गई थीं, जहां नैनेश वैश्विक प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे थे और खुद आयरनमैन थे।
इस स्पर्धा ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि अगले तीन वर्षों में उन्होंने खुद को दौड़ में फिट रखते हुए तैराकी-साइकिलिंग का अभ्यास करके निपुणता हासिल की। 2019 में उन्होंने गोवा हाफ आयरनमैन में हिस्सा लिया और वुमन कैटेगरी में गोल्ड जीता, साथ ही अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए क्वालिफाई किया। पर दुर्भाग्य से कोविड के कारण खेल गतिविधियां रुक गईं। 2022 में कज़ाकस्तान में उन्होंने कांस्य जीता। प्रतिस्पर्धा के दौरान यू टर्न लेते हुए वह आयोजक के साथ टकरा गई थीं, जिससे उनका हेलमेट टूट गया था और 90 मिनट आराम करना पड़ा, फिर भी वो जीतीं।
डॉ. हेतल के लिए इसकी शुरुआत 2011 में सूरत नगर निगम द्वारा डॉक्टर्स-इंजीनियर्स के लिए आयोजित 6 किमी रेस के साथ हुई थी। इसमें वह सेकंड रहीं, जिससे उन्हें हाफ मैराथन का प्रोत्साहन मिला। लगातार दौड़ने से 2015 में दाहिने पैर में स्ट्रेस फ्रैक्चर हो गया। उपचार के दौरान उन्हें ट्रायथलॉन (आयरमैन) का पता चला और अहमदाबाद में ‘ओलिंपिक डिस्टेंस ट्रायथलॉन’ (आयरमैन का 25%) में हिस्सा लिया।
2019 में उन्होंने उसी गोवा स्पर्धा में हिस्सा लिया और थर्ड रहीं। 15 नवंबर 2022 को वह मलेशिया में आयरनमैन ट्रायथलॉन हासिल करने वाली सूरत और गुजरात की दूसरी महिला बनीं। दिलचस्प है कि जब शुक्रवार को मैंने दोनों से बात की तो वे एक-दूसरे की बात कर रही थीं। दोनों ने एक-दूसरे का नंबर शेयर करते हुए कहा, ‘आपको उनसे बात करनी चाहिए।’ और यहां सूरत मेरे लिए बिल्कुल भिन्न हो जाता है, जहां हर सूरत वाला निजी उपलब्धि से ऊपर शहर को रखता है।
….. जैसा एक डिटर्जेंट एड कहता है, ‘दाग अच्छे हैं’, ऐसे ही भरोसा करना होगा कि ‘ज़िद भी अच्छी है।’ पर ज़िद किसी की नीचे से ऊपर उठाने में मदद व लक्ष्य तक पहुंचने के लिए होनी चाहिए।